चार अप्रैल को पश्चिम बंगाल के कूच बिहार में दो ऐसी चुनावी रैलियां होने वाली हैं, जिन पर सबकी नजरें टिकी होंगी. एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां पर एक जनसभा को संबोधित करेंगे तो वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी एक रैली करने वाली हैं. ममता गुरुवार को रैली से पहले कूच बिहार में बुधवार को चाय बागानों में काम करने वाले मजदूरों और बाकी मतदाताओं के साथ जनसंपर्क में व्यस्त रही. उनके जनसंपर्क का तरीका भी थोड़ा हटकर था. यहां पर ममता ने न केवल चाय बनाईं बल्कि उसे सर्व भी किया. गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हलचल बढ़ती जा रही है. पिछले लोकसभा चुनावों ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने यहां पर अच्छा प्रदर्शन किया था.
गुरुवार को मुख्यमंत्री ममता जलपाइगुड़ी के चालसा इलाके में थीं. ममता बनर्जी ने जनसंपर्क अभियान के तहत चाय की पत्तियां तोड़ने से लेकर चाय बनाने तक का काम किया. सबसे पहले ममता बनर्जी चालसा इलाके में एक चाय बगान में पहुंचीं. यहां पर उन्होंने चाय बागान से जुड़े मजदूरों से बातचीत की और उनकी समस्याएं सुनी. ममता ने बागान से चाय की पत्तियां तक तोड़ी. बाद में जनसंपर्क अभियान के तहत ममता बनर्जी एक चाय की दुकान में पहुंच गईं. यहां पर उन्होंने खुद चाय बनाई और लोगों को पिलाई. उन्होंने स्कूली बच्चों से भी मुलाकात की और उनसे बातचीत की.
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ममता को इससे पहले भी चाय की पत्तियां चुनने और चाय बनाते देखा जा चुका है. इस बार ममता बनर्जी और तृणमूल को कांग्रेस की ओर से उत्तर बंगाल में काफी जोरशोर से चुनावी प्रचार किया जा रहा है. पिछली बार उत्तर बंगाल की सभी सात लोकसभा सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी. जबकि तृणमूल कांग्रेस एक भी सीट हासिल नहीं कर पाई थी. ऐसे में पिछले सप्ताह जैसे ही जलपाईगुड़ी में तूफान से तबाही हुई, ममता रातोंरात जलपाईगुड़ी पहुंच गई थीं. वह तब से ही यहां पर हैं.
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हालांकि इस दौरान उन्होंने चुनाव प्रचार नहीं किया लेकिन बुधवार को जनसंपर्क अभियान के तहत लोगों से जरूर मिलीं. गुरुवार को कूचबिहार और जलपाईगुड़ी से ममता बनर्जी का चुनाव प्रचार शुरू हो रहा है. लोगों से बातचीत के दौरान उन्होंने जलपाईगुड़ी में ढोल बजाते हुए आदिवासी समुदाय के साथ डांस भी किया. इससे पहले मंगलवार को, तृणमूल सुप्रीमो ने बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने इसे 'जुमला' सरकार करार दिया. ममता ने आरोप लगाया कि यह सरकार कभी भी जरूरत और आपदा के समय लोगों के साथ खड़ी नहीं हुई है.
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