कड़ाके की ठंड के बाद बीते दिनों मौसम ने करवट ली है. जिसके तहत देश के कई हिस्सों में बारिश के साथ-साथ बीते दिनों ओले गिरे थे. वहीं बारिश के बाद एक बार फिर मौसम ने करवट ली है. नतीजतन फरवरी के महीने तापमान में बढ़ोतरी हुई है. फरवरी के महीने तापमान में हुई इस बढ़ोतरी से रबी सीजन की मुख्य फसल सरसों की जान खतरे में पड़ गई है. असल में तापमान में इस बढ़ोतरी से सरसों की फसल पर माहू कीट लगने का खतरा बढ़ गया है. आइए जानते हैं कि माहू कीट से सरसों की फसल को कैसे नुकसान पहुंच सकता है और इससे रोकथाम के लिए क्या प्रभावी उपाय अपनाए जा सकते हैं.
तापमान में बढ़ोतरी के कारण सरसों की फसल पर लगने वाले माहू कीट के बारे में किसान तक ने लखनऊ स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ दीपक राय से बातचीत की. डॉ दीपक राय ने बतया कि सरसों की फसल पर तापमान में बढ़ोतरी की वजह से एक कीट लग जाता है. ये कीट हल्के भूरे रंग और छोटे आकार का होता है. माहू कीट की ये ही पहचान है. सरसों की फसल में ये तेजी से फैलता है. इसीलिए किसानों को माहू कीट का समय रहते उपचार करना चाहिए.
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माहू कीट पतियों के अंदर छिपकर रहता है और रस चूस लेता है. इससे पत्तियों से काफी मात्रा में नमी की कमी हो जाती है, जिसके चलते पौधे को पोषक तत्वों की मात्रा नहीं मिल पाती है. इस कीट का देर तक प्रकोप रहने से पत्तियां आपस में लिपट जाती है और चाबुक की तरह गोल हो जाती हैं. जिसके चलते सरसों की फसल में फलियां निकलने में परेशानी होती है. इस कीट के चलते फसल की पैदावार पर बुरा असर होता है. किसानों को फसल पर कीट नियंत्रण के प्रभावी रोकथाम के लिए अपने खेत की बराबर निगरानी करते रहने की जरूरत है.
अक्टूबर-नवंबर में बोई गई सरसों की फसल में फलिया लगने लगी है. वहीं दिसंबर में बोई गई सरसों की फसल में फूल आ रहे हैं. मौसम में हुए बदलाव के चलते माहू कीट का खतरा सरसों की फसल पर मंडराने लगा है. लखनऊ के कृषि वैज्ञानिक डॉ दीपक राय ने बताया पछेती सरसों की फसल में माहू कीट लगने की संभावना सबसे ज्यादा है. माहू कीट से बचाव के लिए किसानों को नीम के तेल का 5ml प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें. अगर सरसों की फसल में माहू कीट लग चुके हैं तो इसके लिए किसान को डाईमेथएट नमक कीटनाशक की 1 लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर छिड़काव कर दे.
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