गुजरात का एक अनोखा गांव, जिसके अनोखे हैं नियम, जहां कभी नहीं हुआ कोई चुनाव 

गुजरात का एक अनोखा गांव, जिसके अनोखे हैं नियम, जहां कभी नहीं हुआ कोई चुनाव 

गुजरात के राजकोट जिले का एक अनोखा गांव राज समढियाला अपने नियमों और कानूनों की वजह से और खास बन जाता है. इस गांव के नियम और प्रतिबंध गांव के पादर में लिखे हुए है.  राज समढियाला गांव राजकोट शहर से 22 किमी दूर राजकोट, भावनगर हाई वे पर स्थित है. 

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गुजरात का एक अनोखा गांव, जिसके अनोखे हैं नियम, जहां कभी नहीं हुआ कोई चुनाव गुजरात का यह गांव आज रामराज्‍य की मिसाल बन गया है

गुजरात के राजकोट जिले का एक अनोखा गांव राज समढियाला अपने नियमों और कानूनों की वजह से और खास बन जाता है. इस गांव के नियम और प्रतिबंध गांव के पादर में लिखे हुए है.  राज समढियाला गांव राजकोट शहर से 22 किमी दूर राजकोट - भावनगर हाई वे पर स्थित है.  जब सुशासन की बात आती है तो राम राज्य की याद आती है. राम राज्य का वो समय था जब कोई अपराध नहीं होता था. राम राज्य के दौरान सभी लोग खुश थे, आज हम आपको राजकोट के राज समढियाला गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां आज भी रामराज्य जैसा माहौल है. 

गांव में बैन है चुनाव प्रचार 

इस गांव के अब तक कभी भी न तो कभी पुलिस आई है, ना ही पुलिस केस हुआ है. यहां गली-गली समृद्धि और रामराज्य की परिकल्पना साकार होती है. इस गांव में आजादी के बाद कभी भी कोई चुनाव नही हुआ है. गांव की सर्व सम्मति से सरपंच चुना जाता है.  विधानसभा और लोकसभा चुनावों में 95-96% मतदान होता है, 4-5% लोगों को छोड़कर जो किसी कारण से गांव में मौजूद नहीं होते हैं, सभी उपस्थित होकर मतदान करते हैं. इस गांव में किसी भी राजनैतिक पार्टी को चुनाव प्रचार के लिए आने पर भी प्रतिबंध है. 

कैसे चुना जाता है सरपंच 

ग्राम पंचायत सदस्यों को इसकी जिम्मेदारी देने का फैसला किया जाता है. उनके फैसले को ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से स्वीकार किया. ऐसा नहीं है कि इस गांव के लोग हमेशा चुनाव प्रक्रिया से दूर रहते हैं..राज समढीयाला गांव में सिर्फ ग्राम पंचायत के चुनाव नही होते है,पर विधानसभा और लोकसभा में यहां के लोगों में मतदान के प्रति अभूतपूर्व जागरूकता देखने को मिलती है, जहां पूरे राज्य में करीब 60 से 70% वोटिंग होती है. वहीं राज समढीयाला गांव में करीब 90 से 96 प्रतिशत वोटिंग दर्ज होती है.  इस तरह इस गांव में मतदान के प्रति और समरस गांव के बारे मे अप्रतिम जागरूकता देखने को मिलती है. इस गांव में कभी कोई जातिवाद या ऐसी घटना सामने नही आई है. सभी धर्म और जाति के लोग कोई भी भेदभाव के बिना मिल जुलके रहते है. 

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पूरा गांव सीसीटीवी से लैस 

पूरा गांव वाई-फाई और सीसीटीवी कैमरों से लैस है. इस गांव की मुख्य सड़कें सीमेंट की सड़कों से बनी हैं. कहीं भी खुली नालियां नहीं हैं. पूरा गांव भूमिगत जल निकासी लाइनों से सुसज्जित है. यहां सोलर स्ट्रीट की रोशनी है. गांव के लोगों को एक समान पानी मिले इसके लिए विशेष जल आपूर्ति व्यवस्था रखी गई है. यहां बच्चों के लिए एक अच्छी आंगनवाड़ी है. 

इसके अलावा एक प्राथमिक विद्यालय और एक माध्यमिक विद्यालय भी है. गांव के लोगों को गांव में ही इलाज मिल सके इसलिए पीएचसी सेंटर भी उपलब्ध है. इस गांव में करीब 300 घर के बीच 100 कारें है. यह इस गांव की समृद्धि का प्रमाण है. इस गांव की ग्राम पंचायत की फिक्स डिपॉजिट दो करोड़ रुपए है. उसके ब्याज से ही पूरे गांव का विकास कार्य और खर्च आराम से निकलता है. 

आज तक नहीं हुआ कोई क्राइम 

अब तक इस गांव को राष्‍ट्रीय स्तर का ग्राम विकास पुरस्कार मिल चुका है. राज्य स्तरीय सर्वश्रेष्ठ जल संचयन पुरस्कार, राज्य स्तरीय सर्वश्रेष्ठ किसान पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ सरपंच पुरस्कार. इसके अलावा निर्मल ग्राम पुरस्कार, तीर्थग्राम पुरस्कार, समरस ग्राम पंचायत पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत पुरस्कार मिल चुका है.  राजकोट से करीब 22 किमी दूर, राजसमढियाला एक ऐसा गांव है जहां कभी कोई अपराध नहीं हुआ है. 

गांव के लोगों और पंचायत द्वारा तय किए गए नियम ही इस गांव का कानून हैं. यहां की अपनी लोक अदालत ग्रामीणों के लिए सर्वोच्च है.  ग्रामीणों को कभी कोर्ट की सीढ़ियां भी नहीं चढ़नी पड़ी, क्योंकि यहां की लोक अदालत और ग्राम पंचायत समिति ही न्याय करती है। अगर कोई भी छोटी-बड़ी समस्या आती है तो उसे गांव की लोक अदालत में पेश किया जाता है, जिसके बाद यहां पंचायत समिति की बैठक होती है. उनके द्वारा ही कोई निर्णय लिया जाता है.. वही निर्णय मान्य माना जाता है.

कूड़ा फेंकने पर लगता जुर्माना 

कोई भी सार्वजनिक स्थान पर कूड़ा नहीं फेंक सकता. कूड़ा फेंकता है तो उसे 51 रुपए का जुर्माना भरना पड़ता है.. यहां लोगों को नशा करने की भी इजाजत नहीं है. इस गांव में गुटखा या तंबाकू भी नहीं बेचा जाता.  अगर कोई इन नियमों का उल्लंघन करता है तो उसे जुर्माना भरना पड़ता है. राज समढीयाला गांव में लोग अपनी मर्जी से किसी पेड़ की एक शाखा भी नहीं काट सकते. यहां पेड़ या उसकी शाखा काटना भी अपराध माना जाता है. 

यह गांव प्लास्टिक मुक्त हो चुका है. वर्षों से गांव यहां जब हर कोई कोई सामान खरीदता है तो व्यापारी पैकेट पर ही खरीदने वाले का नाम लिख दिया जाता है ताकि अगर कहीं भी प्लास्टिक फेंका जाए तो पता चल जाए कि किसने फेंका है. नशेड़ियों या इधर-उधर गंदगी फैलाने वालों को दंडित करने का भी प्रावधान है. (रौनक मजीठिया की रिपोर्ट)

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