नई तकनीक से बैंगन की खेतीबैंगन की खेती करने वाले किसानों के लिए राहत भरी खबर है. ICAR–इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ वेजिटेबल रिसर्च (IIVR) वाराणसी ने बैंगन के लिए एक टिकाऊ और स्मार्ट IPDM (इंटीग्रेटेड पेस्ट एंड डिजीज मैनेजमेंट) पैकेज विकसित और वैलिडेट किया है, जिससे कीट-रोग नियंत्रण आसान हो जाएगा और रासायनिक स्प्रे में 50 प्रतिशत तक कमी आएगी. इससे किसानों की लागत घटेगी और आय बढ़ेगी.
बैंगन की फसल पर मुख्य रूप से तना और फल छेदक (Shoot and Fruit Borer), जैसिड्स (Jassids), सफेद मक्खी (Whitefly), एफिड्स (Aphids) और थ्रिप्स (Thrips) जैसे कीटों का प्रकोप होता है, जिससे पत्तियों को नुकसान होता है और फल खराब हो जाते हैं, जिससे भारी नुकसान होता है. इनके नियंत्रण के लिए फेरोमोन ट्रैप, नीम-आधारित कीटनाशक, एग्रोस्टार रैपिजेन जैसे रासायनिक उपाय और संक्रमित हिस्सों को हटाना जैसे एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) तरीके अपनाए जाते हैं.
बैंगन पर थ्रिप्स का प्रकोप होने पर पत्तियां पीली पड़कर मुड़ जाती हैं, उन पर सफेद निशान बनते हैं और फलों की क्वालिटी घट जाती है, जिससे उपज कम होती है. इसे रोकने के लिए नीले चिपचिपे जाल (ट्रैप) लगाएं, प्राकृतिक शत्रु कीटों को बढ़ावा दें, और कीटनाशकों जैसे लेम्ब्डा-साइलोथ्रिन या डायमेथोएट का छिड़काव करें, साथ ही फसल की स्वच्छता और प्रबंधन पर ध्यान दें, ताकि यह कीट अन्य पौधों में न फैले.
IPDM टेक्नोलॉजी वाराणसी, मिर्जापुर और भदोही में सफलतापूर्वक परीक्षण की जा चुकी है. इससे किसानों को बहुत मदद मिलेगी और फसल की सुरक्षा हो सकेगी.
यह पैकेज जैविक, सांस्कृतिक और जरूरत-आधारित रासायनिक नियंत्रण का संतुलित मिश्रण है.
मुख्य उपाय
स्प्रे तब ही करना है जब कीट स्तर आर्थिक क्षति स्तर (ETL) यानी 5% से ऊपर हो जाए.
उत्पादन सुरक्षित, पर्यावरण-अनुकूल और किसान-हितैषी
ICAR-IIVR की इस तकनीक को टिकाऊ खेती की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है और उम्मीद है कि आने वाले सीजनों में बैंगन उत्पादक किसान इससे बड़ा लाभ उठाएंगे.
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