यूपी सरकार ने प्रदेश में खाद्यान्न के उत्पादन की सही मात्रा के आकलन के लिए अब तक अपनाई जा रही पद्धति को और भी ज्यादा वैज्ञानिक बनाने के लिए 'क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट' विधि को अपनाया है. यूपी में मटर, लाही, सरसों, आलू, मसूर एवं गेहूं की कटाई शुरू हो गई है. प्रदेश में रबी सत्र की फसलों की कटाई 10 मई तक होती है. इस अवधि में अपने तरह का यह अनूठा प्रयोग किया जाएगा. मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया है कि प्रदेश में इस साल रबी की फसलों से न सिर्फ किसानों को बल्कि सरकार को भी अच्छी पैदावार होने की उम्मीद है. इसे देखते हुए योगी सरकार तकरीबन 80 हजार ग्राम पंचायतों में 3 लाख से ज्यादा क्रॉप कटिंग प्रयोग करा रही है. क्रॉप कटिंग प्रयोग को केंद्र सरकार द्वारा निर्मित ''सीसीई एग्री ऐप'' की मदद से शत प्रतिशत कराया जाना है.
इस प्रयोग को पूरा करने की जिम्मेदारी प्रदेश के राजस्व विभाग को सौंपी गई है. इसकी शुरुआत रबी सत्र की फसलों की 25 फरवरी से शुरू हो चुकी कटाई से हो गई है. इस सत्र में लाही, सरसों, आलू, मसूर, चना, अलसी, जौ एवं गेहूं की कटाई के साथ यह प्रयोग 10 मई तक चलेगा. इसमें कटाई के समय राजस्व विभाग के अधिकारी सीसीई एग्री ऐप की मदद से उपज के आंकड़े एकत्र करेंगे.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे हर सप्ताह फसलों की कटाई को लेकर समीक्षा बैठक करें. इस बैठक में प्रदेश के कुल 79,622 ग्राम पंचायतों में चल रहे 3.18 लाख क्रॉप कटिंग प्रयोग की समीक्षा की जाएगी. इसके आधार पर उपलब्ध होने वाले आंकड़ों की मदद से सरकार इन फसलों की उपज का सटीक आकलन कर सकेगी.
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राज्य के मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने क्रॉप कटिंग के शुरुआती दौर की वर्तमान स्थिति की समीक्षा की है. इसमें बताया गया कि 3.18 लाख क्रॉप कटिंग प्रयोग के सापेक्ष सीसीई एग्री एप से अब तक 3742 प्रयोगों का संपादन हो चुका है.
प्रदेश के सभी जिलों में क्रॉप कटिंग प्रयोग किया जाना है. इस प्रयोग से पैदावार के सटीक आंकड़े जुटाने के लिए कृषि और राजस्व एवं विकास विभाग के अधिकारियों को जिलाधिकारियों द्वारा नामित किया जा चुका है. इसके अलावा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत प्रदेश में सूचीबद्ध किए गए बीमा कंपनियों के प्रतिनिधियों द्वारा भी क्रॉप कटिंग प्रयोगों का अवलोकन किया जा रहा है. क्रॉप कटिंग के लिए किसानों के खेत से उपज के सैंपल एकत्र किए जाते हैं. इसके एवज में किसान को प्रति प्रयोग 100 रुपए की दर से क्षतिपूर्ति प्रदान की जाएगी. जबकि हर प्रयोग के लिए लेखपाल को 80 रुपए मानदेय तथा फसल काटने वाले मजदूर को 80 रुपए की मजदूरी मिलेगी.
मुख्यमंत्री कार्यालय से जिलाधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं कि लेखपाल द्वारा प्रयोग के लिए चयनित किसानों से बातचीत करके ही क्रॉप कटिंग प्रयोग किये जाएं. कृषकों को क्रॉप कटिंग की तिथि से पहले ही अवगत करा दिया जाए. तय समय में क्रॉप कटिंग से प्राप्त आंकड़ों को फसल वैरायटी के अनुसार परीक्षण एवं अनुमोदन करने के बाद ही राजस्व परिषद और कृषि निदेशालय को भेजा जाए. किसी विशेष परिस्थिति को छोड़कर राजस्व कर्मियों की ड्यूटी अन्य कार्यों में नहीं लगाई जाएगी.
एक फसल चक्र के दौरान किसी फसल या क्षेत्र की उपज का सटीक अनुमान लगाने के लिए सरकारों और कृषि निकायों द्वारा क्रॉप कटिंग प्रयोग किया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य फसली क्षेत्र की उपज का निर्धारण करना, क्षेत्र विशेष में उपजी फसल का आकलन करना, किसी विशेष फसली वर्ष में पैदावार में कमी होगी या अधिकता होगी, इसका आकलन भी क्रॉप कटिंग प्रयोगों के जरिए सरकार कर पाती है. साथ ही इससे यह निर्धारित करने में भी मदद मिलती है कि किसी विशेष फसल का आयात या निर्यात किया जाना है या नहीं.
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