बरसात के मौसम में ट्रैक्टर के मेंटीनेंस में अगर लापरवाही की गई, तो खरीफ सीजन में खेती के कामों के दौरान इसमें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि नमी, कीचड़ और लगातार गीले वातावरण से मशीन खड़े रहने या चलने से जल्दी खराब हो सकती है. चौमासे में अगर ट्रैक्टर की सही देखभाल नहीं की गई तो इंजन, ब्रेक, इलेक्ट्रिकल पार्ट्स और टायर जल्दी खराब हो सकते हैं. इसिलए आज हम आपको विस्तार से बता रहे हैं कि बरसात में ट्रैक्टर के मेंटीनेंस में किन चीजों का ध्यान रखें.
कोशिश करें कि बरसात शुरू होने से पहले ट्रैक्टर की एक सर्विस करवा लें. अगर ट्रैक्टर को पानी में या भरे खेतों में टलाना है तो इसका इंजन ऑयल और फ्यूल फिल्टर चेक करें. साथ ही इंजन की सील भी चेक करें, कही से कोई कट या चटक ना रही हो. इसके अलावा ट्रैक्टर का एयर फिल्टर भी खोलकर साफ कर लें और इसकी भी रबड़ें जांच ले. अगर यह बदलने पर आ गया है तो नया लगाएं. बारिश के मौसम में हवा में नमी ज्यादा होती है, जिससे एयर फिल्टर जल्दी चोक हो जाता है. अगर संभव है तो ड्राई एयर फिल्टर की जगह वेट टाइप एयर फिल्टर का इस्तेमाल करें.
इसके अलावा बरसात के मौसम में कीचड़ और मिट्टी में ट्रैक्टर फंसे ना, इसके लिए इसके टायरों का भी रखरखाव जरूरी है. ये तो सब जानते हैं कि बारिश में खेत और सड़क दोनों फिसलन भरे होते हैं. ऐसे में टायर की ग्रिप ही सबसे जरूरी होती है. अगर टायर बदलने पर आ गए हों तो कोशिश करें कि बरसात आने से पहले ही टायर बदलवा लें. सबसे जरूरी बात ये है कि टायरों में हवा का प्रेशर सही रखें.
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बारिश के मौसम में ट्रैक्टर के ब्रेक और क्लच स्लिप कर सकते हैं. इसलिए खेतों पर इस्तेमाल करने से पहले इनकी सर्विस और ऑयल चेकिंग जरूर कर लेना चाहिए. अगर आपको ट्रैक्टर चलाते वक्त क्लच में फिसलन लगे तो उसे तुरंत टाइट करवाएं या ज्यादा खराब है तो क्लच प्लेट बदलवाएं.
इसके साथ ही बैटरी और वायरिंग की सुरक्षा भी इस मौसम में बहुत जरूरी है. बारिश में अर्थिंग बढ़ती और इससे बैटरी टर्मिनल और वायरिंग में करंट लीक का खतरा बना रहता है. इसलिए जहां भी रिस्क लगे वहां वायरिंग को इंसुलेशन टेप से कवर करें और ढीले कनेक्शन को जरूर कस दें. इसके अलावा बैटरी के आसपास सूखा रखें, बैटरी बॉक्स में जंग ना लगने दें और टर्मिनल पर ग्रीस या वैसलीन लगाएं.
पानी और कीचड़ से ट्रैक्टर की चेसिस में जंग लग सकती है, खासतौर पर अगर ट्रैक्टर पुराना हो तो. इसलिए चौमासे में इसकी चेसिस पर पेंट या एंटी-रस्ट कोटिंग करवा लेंना समझदारी होगी. इसके साथ ही हर बार खेत से लौटने के बाद ट्रैक्टर की अंडरबॉडी को पानी से धोकर सुखा लें. बससात में ट्रैक्टर के लाइट्स और इंडिकेटर भी सही होने चाहिए. इस मौसम में विजिबिलिटी कम होती है, इसलिए हेडलाइट, टेल लाइट और इंडिकेटर भी फिट-फाट रखें. अगर किसी बल्ब में पानी घुस गया है तो उसे तुरंत बदलें.
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इस मौसम में खेत में गीले औजारों से काम करते वक्त ट्रैक्टर के हाइड्रोलिक सिस्टम पर दबाव बढ़ता है. ऐसे में ट्रैक्टर के हाइड्रोलिक ऑयल का लेवल चेक करें और ये भी देखें कि कहीं लीकेज ना हो. PTO (Power Take Off) शाफ्ट की भी अच्छे से ग्रीसिंग करें, ये सबसे जरूरी है. इसके अलावा ट्रैक्टर के कैबिन और ड्राइवर सीट पर भी ध्यान दें. अगर ट्रैक्टर में कैबिन है तो छत की सीलिंग, खिड़की और सीट को वाटरप्रूफ रखें. चाहें तो सीट पर वाटरप्रूफ कवर लगा सकते हैं और रोज सूखा रखें ताकि फफूंदी न लगे.
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