
इस साल ओलावृष्टि और बेमौसम बारिश से किसानों की गेहूं की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है. सरकार ने इस साल टूटा-सिकुड़ा गेहूं कम दाम पर, यहां तक कि क्वालिटी में कमी होने पर भी उसे खरीदने का फैसला लिया है. लेकिन इसके बाद भी हापुड़ के मंडी परिसर स्थित सरकारी गेहूं क्रय केंद्रों पर सन्नाटा पसरा हुआ है. किसानों के आग्रह के बावजूद वे मंडियों में अपना गेहूं बेचने नहीं आ रहे हैं. किसानों को अभी प्राइवेट बाजारों में अधिक रेट मिल रहा है जिसकी वजह से वे सरकारी क्रय केंद्र की बजाय बाजारों में गेहूं बेच रहे हैं. गेहूं में नमी के चलते भी किसान क्रय केंद्रों पर नहीं आ रहे क्योंकि इससे दाम में बट्टा लगने का डर है.
हापुड़ की नवीन अनाज मंडी में शनिवार को गेहूं की खरीद का 'आजतक' के संवाददाता ने जायजा लिया. दो किसानों ने कुछ ही मिनटों में एक कारोबारी से 2225 रुपये में प्रति क्विंटल के हिसाब से गेहूं का सौदा कर लिया. यह भाव सरकारी दर 2125 रुपये प्रति क्विंटल से करीब 100 रुपये अधिक है. किसान ने इस साल 35 बीघे में गेहूं की खेती की थी. इस साल हुई ओलावृष्टि और बेमौसम बारिश से उनकी गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा है.
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नवीन मंडी में पहुंचे किसान बताते हैं कि प्राइवेट मंडियों में रेट अच्छा मिल रहा है. सरकारी रेट के मुकाबले 2255 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से भी दाम मिल रहे हैं. सरकारी क्रय केंद्रों के मुकाबले यहां पर 100 रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा मिल जाता है. प्राइवेट मंडियों में टूटा-सिकुड़ा मोटा गेहूं भी अच्छे दामों में बिक रहा है. वहां सरकारी क्रय गेहूं केंद्र से महंगे रेटों में बिक रहा है. वहां पर ज्यादातर क्वालिटी के हिसाब से ही खरीदा जाता है और उसके हिसाब से ही रेट मिलता है, जबकि प्राइवेट मंडियों में ऐसी कोई दिक्कत नहीं है. यही वजह है अधिक से अधिक किसान प्राइवेट मंडियों का रुख कर रहे हैं.
एक किसान ने कहा, हापुड़ के सरकारी गेहूं क्रय केंद्र पर एक अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू हुई है. गेहूं की सरकारी खरीद शुरू होने के बाद भी 20 दिनों तक यहां अभी तक एक भी किसान अपना गेहूं लेकर नहीं पहुंचा है. दो किसान क्रय केंद्र पर पहुंचे भी, जानकारी ली और कम दाम का रोना रोकर चले गए. उनका कहना है कि हम गेहूं के सरकारी रेट की जानकारी करने आए थे. लेकिन दाम बहुत कम है. ऐसे में उन्हें प्राइवेट मंडियों में ही गेहूं बेचने में अपना मुनाफा दिख रहा है.
उधर दूसरी तरफ गेहूं क्रय केंद्र प्रभारी गरिमा दुबे किसानों को फोन करके गेहूं बेचने के लिए आग्रह कर रही हैं. गरिमा दुबे ने बताया कि किसानों से लगातार संपर्क किया जा रहा है. कुछ किसान खुद भी आकर हमसे संपर्क कर रहे हैं. उम्मीद करते हैं कि अगले कुछ हफ्ते तक गेहूं आ जाएगा. गरिमा दुबे ने कहा, इस बार जिला में खरीद का लक्ष्य 36 हजार मीट्रिक टन रखा गया है. लेकिन अभी तक एक प्रतिशत से भी कम गेहू खरीद हो पाई है.
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पूरे हापुड़ जिले की बात करें तो यहां 24 सरकारी गेहूं क्रय केंद्र बनाए गए हैं जिसमें अभी तक मात्र 34 किसानों से महज एक प्रतिशत से कम ही गेहूं खरीदा जा सका है. इसका कारण खुले बाजार में करीब 2255 रुपये प्रति क्विंटल गेहूं का खरीद रेट और कटौती को माना जा रहा है. हापुड़ की डीएम प्रेरणा शर्मा का धनोरा गांव में गेहूं की क्रॉप कटिंग के दौरान फोटो भी सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है. अधिकारी खेतों में जाकर किसानों से आग्रह कर रहे हैं कि वे अपना गेहूं सरकारी गेहूं क्रय केंद्र पर ही बेचें. लेकिन इसके बावजूद किसान अपना गेहूं खुले बाजार में सरकारी रेट से अधिक दाम पर बेच रहे हैं.
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