राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि किसान जैव विविधता के सच्चे अभिभावक हैं. आप लोगों ने अपनी मेहनत से कई लुप्तप्राय किस्मों को बचाया है. उन्होंने कहा कि हमारे किसान रीयल इंजीनियर और साइंटिस्ट हैं. यही नहीं भारत के किसान कई मामलों में वैज्ञानिकों से बेहतर हैं. मैं इस कथन से बिल्कुल सहमत हूं. जैव विविधता और वैश्विक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में किसान महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. राष्ट्रपति मंगलवार को प्लांट वैराइटी और किसान अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (PPVFRA) द्वारा किसानों के अधिकारों पर भारत में पहली बार आयोजित वैश्विक संगोष्ठी की शुरुआत कर रही थीं. उन्होंने देसी और परंपरागत किस्मों के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए काम करने वाले किसानों और कृषक समुदायों को अवार्ड दिया.
यह कार्यक्रम नई दिल्ली स्थित नेशनल अकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (NAAS) कांप्लेक्स में आयोजित किया गया है जो 15 सितंबर तक चलेगा. उन्होंने प्लांट अथॉरिटी भवन की शुरुआत की. साथ ही प्लांट वैराइटी रजिस्ट्रेशन के ऑनलाइन पोर्टल की शुरुआत भी की. इस पोर्टल के जरिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पारदर्शी होगी. पूरा प्रॉसेस पेपरलेस होगा. इससे किसानों का काम आसान होगा. उन्होंने कहा कि खाद्य और कृषि के लिए प्लांट जेनेटिक्स संसाधनों पर अंतरराष्ट्रीय संधि किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
इसे भी पढ़ें: Mustard Procurement: सरसों किसानों की दरियादिली पर सरकारी 'कंजूसी' ने फेरा पानी
राष्ट्रपति ने इस मौके पर छह कृषक समुदायों को 10-10 लाख रुपये का प्लांट जीनोम सेवियर कम्युनिटी अवार्ड प्रदान किया. इनमें यहां मोगी माता मंदिर स्थान बियाणे संवर्धन समिति नंदुरबार महाराष्ट्र, दरपुर श्री श्री ज्ञाननंदा सरस्वती आश्रम बांकुरा पश्चिम बंगाल, लीची ग्रोवर एसोसिएशन मुजफ्फरपुर बिहार, मलबार कायपड फार्मर्स सोसायटी कन्नूर केरल, काला जीरा उत्पादन संघ किन्नूर हिमाचल प्रदेश और भागलपुरी कतरनी धान उत्पादक संघ बिहार शामिल हैं. पौधा किस्मों या आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण के लिए 20 किसानों को अवार्ड प्रदान किए गए.
इस मौके पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि की जैव विविधता का संरक्षण सिर्फ कर्तव्य नहीं है बल्कि खाद्य सुरक्षा के लिए यह बहुत जरूरी भी है. खाद्य और कृषि के लिए प्लांट जेनेटिक्स संसाधनों पर अंतरराष्ट्रीय संधि भी है. जिसके 150 देश सदस्य हैं. किसानों को पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम (PPVFR ACT) के जरिए बीजों को बनाने, बांटने और बेचने का भी अधिकार मिलता है. यह अधिनियम जैव विविधता और वैश्विक खाद्य सुरक्षा में किसान समुदायों और किसानों के योगदान को स्वीकारने का माध्यम भी है. पीवीएफआर प्राधिकरण ने अब तक 5,293 पौधा किस्मों का रजिस्ट्रेशन किया है. जिनमें 2,073 किस्में किसानों की हैं.
तीन दिन तक चलने वाले इस कार्यक्रम में डेढ़ सौ देशों के प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं. इसमें नई किस्में बनाने वाले और देसी और परंपरागत किस्मों को बचाने का काम करने वाले भारत के किसान भी शामिल हो रहे हैं. कार्यक्रम में कृषि सचिव मनोज आहूजा, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक, पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण अथॉरिटी के चेयरमैन डॉ. त्रिलोचन महापात्र और एफएओ मुख्यालय रोम के सचिव डॉ. केंट ननाडोजी सहित कई लोग मौजूद रहे. कार्यक्रम में तीन दिन तक बीज किस्मों के एक्सचेंज और अलग-अलग देशों में किसानों के अधिकार को लेकर चर्चा होगी.
इसे भी पढ़ें: किसानों के 'सुरक्षा कवच' के नाम पर मालामाल हुईं फसल बीमा कंपनियां, मुनाफा जानकर हो जाएंगे हैरान
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today