उत्तर प्रदेश बनेगा हरी मिर्च उत्पादन और निर्यात का हब, जानें किसानों को कैसे मिलेगा फायदा

उत्तर प्रदेश बनेगा हरी मिर्च उत्पादन और निर्यात का हब, जानें किसानों को कैसे मिलेगा फायदा

Varanasi News: नागेन्द्र राय ने आगे बताया कि इंदु मिर्च की दो से तीन बार तुड़ाई के बाद इसकी बनावट पतली हो जाती है, जो इसे वैश्विक बाजार में पसंदीदा बनाती है. यह मिर्च बांग्लादेश, नेपाल और गोरखपुर जैसे शहरों से लेकर सऊदी अरब तक निर्यात होती है.

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उत्तर प्रदेश बनेगा हरी मिर्च उत्पादन और निर्यात का हब, जानें किसानों को कैसे मिलेगा फायदाउत्तर प्रदेश से सब्जी निर्यात में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.

किसानों की आय को दोगुना करने के प्रयास भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IVRI Varanasi) वाराणसी द्वारा जारी हैं. इसी क्रम में विश्व बैंक की टीम ने महत्वपूर्ण दौरा किया. टीम का मुख्य उद्देश्य उत्तर प्रदेश को मिर्च उत्पादन और निर्यात का प्रमुख केंद्र बनाने की संभावनाओं का पता करना था. इस दौरान संस्थान एवं वर्ल्ड बैंक के प्रतिनिधियों ने किसानों, किसान उत्पादक संघ के प्रतिनिधि, निर्यातकों एवं वैज्ञानिकों से गहन चर्चा की.

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी के निदेशक डॉ. नागेन्द्र राय ने बताया कि संस्थान की एबीआई इकाई द्वारा मिर्च और मटर के जरिए से उत्पादकता और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए, उत्पादन और निर्यात से उद्यमशीलता की क्षमता विकसित करना और उद्यमी बनने के लिए प्रोत्साहित करना है. इसमें 10 से ज्यादा किसान उत्पादक संघों के निदेशकों एवं 40 से ज्यादा प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया. इस दौरान मिर्च एवं मटर के उत्पादन और मार्केटिंग पर चर्चा की गई.

मटर की इन प्रजातियां से किसानों की बढ़ेगी आय

चर्चा के दौरान मिर्च और मटर से जुड़े उत्पादन, लागत, बाजार समस्या और कृषकों की आवश्यकता पर बात की गयी. संस्थान के निदेशक डॉ राय ने कहा कि यह पहल उत्तर प्रदेश को मिर्च उत्पादन और निर्यात के क्षेत्र में एक प्रमुख हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. वहीं डॉ. ज्योति ने मटर की इस क्षेत्र की अग्रणी प्रजातियां जैसे काशी उदय, काशी मुक्ति, काशी अगती, काशी नंदिनी, काशी पूर्वी एवं काशी तृप्ति प्रजातियों पर जानकारी दी. जिससे किसानों की आय बढ़ेगी.

सब्जी के निर्यात से बढ़ रही है किसानों की आय

कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि पूर्वांचल क्षेत्र में काशी, सोनभद्र, मिर्जापुर गाजीपुर, बलिया, जौनपुर जिलों से सब्जी निर्यात की संभावनाएं हैं. किसानों के द्वारा गुणवत्ता सुधार भी किया जा रहा है जिसे विश्व व्यापार के अनुकूल बना दिया है. बड़े पैमाने पर भारत से सब्जी नहीं आ रहा निर्यात किया जा सकता है जिसका सीधा लाभ किसानों को मिल रहा है. बाजार में कीमतें बढ़ेंगी तो इसका लाभ भी किसानों को ही मिलेगा.

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में विश्व बैंक की टीम ने किया दौरा.
भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में विश्व बैंक की टीम ने किया दौरा.

बता दें कि वाराणसी मंडल के 19 किसानों को एक हफ्ते के प्रशिक्षण के लिए विदेश भेजा गया था. गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए उनको प्रशिक्षण दिया जा रहा है. उर्वरक से किस तरह के प्रयोग से वह अपनी पैदावार को बढ़ाएं जिससे कि अरब देशों में निर्यात के साथ- साथ यूरोप के देशों तक हम अपनी निर्यात पहुंच को बढ़ाएं. 

150 मीट्रिक टन निर्यात का लक्ष्य

उत्तर प्रदेश से सब्जी निर्यात में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि हम लोग एक कार्गो की तैयारी कर रहे हैं जिससे आने वाले समय में डेढ़ सौ मीट्रिक टन सब्जी का निर्यात कर सकें. इस दृष्टि से एपीड़ा, कृषि निर्यात विभाग उत्तर प्रदेश और मार्केटिंग डिपार्टमेंट मिलकर सहयोग करेगा.

आईवीआरआई के निदेशक डॉ. नागेन्द्र राय ने बताया कि गाजीपुर की पातालगंगा मंडी, जो नेशनल हाईवे-31 और पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के करीब स्थित है, यहां से रोजाना 200 टन मिर्च का व्यापार होता है. यह मिर्च बिहार और बंगाल होते हुए बांग्लादेश, नेपाल और यहां तक कि सऊदी अरब तक पहुंचती है. 

इंदु मिर्च की विदेशों में अधिक डिमांड

डॉ. नागेन्द्र राय ने आगे बताया कि इंदु मिर्च की दो से तीन बार तुड़ाई के बाद इसकी बनावट पतली हो जाती है, जो इसे वैश्विक बाजार में पसंदीदा बनाती है. यह मिर्च बांग्लादेश, नेपाल और गोरखपुर जैसे शहरों से लेकर सऊदी अरब तक निर्यात होती है.अपने बेहतरीन स्वाद और गुणवत्ता के कारण, गाजीपुर की इंदु मिर्च ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खास पहचान बनाई है.

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