जापान के अधिकारी और साथ में सीएएस के कुलपति डॉ. आनंद कुमार सिंहचंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर में कृषि, वन एवं मत्स्य मंत्रालय जापान के प्रतिनिधिमंडल ने दौरा किया. प्रतिनिधिमंडल के साथ-साथ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आनंद कुमार सिंह ने भी शामिल हुए. दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार और जापान के बीच हुए समझौता ज्ञापन के अंतर्गत एक जापानी प्रतिनिधिमंडल कृषि विश्वविद्यालय के शाकभाजी अनुभाग, कल्याणपुर पर दौरा किया. प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे कृषि, वानिकी एवं मत्स्य पालन मंत्रालय, जापान के सलाहकार डॉ इशिकावा कोजी द्वारा विशेष संवाद सत्र में बताया गया कि भ्रमण का उद्देश्य कृषि आधारित जापानी तकनीक को भारत तक पहुंचना है, जिससे कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सके.
शिमादा मित्सू ने बताया कि इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य किसानों की आर्थिक स्थिति को शुद्रण करना होगा. जापानी प्रतिनिधि मंडल में जापानी दूतावास के अधिकारी ओता मसामी, जापान विकास कंपनी कुबोता के अमन ने बताया कि परियोजना के कार्यक्रमों को क्रियान्वित करने के लिए एक वर्किंग ग्रुप बनाया जाएगा. इसमें जापान तथा जापानी कंपनी के प्रतिनिधि गण विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक तथा उत्तर प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि शामिल होंगे, जो कार्ययोजना बनाने के साथ-साथ समय-समय पर भविष्य की रणनीति तय करते रहेंगे.
जापानी प्रतिनिधिमंडल के साथ-साथ विश्वविद्यालय की ओर से निदेशक शोध डॉ आरके यादव, डॉ पीके सिंह, डॉ केशव आर्य, डॉ राजीव आदि वैज्ञानिकों की टीम द्वारा टोमैटेक कंपनी, जापान द्वारा फूल गोभी और मूली फसलों पर सूक्ष्म पोषक तत्वों के प्रभाव जानने के लिए लगाए गए शोध परीक्षणों का भी अवलोकन किया गया. इस अवसर पर टोमैटेक कंपनी के प्रतिनिधि अकिनोरी कोजाकी द्वारा बताया गया कि जापानी सूक्ष्म पोषक तत्व युक्त उर्वरक का प्रयोग करने से सब्जी फसलों की पैदावार में 40% तक की वृद्धि हो सकती है.
प्रतिनिधि मंडल द्वारा पाली हाउस के अंतर्गत स्थापित आईमेक जापानी हाइड्रोपोनिक तकनीक का भी अवलोकन किया गया. निदेशक शोध डॉ आर के यादव द्वारा बताया गया कि इस तकनीक का प्रयोग कर लगभग दो गुना अधिक मीठा चेरी टमाटर का उत्पादन किया जा रहा है, जिसको बाजार में 150 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बेचा जा रहा है.
उन्होंने बताया कि जब तकनीकी उत्तर प्रदेश की जलवायु एवं मिट्टी के अनुरूप सफल हो जाएगी तब उसे विश्वविद्यालय के प्रक्षेत्र पर विस्तारित किया जाएगा. बाद में व्यापक प्रचार-प्रसार के माध्यम से किसानों के खेतों तक भी पहुंचाया जाएगा. इस अवसर पर निदेशक प्रसार डॉ. आरके यादव तथा निदेशक शोध डॉ. पीके सिंह सहित केन्द्र के सभी वैज्ञानिक उपस्थित रहे.
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