कृषि में तकनीक और नवाचार के माध्यम से खेती का तरीका और फसलों का प्रकार बदलता जा रहा है. आज हम आपको खास तरह की फूलगोभी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी खेती करने से किसानों की आय में जबरदस्त बढ़ोतरी होगी. इस क्रम में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (Chandra Shekhar Azad University of Agriculture & Technology), कानपुर के सब्जी विज्ञान विभाग द्वारा फूलगोभी की टिकाऊ पैदावार के लिए जैविक खाद के प्रयोग का समय और मात्रा पर विकसित नई तकनीक पर सहमति मिल गई है.
बीते दिनों भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा अखिल भारतीय सब्जी समन्वित अनुसंधान परियोजना की पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना में आयोजित 43वीं वार्षिक वैज्ञानिक समूह बैठक में फूलगोभी की विकसित वैरायटी का अनुमोदन प्राप्त हुआ. इस खास तकनीक को विकसित करने वाले वैज्ञानिक डॉ राजीव ने बताया गया कि वर्ष 2021 से फूलगोभी की जैविक खेती के विभिन्न मॉड्यूल्स पर शोध किया जा रहा था.
उन्होंने बताया कि लगातार चार वर्षो के शोध के परिणामों के आधार पर यह पाया गया कि फूलगोभी की जैविक खेती के लिए 100 प्रतिशत नाइट्रोजन के समतुल्य गोबर की खाद को रोपाई के 10 दिन पहले अथवा 75 प्रतिशत नाइट्रोजन के समतुल्य गोबर की खाद को रोपाई के 10 दिन पहले व 25 प्रतिशत नाइट्रोजन के समतुल्य वर्मी कंपोस्ट को रोपाई के एक दिन पहले प्रयोग करने से 249 से 253 कुंतल प्रति हेक्टेयर की पैदावार हुई.
डॉ राजीव बताते हैं कि आर्थिक विश्लेषण से यह पाया गया कि एक रुपया लगाकर 4.68 से 4.93 रुपया तक प्राप्त किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि फूलगोभी की जैविक खेती से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए सही समय पर और उचित मात्रा में पोषक तत्वों की आपूर्ति करना नितांत आवश्यक है ताकि पौधों का विकास बाधित न हो. अब विकसित तकनीक का किसान प्रयोग कर फूलगोभी की जैविक खेती कर सकेंगे तथा सब्जियों में रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से बचा जा सकेगा.
बता दें कि फूलगोभी की फसल 70-75 दिनों में तैयार हो जाती है. दरअसल, उत्तर प्रदेश के किसान बड़े पैमाने पर सब्जियों की खेती कर रहे हैं. सब्जी की खेती करने से किसानों को अच्छा खासा मुनाफा भी हो रहा है.
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