फलों का राजा कहलाने वाला आम विभिन्न वैरायटियों में आता है, देश में कई ऐसी किस्म के आम हैं, जो बाजार में महंगे दाम पर बिकते हैं और निर्यात भी किए जाते हैं. आम की ऐसी ही एक किस्म ‘हापुस’ भी है, जिसका नाता महाराष्ट्र से है और बेहद ही लोकप्रिय है. अगर आप हापुस आम खाने के शौकीन हैं और कोई आपको इसके नाम पर अन्य किस्म का आम ना बेच सके, इसके लिए तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. अब कोई भी झूठ बोलकर किसी भी किस्म को हापुस आम के नाम से नहीं बेच सकेगा.
महाराष्ट्र के देवगढ़ में उगने वाले खास ‘हापुस’ आम को लेकर फल के उत्पादकों ने छेड़छाड़-रोधी खास आइडेंटिटी सील बनाई है. कृषि उत्पादकों की एक सहकारी समिति के एक बोर्ड मेंबर ने बताया कि देवगढ़ अल्फांसो आम एक प्रतिष्ठित ब्रांड की तरह है, इसलिए इसकी प्रमाणिकता को बनाए रखने के लिए कानूनी रूप से इसकी मार्केटिंग (खरीद-बिक्री) के लिए टीपी सील स्टिकर लगाना जरूरी है. देवगढ़ तालुका मैंगो ग्रोअर्स कोऑपरेटिव सोसाइटी ने कहा कि अल्फांसो जीआई के पंजीकृत स्वामी के रूप में, यह किसानों की रक्षा करने और ब्रांड की अखंडता को बनाए रखने के लिए अपने कानूनी अधिकारों का प्रयोग करना चाहता है.
सोसाइटी के बोर्ड मेंबर अधिवक्ता ओमकार सप्रे ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य गलत लेबल वाले आमों को खत्म करना है, जो बाजार में घुसपैठ कर असली देवगढ़ अल्फांसो के रूप में बेचे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि वर्तमान में देवगढ़ अल्फांसो के नाम से बेचे जाने वाले 8 प्रतिशत से अधिक आम नकली हैं, जिससे वास्तविक किसान अपनी सही कमाई से वंचित हो रहे हैं.
सप्रे ने कहा कि सिंधुदुर्ग जिले के देवगढ़ तालुका में उगाए जाने वाले देवगढ़ अल्फांसो आम ने अपनी अनूठी सुगंध और स्वाद के कारण एक सदी से भी अधिक समय से प्रीमियम प्रतिष्ठा का आनंद लिया है. हालांकि, देवगढ़ अल्फांसो के नाम से गलत लेबल वाले घटिया आमों की व्यापक बिक्री ने हमें यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया है. उन्होंने कहा कि सोसायटी ने एक सख्त पहचान प्रणाली को लागू करने के लिए पेटेंट यूआईडी तकनीक में विशेषज्ञता रखने वाली मुंबई स्थित एक कंपनी के साथ साझेदारी की है.
देवगढ़ के प्रत्येक जीआई-रजिस्टर्ड किसान को उनके पास मौजूद पेड़ों की संख्या और उत्पादन क्षमता के आधार पर टीपी सील यूआईडी मिलेगी. किसान बाजार में भेजने से पहले हर आम पर यूनिक (अनोखे) स्टिकर लगाएंगे. सप्रे के अनुसार, हर स्टीकर में एक अल्फ़ा-न्यूमेरिक कोड होता है, एक कोड ऊपर दिखाई देता है, जबकि इस दूसरा कोड स्टीकर के नीचे होता है, जिसे स्टीकर निकालने पर ही देखा जा सकता है. ऐसे में यह चेक करने के लिए कि वाकई में हापुस आम असली है या नकली, इसके लिए उपभोक्ता 9167668899 पर स्टिकर की तस्वीर भेजकर वॉट्सऐप के जरिए आम की प्रमाणिकता की पुष्टि कर सकते हैं.
इस प्रकिय्रा में सिस्टम उपयोगकर्ता को सत्यापन के लिए दूसरा छिपा हुआ कोड दर्ज करने के लिए कहेगा. सफल मिलान होने पर, सिस्टम किसान या विक्रेता का नाम, मूल गांव और जीआई रजिस्ट्रेश नंबर जैसी जानकारी देगा. उन्होंने कहा कि इस मजबूत प्रमाणीकरण सिस्टम से उपभोक्ता का विश्वास बढ़ने और देवगढ़ अल्फांसो आम की विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त प्रतिष्ठा की रक्षा होने की उम्मीद है. सोसाइटी ने देवगढ़ अल्फांसो नाम से आम की अन्य किस्मों की बिक्री के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है. (पीटीआई)
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