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'AI आधारि‍त खेती से 30 प्रतिशत बढ़ सकता है उत्‍पादन', गन्‍ना फसल पर हो रहा प्रयोग

'AI आधारि‍त खेती से 30 प्रतिशत बढ़ सकता है उत्‍पादन', गन्‍ना फसल पर हो रहा प्रयोग

महाराष्‍ट्र में गन्‍ने की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. यही वजह है कि यह गन्‍ना उत्‍पादन में शीर्ष राज्‍यों में शामिल रहता है और यहां चीनी उत्‍पादन भी अध‍िक होता है. बीते कुछ सालों में गन्‍ने की पैदावार में अनश्चि‍तता के चलते अब AI का उपयोग बहुत जरूरी हो गया है. इसके लिए बारामती से एक प्रोजेक्‍ट भी चल रहा है, जो इस दिशा में काम कर रहा है.

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गन्‍ने की खेती में एआई का इस्‍तेमाल. (सांकेतिक फोटो) गन्‍ने की खेती में एआई का इस्‍तेमाल. (सांकेतिक फोटो)

महाराष्‍ट्र के ग्रामीण अंचलों में एक बड़ा वर्ग आजीविका के लिए खेती और पशुपालन करता है. यह राज्‍य हर साल प्राकृतिक आपदाओं सूखा और बाढ़ जैसी सभी स्थितियां झेलता है. यहां गन्‍ने की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, लेकिन पैदावार में काफी अनिश्‍चितता रहती है. ऐसे में यहां के किसानों को खेती के लिए तकनीक के इस्तेमाल से जोड़ना बेहद जरूरी है. इसी क्रम में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरद पवार (NCP-SP) के प्रमुख शरद पवार ने खेती में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के इस्तेमाल से होने वाले फायदों पर बात की. वे बुधवार को बारामती में कृषि विकास ट्रस्ट के कामों का जायजा लेने पहुंचे थे. इस दौरान उन्‍होंने कहा कि खेती में एआई के उपयोग से किसानों को उत्पादन में 30 प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ ज्‍यादा फायदा हो सकता है. 

किसानों को होगा बहुत फायदा

शरद पवार ने कहा कि खेत अब बंजर हो रहे हैं, लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से इसमें काफी सुधार हो सकता है. राज्‍य के किसानों को एआई-आधारित खेती से 30 प्रतिशत उत्‍पादन वृद्धि होने के साथ 30 से 35,000 करोड़ रुपये का लाभ हो सकता है. कृषि विकास ट्रस्ट के अध्यक्ष राजेंद्र दिनकराव पवार ने बताया कि अपनी संस्था के द्वारा एआई तकनीक के इस्‍तेमाल पर बात की. साथ ही यह भी बताया कि इससे पूरे देश को कैसे फायदा पहुंच सकता है.

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डेटा पर काम करती है AI तकनीक

राजेंद्र पवार ने कहा , "AI आधाारित खेती सिर्फ़ बारामती तक सीमित नहीं है, इसका उपयोग दुनिया में किसी भी तरह की खेती के लिए कर सकते हैं. इस तकनीक में डेटा एक बड़ा फैक्‍टर है. यह तकनीक डेटा के अनुसार चीजें बताती है. खेती में इसके इस्‍तेमाल से खाद बचाने में बहुत मदद मिलती है, क्‍योंकि यह फसलों पर जरूरत के अनुसार ही खाद छिड़कती है, जिससे पैसों की बचत होगी और लागत कम आएगी.'' 

उन्‍होंने कहा कि यहां तापमान और मौसम में बदलाव की वजह से बड़े पैमाने पर फसल की बर्बाद देखने को मिलती है, लेकिन AI के इस्‍तेमाल से फसल और उपज दोनों में इज़ाफा होगा. गन्ना किसानों के लिए ज्‍यादा पैदावार बहुत जरूरी है, क्‍योंकि गन्‍ना पैदावार बढ़ने से ही चीनी का उत्‍पादन बढ़ेगा और चीनी मिलों को भी फायदा होगा. 

गन्‍ने की खेती की ये समस्‍याएं होंगी हल

यह प्रोजेक्‍ट गन्ने की खेती में कम पैदावार, उत्पादन लागत बढ़ने, कीट और रोग नियंत्रण, उर्वरक और जल प्रबंधन आदि मुख्य चुनौतियों पर पार पाने के लिए AI, कम्प्यूटेशनल एप्रोच मशीन लर्निंग और IoT (इंटरनेट ऑफ थि‍ंग्‍स) का इस्‍तेमाल करेगा, जिसका लक्ष्‍य AI आधारित उपायों से किसानों के लिए उत्पादन स्थिरता को बढ़ाना है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, माइक्रोसॉफ्ट और कृषि विकास ट्रस्ट, बारामती पिछले तीन सालों से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग को खेती में लागू करने पर काम कर रहे हैं. बारामती के कृषि विज्ञान केंद्र में इसका सफल परीक्षण भी किया जा चुका है.

गन्‍ना उत्‍पादन में स्थि‍रता लाना उद्देश्‍य

कृषि विकास ट्रस्ट, बारामती हजारों गन्ना किसानों के खेतों में रिसर्च में सामने आए निष्कर्षों को लागू कर रहा है. पहले चरण में राज्य भर में हजारों में से 200 गन्ना किसानों के खेतों में जलवायु परिवर्तन, सैटेलाइट बेस्‍ड जियाग्राफिकल सिस्‍टम, मशीन लर्निंग, इंटरनेट जैसी आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से प्रयोग किया जा रहा है. इस रिसर्च और एआई के उपयोग का उद्देश्य भविष्य में कम लागत में अधिक उत्पादन वाली गन्ने की खेती को बढ़ावा देना है. (एएनआई)