उत्तर प्रदेश में चेरी टमाटर (Cherry Tomato) की खेती किसानों के लिए मोटी कमाई का जरिया बन सकती है. दरअसल, चेरी टमाटरों की भी मार्केट में खूब डिमांड रहती है, इसलिए उनके दाम भी ऊंचे रहते हैं. इसी क्रम में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर के निदेशक शोध डॉ पीके सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित यह मॉडल विषम क्षेत्रों में भी चेरी टमाटर का उत्पादन कर सकते है. इस विधि में 70% तक पानी की कम आवश्यकता होती है साथ ही इस विधि में तरल पोषक तत्व दिए जाते हैं. टमाटर की प्रजातियां जैसे कल्याणपुर टाइप -3, कल्याणपुर टाइप -2,कल्याणपुर टाइप- 1 एवं कल्याणपुर टाइप -5 की खेती से किसान कम लागत में मोटी कमाई कर सकता है.
उन्होंने बताया कि इसमें फल गुणवत्ता युक्त होते हैं तथा अन्य फलों की तुलना में विटामिन सी व अन्य पोषक तत्व ज्यादा होते हैं. अच्छे उत्पादन के लिए संतुलित मात्रा में खाद जरूर डालें. आप जैविक खाद का इस्तेमाल कर सकते हैं. जिसमें गोबर ख़ास या कंपोस्ट का इस्तेमाल किया जा सकता है. ताकि बेहतर गुणवत्ता के चेरी टमाटर प्राप्त हो सके. वहीं जुलाई और अगस्त की शुरुआत में चेरी टमाटर की खेती बलुई-दोमट मिट्टी में की जाती है.
डॉ पीके सिंह बताते हैं कि किसानों को समय के साथ अपने तरीके बदलने की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि सब्जियों की खेती में चेरी टमाटर की खेती सबसे मुनाफे का सौदा है. यह टमाटर चेरी जितना बड़ा होता है. ड्रिप इरीगेशन विधि से की जाने वाली चेरी टमाटर की खेती मचान बनाकर की जाती है. उन्होंने बताया कि चेरी टमाटर की बेल 20 फिट ऊंची तक हो जाती है. एक गुच्छे में 120 तक टमाटर आते हैं. 40 दिन में इसकी बेल फल देना शुरू कर देती है और लगातार 10 महीने तक सही देखरेख के जरिए फसल का बंपर उत्पादन होता रहता है.
उन्होंने बताया कि दुबई, चीन अमेरिका जापान जैसे देशों में इसकी अधिक मांग है. बड़े सब्जी बाजारों में इसकी कीमत 400 रुपये किलो तक होती है. डॉ पीके सिंह ने बताया कि चेरी टमाटर अन्य टमाटर की अपेक्षा छोटा और 90% पानी से भरपूर होता है. इसमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाई जाती है. काला, लाल, पीला, हरा, नारंगी और बैंगनी कलर में इस टमाटर की अलग-अलग वैरायटी हैं. उत्तर प्रदेश समेत मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, पंजाब, उड़ीसा आदि प्रदेशों में इसका बेहतरीन उत्पादन लिया जा रहा है. आज टमाटर की चेरी प्रजाति किसानों को सेव की कीमत जैसा मुनाफा दे रही है.
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