सहारनपुर के एक किसान ने सिंदूर की खेती शुरू की है जो की प्राकृतिक सौंदर्य और रोजगार का नया जरिया है. भारतीय संस्कृति में सिंदूर का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है, विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं के लिए. आमतौर पर सिंदूर बाजारों में केमिकल्स, हल्दी, चूना और मर्करी से बनाया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि सिंदूर एक प्राकृतिक पौधे से भी प्राप्त होता है, जिसे "कुमकुम ट्री" या "केमिलर ट्री" कहा जाता है.
इस पौधे से मिलने वाला फल जब पकता है, तो उसमें से लाल रंग का प्राकृतिक पाउडर निकलता है, जो सिंदूर के रूप में उपयोग किया जाता है. इसके बीजों को सुखाकर पीसने पर एकदम शुद्ध और नेचुरल सिंदूर प्राप्त होता है. इसका उपयोग न केवल मांग में लगाने के लिए होता है, बल्कि पूजा-पाठ, लिपस्टिक, ब्यूटी प्रोडक्ट और प्राकृतिक डाई के रूप में भी किया जाता है. यह पौधा दक्षिण अमेरिका और एशिया के कुछ देशों में उगता है.
भारत में इसकी खेती सीमित इलाकों जैसे महाराष्ट्र और हिमाचल में होती है. अब उत्तर भारत के सहारनपुर में भी इसकी खेती की शुरुआत हो चुकी है. सहारनपुर के खुशहालीपुर गांव के किसान सुधीर कुमार सैनी ने अपने खेत में सिंदूर के कुछ पौधे लगाकर प्रयोगात्मक रूप से इसकी खेती शुरू की है. तीन साल पुराने इन पौधों में अब फल आना शुरू हो गया है, जिससे प्राकृतिक सिंदूर तैयार किया जा रहा है. सुधीर बताते हैं कि सहारनपुर की जलवायु सिंदूर की खेती के लिए बेहद अनुकूल है. उनका प्रयोग सफल रहा और अब वे बड़े स्तर पर इसकी खेती को बढ़ावा देने की योजना बना रहे हैं.
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एक पौधा 20 से 50 फीट तक ऊंचा हो सकता है और इससे लगभग 50 किलो तक फल प्राप्त हो सकते हैं. बाज़ार में इसकी कीमत 500 से 600 रुपये प्रति किलो है, जिससे यह एक लाभकारी व्यापार बन सकता है. सुधीर किसानों को पौधे भी उपलब्ध करा रहे हैं और कृषि विज्ञान केंद्र के साथ मिलकर एक योजना के तहत हर घर में यह पौधा पहुंचाने की कोशिश में हैं. उनका कहना है कि अगर हर महिला को प्राकृतिक सिंदूर उपलब्ध हो, तो वह सिंथेटिक उत्पादों के दुष्प्रभावों से बच सकती है, जो आंखों, बालों और त्वचा पर विपरीत असर डालते हैं. अब यह पहल न केवल महिलाओं के सौंदर्य के लिए, बल्कि किसानों की आय बढ़ाने का एक नया अवसर भी बन रही है.
सिंदूर की खेती करने वाले किसान सुधीर कुमार सैनी कहते हैं, मेरे पास सिंदूर के 3 वर्ष के पेड़ हैं जिसमें अभी फल आ रहा है. बाद में उसका फल निकाल लेंगे और उसे सिंदूर के रूप में ग्राइंड करके तैयार करेंगे जिससे हमें प्राकृतिक सिंदूर प्राप्त होगा. मार्केट में जो सिंदूर मिलता है वह हल्दी, मर्करी आदि से बनाया जाता है. मन में विचार आया कि हमारे भारतीय महिलाओं के लिए सिंदूर महत्वपूर्ण स्थान रखता है तो क्यों ना हम उन्हें प्राकृतिक सिंदूर उपलब्ध कराएं. उसी को ध्यान में रखते हुए हमने पेड़ लगाए थे. हमारे यहां सिंदूर का बड़ा ही महत्व है.
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किसान सुधीर कुमार ने कहा, पड़ोसी (पाकिस्तान) के साथ-साथ सिंदूर को लेकर आप देख ही रहे हैं. हमारे देश में सिंदूर को लेकर एक विशेष रुझान आया है. हम तो किसान हैं और खेती कर रहे हैं. पहलगाम में दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई, उसे लेकर कुछ लोगों ने दुस्साहस किया है. उसके बदले में देश के शीर्ष नेतृत्व ने निर्णय लिया. उसी क्रम में हमारी भारतीय सेना ने अपना पराक्रम दिखाया. उस घटना के बाद सिंदूर की खेती को लेकर किसानों का रुझान बढ़ा है.
किसान सुधीर कुमार ने कहा, अभी कई किसान संपर्क में हैं जो इसकी खेती करने के लिए उत्सुक हैं. हमारे पास पेड़ है, अगर किसान चाहते हैं तो प्रत्येक घर में प्राकृतिक तौर पर इसकी खेती शुरू कर सकते हैं. कृषि विज्ञान केंद्रों के सहयोग से हमने एक कार्यक्रम चलाने का निर्णय लिया है. इसमें हम हर महिलाओं को एक पेड़ उपलब्ध कराएंगे. हमारे कोई भी भाई बहन चाहें तो हमारे यहां आकर इस पेड़ को प्राप्त कर सकते हैं. अगर हर घर में पेड़ होता तो हम प्राकृतिक सिंदूर बनाते. आज हम सिंथेटिक सिंदूर प्रयोग में ले रहे हैं, जिससे दुष्परिणाम हैं. वह आंखों पर प्रभाव डालता है, हमारे बालों को जल्दी झड़ने के लिए मजबूर करता है. इसके अलावा भी वह हमारी पूरी बॉडी पर प्रभाव डालता है. सिंदूर को हम अपने बालों के बीचों-बीच लगाते हैं जिससे कि वह हमारी पूरी बॉडी को इफेक्ट करता है.
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