हरियाणा के करनाल स्थित, आईसीएआर-केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान (CSSRI) के वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. वैज्ञानिकों ने खारे पानी का उपयोग करके सब्जी की खेती को आसान बनाने के लिए एक खास न्यूट्रलाइजर विकसित किया है. यह नई खोज जमीन के अंदर के खारे पानी वाले क्षेत्रों में खेती करने वाले किसानों के लिए क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है, जिससे पानी की कमी और कम उत्पादकता जैसी समस्याओं का समाधान हो सकेगा.
वैज्ञानिकों की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, हरियाणा और पंजाब में लगभग 30 फीसदी जमीन के अंदर का पानी खारे पानी के अलग-अलग स्तरों से प्रभावित है. बता दें कि इन दोनों राज्यों की देश की खाद्यान्न आपूर्ति में प्रमुख योगदान है. वहीं, खारा पानी का उपयोग कृषि में लंबे समय से एक चुनौती रहा है, जिसके कारण मिट्टी में खारापन बढ़ता है और फसल का उत्पादन कम होता है. साथ ही किसानों के लागत में भी बढ़ोतरी आती है.
आईसीएआर- CSSRI के निदेशक डॉ. आरके यादव ने कहा कि हमारे वैज्ञानिकों ने खारे पानी में सब्जियां उगाने में सफलता हासिल की है. उन्होंने कहा कि इस विकास से उन क्षेत्रों में सब्जियों की खेती और अलग-अलग सब्जियों का विस्तार संभव होगा, जहां पहले सब्जी की खेती नहीं हो पाती थी.
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यह उपलब्धि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की ओर से फंडेड परियोजना का हिस्सा है, जो 2020 में शुरू हुई थी. इसमें डॉ. निर्मलेंदु बसाक, डॉ. अरविंद कुमार राय, डॉ. पारुल सुंधा, डॉ. प्रियंका चंद्रा, डॉ. सत्येंद्र कुमार, डॉ. रंजय कुमार सिंह, डॉ. राजेंद्र कुमार यादव और डॉ. प्रबोध चंद्र शर्मा सहित वैज्ञानिकों की एक समर्पित टीम ने न्यूट्रलाइजर विकसित करने के लिए चार साल तक खूब मेहनत की.
इस सफलता में CSSRI परिसर में भिंडी और टमाटर पर सफल परीक्षण शामिल हैं. इसके बाद पंजाब के अलग-अलग क्षेत्रों में प्रयोग किए गए. सल्फर-आधारित न्यूट्रलाइजर के उपयोग से पहले जहां खेती नहीं होती थी उस जमीन पर करेला, कद्दू, लौकी और तुरई जैसी सब्जियों की खेती करके उस जमीन को उपजाऊ बना दिया गया.
डॉ. निर्मलेंदु बसाक ने कहा कि न्यूट्रलाइजर के प्रयोग के दो से तीन महीने के भीतर किसान अब हर दूसरे दिन लगभग 10 क्विंटल सब्जियां प्राप्त कर सकते हैं. न्यूट्रलाइजर ने न केवल पानी की क्वालिटी में सुधार किया है, बल्कि मिट्टी की सेहत और फसल की पैदावार को भी बढ़ाया है.
इन उपलब्धियों के साथ, CSSRI टीम अपनी इस नई तकनीक को आगे बढ़ाने के लिए आईसीएआर को प्रस्तुत करने की योजना बना रही है. यह विकास टिकाऊ कृषि की दिशा में एक कदम आगे है, जो खारा पानी और पानी की कमी की चुनौतियों से जूझ रहे किसानों के लिए उम्मीद की किरण है.
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