Paddy Crop: अधिक बारिश के बावजूद धान की उपज में पिछड़े ये जिले, खेती का गलत तरीका बना वजह

Paddy Crop: अधिक बारिश के बावजूद धान की उपज में पिछड़े ये जिले, खेती का गलत तरीका बना वजह

उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में धान को वर्षा आधारित फसल माना जाता है. ज्यादा पानी की खपत वाली धान की उपज, अधिक वर्षा वाले या पानी की पर्याप्त उपलब्धता वाले इलाकों में ज्यादा होती है. मगर, यूपी में धान की उपज को लेकर 10 साल के आंकड़ों पर आधारित एक रिपोर्ट में इससे इतर स्थ‍िति सामने आई है.

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Paddy Crop: अधिक बारिश के बावजूद धान की उपज में पिछड़े ये जिले, खेती का गलत तरीका बना वजह

यूपी में धान की उपज को लेकर सरकार ने एक अध्ययन कराया है. इसमें चौंकाने वाले परिणाम सामने आए हैं. कृष‍ि विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक बीते 10 सालों के दौरान यूपी के जिन जिलों में धान की उपज सबसे कम हुई, वे जिले भरपूर बारिश वाले जिलों में शुमार हैं. वहीं, धान की सर्वाधिक उपज वाले यूपी के 3 जिलों में पिछले सालों में धान की सबसे कम उपज वाले जिलों की तुलना में बारिश काफी कम दर्ज की गई. आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि जिन इलाकों में बारिश अच्छी होती है, उनमें धान की उपज भी अच्छी होती है. यूपी सरकार की इस रिपोर्ट के मुताबिक पर्याप्त बारिश के बावजूद किसानों द्वारा धान की खेती के गलत तरीके अपनाने के कारण उपज कम हुई.

ये जिले हैं सबसे ज्यादा और कम उपज वाले

कृष‍ि विभाग के उपनिदेशक कमल कटियार की अगुवाई वाले अध्ययन दल ने यूपी के सभी जिलों में पिछले 10 साल में धान की उपज के आंकड़े जुटाकर उपज के तरीकों और पैदावार पर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी है. इस रिपोर्ट के अनुसार यूपी में औरैया जिला धान की सर्वाधिक उपज वाला जिला है. वहीं, देवरिया में पानी की पर्याप्त उपलब्धता के बावजूद धान की उपज सबसे कम है.

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रिपोर्ट के अनुसार, धान के सालाना औसत उत्पादन के मामले में पीलीभीत जिला 4.60 लाख मीट्रिक टन उत्पादन के साथ पहले स्थान पर है. जबकि 4 लाख मीट्रिक टन उत्पादन के साथ चंदौली दूसरे और 2.88 लाख मीट्रिक टन उत्पादन के साथ देवरिया तीसरे स्थान पर है. वहीं उपज के मामले में अव्वल जिला रहा औरैया, कुल उत्पादन के मामले में 1.67 लाख मीट्रिक टन के साथ सबसे पीछे है.

बारिश कम फिर भी उपज ज्यादा

अध्ययन दल ने इन जिलों में धान की उपज और पानी की उपलब्धता के अध्ययन के लिए पिछले 5 सालों में दर्ज की बारिश के आंकड़ों के आधार पर बताया कि जिन जिलों में धान की उपज ज्यादा है, उनमें, कम उपज वाले जिलों की तुलना में बारिश की मात्रा कम है.

रिपोर्ट के अनुसार सर्वाधिक उपज वाले औरैया जिले में साल 2018-19 में हुई 602 मिमी बारिश 2022-23 में घट कर 371 मिमी रह गई, जबकि इन सालों में औरैया जिले में धान की प्रति हेक्टेयर उपज बढ़ी है. इसी प्रकार पीलीभीत जिले में बारिश 5 साल में 1430 मिमी से घटकर 704 मिमी और चंदौली जिले में 359 मिमी से घटकर बारिश मात्र 286 मिमी रह गई.इन दोनों जिलों में भी धान की प्रति हेक्टेयर उपज बढ़ी है.

इससे इतर, सबसे कम उपज वाले देवरिया जिले में 2018 में हुई 471 मिमी बारिश पिछले साल बढ़कर 875 मिमी हो गई, लेकिन जिले में धान की उपज कम होती गई. वहीं, बारिश के मामले में श्रावस्ती जिला सबसे आगे रहा और इस जिले में बीते 5 साल में बारिश 1020 मिमी से बढ़कर 1234 मिमी हो गई लेकिन इस जिले में भी धान की उपज साल दर साल घटी है. वहीं उन्नाव जिले में बारिश 731 मिमी से घट कर पिछले साल 476 रह गई.

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खेती का गलत तरीका बन रहा वजह

रिपोर्ट के अनुसार इन जिलों में धान की उपज कम रहने की वजह का अध्ययन करने पर खेती के तरीके में खामी होने के अलावा कुछ अन्य कारक सामने आए हैं. रिपोर्ट के अनुसार जिन जिलों में उपज सबसे अच्छी है, उन जिलों में सिंचाई एवं उपज के भंडारण के बेहतर इंतजाम होने के अलावा पर्याप्त सरकारी खरीद होना भी अच्छी उपज की वजह बना है. 

इसके अलावा किसानों द्वारा इन जिलों में उन्नत बीजों का प्रयोग, समय से बुआई, उच्च फसल प्रबंधन, छुट्टा जानवरों का कम प्रकोप, संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग, श्रमिकों की पर्याप्त उपलब्धता एवं कटाई में उपज का नुकसान कम करने वाले कृष‍ि यंत्रों के इस्तेमाल को अच्छी उपज का मुख्य कारण बताया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार सबसे कम उपज वाले जिलों में प्रति वर्ग मीटर में कम पौध का रोपण करना, कम उपज का पहला कारण बताया गया है. इसके अलावा देर से नर्सरी डालना और देर से बुआई करने को भी एक वजह बताया गया है. इन जिलों में कम उपज के अन्य कारणों में बाढ़ एवं जलभराव से फसल का सड़ना, आवारा पशुओं से फसल काे नुकसान होना, कम भंडारण क्षमता, कम सरकारी खरीद, कम राइस मिलों का होना, यंत्रों से कम कटाई होना, अन्य जिलों के व्यापारियों द्वारा कांट्रेक्ट फार्मिंग करना और किसानों द्वारा कम कीमत पर उपज को बेच देना भी शामिल है.

रिपोर्ट के अनुसार इन जिलों में हाइब्रिड धान का रकबा भी अधिक पाया गया ह‍ै, जिसकी वजह से अतिवृष्टि हल्दिया रोग से उपज पर भारी असर पड़ने को भी एक प्रमुख वजह बताया गया है.

 

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