पूरे देश में टमाटर ने दो महीनों से खूब सुर्खियां बटोरी हैं. अपने भाव के कारण चर्चाओं में रहने वाला टमाटर किसानों के लिए अब फायदे का सौदा बनता जा रहा है. ऐसे में भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के द्वारा टमाटर की दो ऐसी किस्में विकसित की गई हैं जो किसानों के लिए जून महीने में भी भरपूर उपज देंगी. काशी तपस और काशी अद्भुत टमाटर की दो ऐसी किस्में हैं जिनके माध्यम से गर्मी में भी किसानों को भरपूर उपज मिल सकेगी. टमाटर की इन दोनों किस्मों को विकसित करने में 12 साल लगे. भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ नागेंद्र राय टमाटर की नई किस्म को विकसित करने के लिए 2011 से काम कर रहे थे.
किसानों के लिए टमाटर की खेती के लिए कई शंकर किस्में मौजूद हैं लेकिन कोई भी किस्म में जून महीने तक नहीं चलती है. भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के द्वारा विकसित काशी तपस और काशी अद्भुत गर्मी में टमाटर की खेती के लिए दो शंकर किस्में हैं. इन किस्म के माध्यम से किसान गर्मी के तापमान में भी टमाटर उगा सकेंगे. इससे उनकी आमदनी में भी इजाफा होगा. काशी तपस और काशी अद्भुत किस्म के द्वारा किसानों को जून महीने के प्रथम सप्ताह तक उत्पादन मिल सकता है.
टमाटर की खेती करने के लिए किसान सर्द मौसम का ही चयन करते हैं क्योंकि गर्मी में टमाटर का उत्पादन और रंग दोनों ही प्रभावित होते हैं. जनवरी में टमाटर की नर्सरी तैयार करनी होती है, तब जाकर अप्रैल तक किसानों को टमाटर से फल प्राप्त होते हैं. अभी तक गर्मी में टमाटर की खेती के लिए किसानों के पास कोई किस्म नहीं थी.
भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक इसी प्रयास में लगे हुए थे कि किसानों को गर्मी में पैदा होने वाली टमाटर की शंकर किस्म मिल सके. संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ नागेंद्र राय 2011 से प्रयास कर रहे थे. इसके लिए 782 क्रॉस कंबीनेशन बनाया गया तब जाकर 12 साल के बाद काशी तपस और काशी अद्भुत नाम की दो किस्मों को विकसित किया जा सका है.
ये भी पढ़ें :Onion Price: किसानों को राहत देने के लिए दो लाख टन अतिरिक्त प्याज खरीदेगा केंद्र, सबसे ऊंचा होगा दाम
भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. नागेंद्र राय ने किसान तक को बताया कि किसान को टमाटर की खेती करने के लिए जनवरी माह में नर्सरी तैयार करनी होती है और फरवरी के प्रथम सप्ताह तक टमाटर की रोपाई करनी होती है. फिर मार्च महीने से किसान को उत्पादन मिलना शुरू होता है. काशी तपस और काशी अद्भुत किस्म से 40- 45 डिग्री के तापमान में भी उत्पादन भरपूर मिलता है.
अभी तक किसी भी किस्म से तेज गर्मी में उत्पादन नहीं मिल पाता था क्योंकि गर्मी का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस को पार करने के बाद टमाटर के अंदर लाइकोपीन पिगमेंट बदलने लगता था. इसके कारण टमाटर पीला दिखने लगता था. ये दोनों ही वैरायटी में ऐसा नहीं है. जून के प्रथम सप्ताह तक इन किस्मों के रंग और उत्पादन में कोई फर्क नहीं मिलता है.
टमाटर की ये दोनों किस्में 40 से 45 टन पैदावार प्रति हेक्टेयर देती हैं. इन नई प्रजाति से किसानों की आय बढ़ेगी. वहीं उनका मुनाफा भी बढ़ेगा. सामान्य प्रजातियों का उत्पादन 18 से 24 टन होता है. किसानों को फिलहाल इन दोनों किस्मों के बीज के लिए दो साल तक इंतजार करना होगा.
गर्मी में मैदानी क्षेत्रों में बढ़ते तापमान के चलते टमाटर के उत्पादन में काफी गिरावट हो जाती है. इसके चलते पहाड़ी राज्यों से आने वाले शंकर प्रजाति के टमाटर पर निर्भर होना पड़ता है. इनकी कीमतें भी ज्यादा होती हैं. काशी तपस और काफी अद्भुत प्रजाति की टमाटर के बाजार में आने के बाद कीमतों को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी. इन दोनों किस्मों के माध्यम से 80 से 90 दिन तक किसानों को भरपूर उत्पादन मिलता है .
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today