कोई साल ऐसा नहीं जाता है जब फसल के वक्त प्याज फेंकने या उसके 50 पैसे और एक रुपये किलो दाम मिलने की खबरें न आएं. अक्सर ही इस तरह के वीडियो सामने आते हैं कि किसान अपनी प्याज को फेंक रहे हैं या खेत में ट्रेक्टर चलाकर प्याज को उसी में दबा देते हैं. और यह सब तब होता है जब बाजार प्याज से पट जाता है. क्योंकि लम्बे वक्त के लिए प्याज को स्टोर करने की अभी कोई खास कारगर तकनीक नहीं है, जिसके चलते खेत से निकालकर प्याज को सीधे ही बाजार में बेचना पड़ता है.
पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (पीएयू), लुधियाना ने जाल से एक ऐसा उपकरण तैयार किया है जिसमें छह महीने तक प्याज को स्टोर करके रखा जा सकता है. इसकी लागत भी कोई ज्यादा नहीं है. हालांकि पीएयू ने अभी ट्रायल के तौर पर एक छोटा सा ही उपकरण बनाया है. लेकिन पीएयू के प्रोफेसर के मुताबिक यह उपकरण कामयाब है. और इसकी लागत 30 हजार रुपये तक आती है.
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पीएयू के प्रोफेसर डॉ. महेश ने किसान तक को बताया कि हमने प्याज को स्टोर करने के लिए ट्रायल बतौर यह उपकरण बनाया है. इसकी ऊंचाई 1.25 मीटर और चौड़ाई भी 1.25 मीटर है. इसमे सवा टन तक प्याज आ सकती है. लोहे के एंगिल पर इसे जाली से बनाया गया है. बीच में 32 डिग्री का ढलान देते हुए दो जाली लगाई गई हैं. इसके साथ ही बीच की जगह में नीचे से लेकर ऊपर तक 1.5 मीटर लम्बा पाइप लगाया गया है.
सबसे नीचे एक पंखा भी लगाया गया है. जिससे होता यह है कि प्याज चाहें जाल के किनारे हो या ऊपर और नीचे, यहां रखी सभी प्याज तक हवा पहुंचती रहती है. इसलिए इस उपकरण में ऐसा नहीं होता कि प्याज को एक साइड से तो हवा मिल रही है और दूसरी साइड से नहीं मिल रही है. लेकिन जब ऐसा होता है तो तभी प्याज के खराब होने की पूरी आशंका बनी रहती है.
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प्रोफेसर डॉ. महेश ने बताया कि जब खेत में प्या ज की क्योरिंग होती है तो उस दौरान जरा सी लापरवाही प्याज पर भारी पड़ जाती है. और यही लापरवाही रोटिंग की बड़ी वजह बन जाती है. रोटिंग उसे कहते हैं जब प्याज की क्योरिंग अच्छे से न हो और उसमे नमी रह जाए. इसी नमी और खेत की मिट्टी के चलते ही प्याज में और दूसरी बीमारी भी लगने लगती हैं.
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