धान की रोपाई के वक्त सांप के काटने की कई घटनाएं सामने आती हैं. इतना ही नहीं कई-कई घंटे पानी में खड़े रहकर धान की रोपाई करने के चलते किसान के पैरों में कई तरह की परेशानी आने लगती हैं. घंटों झुककर धान के पौधे को जमीन में रोपने के चलते कमर दर्द से भी किसान और उसके परिवार को दो-चार होना पड़ता है. लेकिन किसानों की ऐसी ही परेशानियों को दूर करने के लिए पंजाब एग्रीकल्च र यूनिवर्सिटी (PAU), लुधियाना के साइंटिस्ट लगातार एक नई तकनीक पर रिसर्च कर रहे हैं. इस नई तकनीक से किसान खेत से बाहर रहकर धान की रोपाई कर सकेंगे.
पीएयू के साइंटिस्ट डॉ. शिव कुमार लोहान ने बताया कि अभी इस मशीन का ट्रॉयल चल रहा है. जल्द ही मशीन से जुड़ी कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद एक टेंडर जारी किया जाएगा. टेंडर में सबसे ज्यादा रकम भरने वाली कंपनी को मशीन से जुड़ी तकनीक को ट्रांसफर कर दिया जाएगा.
उम्मीद है कि तीन से चार महीने में इस प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा और बाजार में यह मशीन किसानों को आसानी से मिलने लगेगी. धान रोपाई की मशीन पर रिमोट तकनीक लगवाने में एक लाख रुपये का खर्च आ सकता है. जबकि बाजार में मशीन की कीमत तीन से साढ़े तीन लाख रुपये हैं.
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पीएयू के साइंटिस्ट डॉ. शिव कुमार लोहान ने किसान तक को बताया कि धान रोपाई की मशीन पहले से ही बाजार में मौजूद है. इसका आकार बहुत बड़ा है. इसमे बड़े-बड़े पहिए लगे हैं. ट्रेक्टर की तरह से इसमे ड्राइविंग सीट और स्टे रिंग भी है. यह डीजल से चलती है. वहीं एक दूसरी मशीन और भी है. लेकिन इस मशीन को खेत में आगे बढ़ाने के लिए किसान को मशीन के पीछे लगे हैंडिल से आपरेट करना पड़ता है. हैंडिल से ही मशीन को दांय-बांय मोड़ा भी जा सकता है.
पीएयू ने इसी मशीन पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तहत रिसर्च करते हुए इसे एक रिमोट से जोड़ा है. साइंटिस्ट का कहना है कि खेत के बाहर खड़े किसान के हाथ में रिमोट होगा. इस रिमोट से किसान मशीन को दांय-बांय मोड़ने के साथ ही कहीं भी रोक सकेगा. इंजन को ऑन-ऑफ भी कर सकेगा. जहां से मशीन साफ-साफ दिखाई दे रही हो उतनी दूरी से भी मशीन को रिमोट की मदद से ऑपरेट किया जा सकेगा.
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साइंटिस्ट डॉ. शिव कुमार लोहान ने बताया कि धान के खेत में मशीन पूरी तरह रिमोट से काम करेगी. लेकिन जब मशीन की ट्रे में रखे धान के बीज खत्म हो जाएंगे तो दूसरी ट्रे को हाथ से ही मशीन पर लोड करना होगा. लेकिन इसके लिए किसान को खेत में जाने की जरूरत फिर भी नहीं पड़ेगी. खेत के किनारे पर मशीन को लाकर किसान हाथ से बीज की ट्रे को मशीन पर लोड कर सकता है.
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