योगी सरकार ने गन्ना किसानों को भरोसा दिलाया है कि चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग प्रदेश के गन्ना किसानों को गन्ने का जल्द से जल्द भुगतान कराने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है. इसके लिए शासन एवं गन्ना आयुक्त के स्तर पर निरंतर समीक्षा की जा रही है. वहीं
योगी सरकार की ओर से प्रदेश की चीनी मिलों को गन्ना किसानों के बकाया भुगतान को जल्द से जल्द करने के सख्त निर्देश जारी किये गये हैं. इसका असर रिकार्ड बकाया भुगतान के रूप में दिखने लगा है. साथ ही देश में गन्ना एवं चीनी उत्पादन के मामले में यूपी पहले स्थान पर आ गया है. प्रदेश के गन्ना आयुक्त संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि राज्य सरकार की कारगर नीतियों के परिणामस्वरूप यूपी में गन्ना किसानों और चीनी उद्योग की स्थिति निरंतर बेहतर हुई है. उन्होंने बताया कि चीनी उद्योग को गति देने के साथ ही राज्य सरकार हर कदम पर गन्ना किसानों की लगातार मदद कर रही है. इस कड़ी में गन्ना मूल्य भुगतान का नया कीर्तिमान स्थापित किया गया है. अब तक लगभग 46 लाख से अधिक गन्ना किसानों को 1,95,060 करोड़ रुपये का रिकार्ड भुगतान किया गया है.
उन्होंने कहा कि किसानों को गन्ना मूल्य भुगतान कराया जाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. राज्य सरकार गन्ना किसानों के आर्थिक हितों की रक्षा के लिए संकल्पबद्ध है. इस बीच बकाया भुगतान के लिए सरकार की ओर से चीनी मिल कंपनियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई करते हुए 7 वसूली प्रमाण पत्र भी जारी किए गये हैं. भूसरेड्डी ने बताया कि वर्तमान पेराई सत्र 2022-23 में पहली बार ऐसा देखने को मिला है कि गन्ना मूल्य भुगतान 72 प्रतिशत से अधिक के स्तर पर चल रहा है. यह पिछले कई पेराई सत्रों की तुलना में काफी अधिक है.
इसी क्रम में बजाज समूह की चीनी मिलों द्वारा पेराई सत्र 2021-22 में देय गन्ना मूल्य का भुगतान प्रतापपुर, बिलाई, गागनौली एवं बुढ़ाना इकाईयों द्वारा किया जा चुका है. इसके अलावा पेराई सत्र 2021-22 के लिए बजाज समूह की मिलों का औसत गन्ना मूल्य भुगतान 90 प्रतिशत से अधिक चल रहा है. उन्होंने भरोसा दिलाया कि बजाज समूह की चीनी मिलों का बाकी भुगतान फरवरी माह के मध्य तक पूरा होने की संभावना है.
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भूसरेड्डी ने बताया कि प्रदेश के गन्ना किसानों को राहत पहुंचाने की कवायद में विभाग नई योजनाओं पर काम कर रहा है. इसके तहत गन्ना किसानों को कम से कम 20 प्रतिशत की छूट पर कीटनाशक देने, जैव उत्पाद एवं कृषि यंत्र वितरित किये जाने के लिए चीनी मिलों को निर्देश दिए गए हैं. इनमें समतुल्य कीटनाशक, अंकुश, ट्राइकोडर्मा, ऑर्गेनिक डीकम्पोजर, हेक्सा स्टाप, रैटून मैनेजमेंट डिवाइस, ट्रेंच ओपनर, एफआईआरबी, स्प्रेयर, एमबी प्लाऊ, डिस्क प्लाऊ, चिजलर, सबस्वालर, कल्टीवेटर, हैरो, डीपफरो, ट्रैश मल्चर और पावर बीडर आदि कृषि उपयोगी यंत्र शामिल हैं.
भूसरेड्डी ने बताया कि प्रदेश के गन्ना किसानों को राहत पहुंचाने की कड़ी में फार्म मशीनरी बैंक योजना भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. इस योजना के माध्यम से गन्ना किसानों, विशेषकर लघु एवं सीमांत किसानों को गन्ना खेती की लागत कम करने में सुविधा मिली है. इससे उनकी आय में भी वृद्धि हुई है. प्रदेश की 146 गन्ना एवं चीनी मिल समितियों में फसल अवशेष प्रबंधन के लिए प्रारंभिक चरण में 3 फसल अवशेष प्रबंधन यंत्र देने के क्रम में 2 मल्चर एवं 1 रिवर्सिबल एबी प्लाऊ की खरीद के साथ ही फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना का काम पूरा हो गया है. साथ ही सक्षम 77 गन्ना समितियों के फार्म मशीनरी बैंकों में ट्रैक्टर को भी सम्मिलित कर लिया गया है.
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उन्होंने कहा कि गन्ने की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता बढ़ाने एवं पुरानी गन्ना प्रजातियों की जगह अच्छी उपज वाली 5 नई गन्ना प्रजातियां किसानों को हाल ही में उपलब्ध करायी गयी हैं. विभाग को विश्वास है कि नई किस्मों की उपज से न केवल गन्ना उत्पादकता में वृद्धि होगी, बल्कि इन सभी 5 किस्मों के लाल सड़न रोग रोधी होने के कारण इन पर लाल सड़न रोग का प्रभाव भी कम होगा. ये किस्में जमाव, व्याॅत, मिल योग्य गन्नों की संख्या, उपज एवं पेड़ी क्षमता तथा गुणवत्ता में भी श्रेष्ठ हैं.
उल्लेखनीय है कि विभाग द्वारा प्रदेश के गन्ना किसानों की जिज्ञासाओं के त्वरित एवं प्रभावी समाधान के लिए गन्ना विकास विभाग के मुख्यालय पर एक कंट्रोल रूम भी बनाया गया है. इस पर टोल फ्री नंबर के माध्यम से अब तक 13,75,701 समस्यायें या शिकायतें दर्ज हुई हैं. इनमें से लगभग सभी का निस्तारण कर दिया गया है. इससे किसानों को सभी सूचनाएं घर बैठे आसानी से मिल पा रही हैं.
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