किसान आंदोलन के बीच ही हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का एक बयान किसानों को नाराज कर रहा है. खट्टर ने प्रदर्शनकारी किसानों को 'सिरफिरे लोग' (पागल लोग) कहकर अपने लिए आफत मोल ले ली है. उनकी इस टिप्पणी की किसान समुदाय में काफी आलोचना हो रही है. मंगलवार देर रात खट्टर ने निसिंग में अपनी सार्वजनिक मीटिंग के दौरान यह बयान दिया है. अब किसानों ने खट्टर पर उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाते हुए उनसे माफी की मांग की है.
खट्टर ने अपने सार्वजनिक आउटरीच कार्यक्रम के हिस्से के तहत मंगलवार शाम को गंगाटेहरी पोपरा गांव से निसिंग तक एक रोड शो किया. रास्ते में कई गांवों में उन्हें काले झंडों का सामना करना पड़ा. किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने अधिकारियों को कुछ गांवों में खट्टर के मार्ग को बदलने के लिए मजबूर किया. वहीं खट्टर ने इस दावे को झुठला दिया. खट्टर ने कहा, ' मुझे इस रोड शो के दौरान लोगों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली. कई लोगों ने खुले दिल से हमारा स्वागत किया. हालांकि, अपने खुद के उद्देश्यों के साथ कुछ 'सिरफिरे लोग' भी थे. लेकिन यह लोकतंत्र में अच्छा नहीं है.'
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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बाकी उम्मीदवारों को भी खट्टर की तरह किसानों के विरोध प्रदर्शन करना पड़ा है. खट्टर ने जींद के पीलू खेड़ा गांव में भी ऐसा ही बयान दिया. यहां पर भी उन्होंने किसानों के लिए 'क्रेजी' शब्द का प्रयोग किया. मीडिया से बात करते हुए, खट्टर ने कहा कि केवल कुछ लोग ही बीजेपी उम्मीदवारों का विरोध कर रहे हैं, वे पागल लोग हैं. ऐसे लोग सिर्फ 10 प्रतिशत ही हैं और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो बीजेपी को वोट देते हैं या नहीं. केवल कुछ प्रतिशत वोट ही दूसरी पार्टियों को जाएंगे क्योंकि मतदाताओं का बड़ा हिस्सा बीजेपी के साथ मजबूती से खड़ा है. उन्होंने कहा, 'हम हरियाणा की सभी 10 सीटों पर जीत सुनिश्चित करेंगे.'
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खट्टर ने सभा को संबोधित करते हुए कहा था. उन्होंने कहा, 'लोकतंत्र में विचारों की लड़ाई होती है. संविधान हर किसी को अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार देता है. आपको अपनी बात कहने और किसी भी राजनीतिक दल को चुनने की आजादी है. अगर कोई पार्टी आपकी बात नहीं सुनती है, तो आपको अपनी बात कहने की आजादी है.' हालांकि, देश बहुमत से शासित होगा, यही डॉक्टर अंबेडकर के संविधान का सार है और यह पंचायतों पर भी लागू होता है.'
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पूर्व सीएम के बयान से विवाद खड़ा हो गया और बीकेयू (सर छोटू राम) ने उनकी आलोचना की. संगठन का कहना है कि खट्टर ने किसानों के साथ जो किया उसके परिणामस्वरूप काले झंडे लहराए गए. किसान एमएसपी सुनिश्चित करने वाले कानूनों के लागू होने में देरी और बाकी किसान मुद्दों के निवारण के संबंध में उनसे जवाब मांग रहे हैं. किसान नेताओं ने कहा है कि खट्टर ने साल 2020-2021 के प्रदर्शन के दौरान मारे गए 750 किसानों का मजाक उड़ाया है. हरियाणा के किसान बीजेपी उम्मीदवारों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. वो उनसे सवाल कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में जो वादे किए थे, उनका क्या हुआ.
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