
Bater Palan Business: बटेर पालन व्यवसाय देश के कई इलाकों में तेजी से पैर पसार रहा है. पूरे देश में छा चुके ब्रॉयलर पोल्ट्री से अगर बटेर पालन की तुलना करें तो बटेर पालन अपेक्षाकृत बहुत कम जगह में हो सकता है. इसके दाना पानी का खर्च ब्रॉयलर के मुकाबले बहुत कम है. इसलिए अब तेज़ी से बटेर पालन का व्यवसाय बढ़ रहा है. बटेर पालन हाल के दिनों में काफी प्रचलित व्यवसाय बन गया है. एक तो इसमें जोखिम कम है और लागत भी कम आती है. यानी कम पूंजी में इस व्यवसाय को शुरू किया जा सकता है. कम समय में पूंजी वापस भी हो जाती है. बेहतर मुनाफे के साथ बटेर की मार्केटिंग में भी किसी तरह की दिक्कत नही होती है. इसकी डिमांड भी लगातार बढ़ रही है.
बटेर पक्षी का नाम सुनते ही नॉन वेजिटेरियन के मुंह में पानी आ जाना स्वाभाविक सी बात है. इसके मीट की बेहतरीन क्वालिटी के कारण, लोग इस पर होने वाले खर्च की परवाह नहीं करते हैं. यही वजह है कि बटेर की क़ीमत बाज़ार में दूसरे पक्षियों के मुक़ाबले में काफी ज्यादा है. इनके पालन पर खर्च ब्रॉयलर पोल्ट्री के मुकाबले काफी कम है. यहां हर साल तकरीबन 32 मिलियन जापानी बटेरों का व्यावसायिक रूप से पालन किया जाता है.
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कुक्कट पालन व्यवसाय में मुर्गी पालन, बत्तख पालन के बाद इसका तीसरा स्थान है. यहां ये जानना भी बेहद जरूरी है कि अपने देश में 70 के दशक में बटेर पक्षी के संरक्षण के लिए इनके शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. लेकिन सन् 1974 में जब व्यावसायिक रूप से पाली जाने वाली बटेर की नस्ल जापानी बटेर की कई नस्लों का विकास किया गया, तो इसके पालन में तेजी आई.
पोल्ट्री विशेषज्ञो के अनुसार, भारत में जापानी बटेर का पालन सुगमता से किया जा सकता है, जो यहां के लिए बेहतर है. वैसे तो बटेर पालन बहुत कम जोखिम वाला व्यवसाय है, फिर भी इसके चूज़ों की सही देखभाल ज़रूरी है. इसमें भी उपयुक्त तापमान बनाए रखना अहम है. अगर एक दिन के चूजे लेकर कोई बटेर पालन करता है तो ये 5 सप्ताह में तैयार हो जाते हैं. एक बटेर 60 रुपया से लेकर 80 रुपया में बिकता है. दो सप्ताह के चूजे खरीदने से एक बटेर तैयार करने में लगभग 30 से 31 रुपया का खर्च आता है. इस तरह प्रति बटेर 30 से लेकर 50 रुपया तक फायदा मिल जाता है.
बटेर पालन में ब्रॉयलर पालन की तुलना में बहुत कम जगह का जरूरत होती है. इसके पालन के लिए शेड 3 फीट चौड़ा 5 फीट ऊंचा रखना चाहिए जिसमें बांस और जाली का इस्तेमाल किया जाता है. इस शेड में 3 खाने बने होते हैं. एक खाने में 40-45 बटेर पाला जा सकता है. यानी 15 वर्ग फीट के इस दड़बे में 3 लेयर में 130 से 150 बटेर पाला जा सकता है. खाने में बटेर को प्रीस्टार्टर राशन दिया जाता है. मार्केट में बटेर का और भी फीड उपलब्ध है, जिसे आप ले सकते हैं. एक बटेर एक दिन में औसतन 5-10 ग्राम दाना खाती है.
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वैसे तो बटेर मीट के लिए पाली जाता है, लेकिन इसके अंडों की मांग अगर स्थानीय स्तर पर है तो आप बटेर को बेचने से पहले अच्छी संख्या में इससे अंडे भी प्राप्त कर सकते हैं. यानी दोहरा मुनाफ़ा. इसके लिए ज़रूरी है कि स्थानीय लोगों का भ्रम दूर हो कि मुर्गी के अंडे इससे बेहतर होते हैं. ये साबित हो चुका है कि बटेर के अंडे पोषण के मामले में मुर्गी के अंडों से कहीं से भी कमतर नहीं हैं.
बटेर पालन खेती के साथ बेरोज़गार का या फिर आंशिक बेरोजगार का या किसी गृहस्थ का आर्थिक पक्ष मज़बूत कर सकता है. इसमें लागत कम लगती है और मुनाफा ज्यादा होता है. बटेर के चूजों के लिए और संबधित जानकारी के लिए अपने राज्य के पशु चिकित्सा महाविद्यालय के अलावा केंद्रीय पक्षी अनुसंधान केंद्र, इज्जत नगर से संपर्क कर सकते हैं.
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