ड्रोन खरीदने के लिए 10 लाख रुपये तक सब्सिडी दे रही सरकार, KVK में मिल रही ये खास सुविधा

ड्रोन खरीदने के लिए 10 लाख रुपये तक सब्सिडी दे रही सरकार, KVK में मिल रही ये खास सुविधा

ड्रोन की कीमतें बहुत अधिक हैं जिसकी वजह से हर किसान चाह कर भी इसे नहीं खरीद पाता. दूसरी ओर, सरकार खेती में आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ाना चाहती है. ऐसे में किसान और सरकार दोनों की मंशा पूरी करने के लिए ड्रोन विशेष स्कीम चलाई जा रही है. इस स्कीम में सरकार किसानों को ड्रोन खरीदने पर सब्सिडी देती है.

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ड्रोन खरीदने के लिए 10 लाख रुपये तक सब्सिडी दे रही सरकार, KVK में मिल रही ये खास सुविधाकृषि में ड्रोन का इस्तेमाल बढ़ाना चाह रही है सरकार

सरकार कृषि क्षेत्र में ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है. इसका सबसे खास इस्तेमाल कीटनाशकों के छिड़काव में किया जा रहा है. हाथ से कीटनाशक छिड़कने से अधिक मात्रा में खर्च होने और बर्बाद होने की संभावना बनी रहती है. कीटनाशक अधिक छिड़कने से फसलों पर उलटा असर भी होता है. साथ ही, पर्यावरण को भी भारी नुकसान होता है. इस सभी खतरों से बचाने के लिए सरकार ने कुछ नियम-कायदे के साथ खेती में ड्रोन के इस्तेमाल को हरी झंडी दी है. इसके लिए सरकार ने SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) बनाए हैं. एसओपी में बताया गया है कि किस फसल में ड्रोन से किस तरीके से कीटनाशकों का छिड़काव किया जाना है. इससे किसानों का समय बचेगा, साथ ही कीटनाशक की बर्बादी, पैसे का खर्च भी कम होगा.

ड्रोन की कीमतें बहुत अधिक हैं जिसकी वजह से हर किसान चाह कर भी इसे नहीं खरीद पाता. दूसरी ओर, सरकार खेती में आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ाना चाहती है. ऐसे में किसान और सरकार दोनों की मंशा पूरी करने के लिए ड्रोन विशेष स्कीम चलाई जा रही है. इस स्कीम में सरकार किसानों को ड्रोन खरीदने पर सब्सिडी देती है. ऐसी ही एक खास स्कीम कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के जरिये चलाई जा रही है जिसमें किसान बिना किसी पूंजी के ड्रोन ले सकता है. अगर कोई किसान केवीके से ड्रोन खरीदता है तो उसे सरकार की तरफ से 100 फीसद (प्रति ड्रोन 10 लाख रुपये तक) तक सब्सिडी दी जा रही है. इस स्कीम का मकसद है कि अधिक से अधिक किसान ड्रोन खरीदें और फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव करें.

ड्रोन खरीद के लिए नई स्कीम शुरू

सरकार किसानों की सुविधा, लागत घटाने और आय बढ़ाने के लिए ड्रोन उपयोग को बढ़ावा दे रही है. इसके लिए ड्रोन खरीदने में अलग-अलग वर्गों को छूट दी गई है. व्यक्तिगत तौर पर ड्रोन खरीद के लिए भी सब्सिडी देने के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए है. इसके अंतर्गत अनुसूचित जाति- जनजाति, लघु और सीमांत, महिलाओं और पूर्वोत्तर राज्यों के किसानों के लिए ड्रोन की खरीद के लिए ड्रोन लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम पांच लाख रुपये की सहायता दी जाती है. अन्य किसानों को 40 प्रतिशत या अधिकतम चार लाख रुपये की सहायता दी जाती है.

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सरकार की इन सुविधाओं की मदद से देश में कृषि ड्रोन की बिक्री बड़े पैमाने पर शुरू हुई है. इससे दोतरफा फायदा देखा जा रहा है. एक तरफ ड्रोन बनाने वाली कंपनियों का काम बढ़ रहा है. इन कंपनियों में नई टेक्नोलॉजी आने से लोगों को रोजगार मिल रहा है. दूसरी तरफ किसानों के हाथ में खेती के लिए आधुनिक तकनीक आ रही है. ड्रोन तकनीक ऐसी है जिससे किसानों के कीटनाशकों और उर्वरकों के छिड़काव आदि का खर्च बच रहा है. यही वजह है कि सरकार अधिक से अधिक सब्सिडी देकर किसानों तक ड्रोन टेक्नोलॉजी पहुंचाना चाह रही है.

ड्रोन से कीटनाशक छिड़काव का SOP जारी

अब तक किसानों को पता नहीं था कि ड्रोन से किस पैमाने पर फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव करना है. किसानों को यह भी पता नहीं था कि किस फसल के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कैसे करना है. इन सभी चिंताओं को दूर करने के लिए सरकार ने एसओपी जारी कर दिया है जिससे किसानों में जागरूकता बढ़ेगी. ड्रोन से छिड़काव आदि की जागरूकता कृषि के छात्रों में भी फैलाई जा रही है ताकि ड्रोन के काम में रोजगार पा सकें. साथ ही खुद के खेतों में भी ड्रोन का उपयोग कर सकें.

अगर कोई व्यक्ति ड्रोन के क्षेत्र में रोजगार पाना चाहता है, तो सरकार ने उनके लिए भी व्यवस्था की है. किसान सहकारी समिति और ग्रामीण उद्यमियों को ड्रोन के क्षेत्र में सरकार की तरफ से कई तरह की सहायता दी जा रही है. अगर कोई व्यक्ति ड्रोन के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर खोलता है तो उसे ड्रोन खरीद के साथ पार्ट्स पुर्जों की खरीद पर भी सब्सिडी दी जा रही है. ये हायरिंग सेंटर वही होते हैं जहां से लोग अपने इस्तेमाल के लिए ड्रोन किराये पर ले सकते हैं. 

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हायरिंग सेंटर चलाने वाला व्यक्ति ड्रोन के पुर्जों की खरीद के लिए 40 परसेंट की दर से या अधिकतम चार लाख रुपये की सब्सिडी ले सकता है. कस्टम हायरिंग सेंटर बनाने वाले कृषि ग्रेजुएट ड्रोन लागत के 50 परसेंट की दर से अधिकतम पांच लाख रुपये तक वित्तीय सहायता ले सकते हैं.

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