अगले कुछ महीनों में जब लोकसभा चुनाव होंगे तो उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी एक बड़ा उलटफेर देखने को मिलेगा. शुक्रवार को जो कुछ भी हुआ उससे साफ है कि जयंत चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) अब यह तय है कि आगामी लोकसभा चुनाव में अब समाजवादी पार्टी के साथ चुनाव नहीं लड़ेगी. साथ ही जयंत चौधरी के बयान ने भी यह साफ कर दिया है कि चुनावों में उनकी पार्टी बीजेपी के साथ हाथ मिलाने जा रही है. केंद्र सरकार ने जयंत के दादा और पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का ऐलान किया. इसके बाद ही इस बात पर विराम लग गया कि जयंत बीजेपी के साथ जाएंगे या नहीं. जयंत, वह शख्सियत हैं जिनकी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में गहरी पकड़ है.
जयंत चौधरी भारत के पांचवें प्रधान मंत्री चौधरी चरण सिंह के पोते और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजीत सिंह के बेटे हैं. वर्तमान में, वह राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के उपाध्यक्ष हैं. जयंत सन् 1894 के भूमि अधिग्रहण कानून और यूपी में बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण के आलोचक रहे हैं. वह राज्य और मथुरा, नोएडा, हाथरस, ग्रेटर नोएडा, आगरा और अलीगढ़ जिलों में भूमि के अनुचित अधिग्रहण के विरोध में आंदोलनों का हिस्सा रहे हैं.
जयंत का जन्म 27 दिसंबर 1978 को डलास, अमेरिका में हुआ था. उनके पिता अजीत सिंह केंद्रीय मंत्री रहे थे और कई बार सांसद रहे थे. पूर्व लोकसभा सांसद जयंत चौधरी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री वेंकटेश्वर कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की. साल 2002 में उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस से अकाउंटिंग और फाइनेंस में मास्टर डिग्री हासिल की. साल 2021 में कोविड-19 संक्रमण के कारण अजित सिंह की मृत्यु के बाद जयंत ने रालोद का नेतृत्व करना शुरू कर दिया. जयंत की शादी चारु सिंह से हुई है और उनके दो बच्चे हैं.
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जयंत चौधरी 15वीं लोकसभा में उत्तर प्रदेश के मथुरा से सांसद थे. रालोद नेता ने पांच अगस्त, 2011 को लोकसभा में भूमि अधिग्रहण पर एक निजी विधेयक पेश किया. उन्होंने अधिक पारदर्शिता के लिए पीपीपी (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) को शामिल करने के लिए अधिनियम की प्रयोज्यता बढ़ाने के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम में संशोधन करने के लिए एक निजी सदस्य के विधेयक का भी प्रस्ताव रखा था. चौधरी ने साल 2014 के आम चुनाव में मथुरा से चुनाव लड़ा था, हालांकि, वह भाजपा उम्मीदवार हेमा मालिनी से हार गए थे.
लोकसभा में अपने पहले कार्यकाल के दौरान, आरएलडी प्रमुख विभिन्न संसदीय समितियों के सदस्य थे; वाणिज्य, कृषि और वित्त पर स्थायी समितियां, वित्त पर सलाहकार समिति, नैतिकता पर समिति और सरकारी आश्वासनों पर समिति. वह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के जनरल बोर्ड के सदस्य भी रहे हैं. चौधरी ने फिक्की इंडो-ब्रिटिश फोरम ऑफ पार्लियामेंटेरियन्स की सह-अध्यक्षता भी की है और इंडो-वेनेजुएला संसदीय मैत्री समूह के सदस्य थे. इसके अलावा, जयंत चौधरी 1978 में पूर्व प्रधान मंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह द्वारा स्थापित किसान ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं.
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