महाराष्ट्र के वर्धा में एक कपास किसान ने कमाल कर दिया है. इस किसान ने आसान तकनीक अपनाकर एक एकड़ में 24 क्विंटल कच्चा कपास लिया है. इस किसान का नाम दिलीप पोहाने है. दिलीप वर्धा जिले के हिंगनघाट के रहने वाले हैं. अधिक पैदावार लेने के लिए दिलीप ने 'हाई डेंसिटी प्लांटेशन सिस्टम' यानी कि HDPS तकनीक अपनाई है. भारत में कपास की खेती बड़े पैमाने पर होती है, लेकिन इसकी उपज अंतरराष्ट्रीय मानक से कम है. इसे बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार किसानों को एचडीपीएस तकनीक अपनाने पर जोर देती है. किसान दिलीप ने इसी तकनीक की मदद से कपास की उपज बढ़ाई है.
'टाइम्स ऑफ इंडिया' की एक रिपोर्ट बताती है कि अभी अमेरिका में किसान 2,000 किलो प्रति हेक्टेयर कपास की उपज लेते हैं जबकि भारत में यह पैदावार 400 किलो प्रति हेक्टेयर से भी कम है. इस उपज को बढ़ाने के लिए किसानों को घनी आबादी में कपास की फसल लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.
महाराष्ट्र के अकोला में 1500 किसान ऐसे हैं जिन्होंने इस तरह की खेती अपनाई है. इसी तरह की तकनीक वर्धा और नागपुर में भी किसान अपना रहे हैं. इसके लिए एक प्रोजेक्ट भी शुरू किया गया है जिसमें वर्धा और नागपुर के 550 किसानों ने हिस्सा लिया और उन्हें कपास की उपज बढ़ाने में इससे मदद मिली है.
केंद्र सरकार अकोला में एचडीपीएस तकनीक के जरिये 50,000 एकड़ क्षेत्र में कपास की खेती को बढ़ावा देने की योजना बना रही है. इसके लिए किसानों को सरकार की ओर से समर्थन दिया जा रहा है. इस काम में आईसीएआर के साथ CITI-CDRA (कन्फेडरेशन ऑफ इंडिया टेक्सटाइल्स इंडस्ट्री-कॉटन डेवलपमेंट एंड रिसर्च एसोसिएशन) मिलकर काम कर रहे हैं.
कपड़ा मंत्रालय ने CITI-CDRA के जरिये एचडीपीएस तकनीक को बढ़ावा देने के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है. इस प्रोजेक्ट में कपास किसानों को सरकार की ओर से 16,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से बीज पर सब्सिडी दी जा रही है. साथ ही मशीन से कपास की बुवाई करने पर सरकार की ओर से सहयोग किया जा रहा है. इस तकनी के जरिये किसान औसतन 12-15 क्विंटल की उपज ले रहे हैं. इस में एक किसान ने रिकॉर्ड 24 क्विंटल की उपज ली है. दूसरी ओर, परंपरागत तरीके से खेती में किसान 6-7 क्विंटल कपास की उपज लेते हैं.
किसान दिलीप पोहाने के पास अपने गांव में 10 एकड़ खेत है जिसमें से 2 एकड़ में एचडीपीएस तकनीक से कपास की खेती करते हैं. वे 'Times Of India' से कहते हैं, मैंने 2021 में इस तकनीक से खेती शुरू की लेकिन बीज की अच्छी क्वालिटी नहीं होने से अधिक पैदावार नहीं मिली. हालांकि रेगुलर फसल से अधिक पैदावार जरूर मिली थी. अगले साल मैंने बढ़िया क्वालिटी के बीज खरीदे और 17 क्विंटल प्रति एकड़ की उपज ली. साल 2023 में पैदावार में थोड़ी कमी रही, पर 2024 में मुझे रिकॉर्ड 24 क्विंटल की उपज मिली है. इसकी खेती में 60,000 रुपये का खर्च आया है.
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