Kashmir Weather: पंपोर में 24 घंटे की बारिश से खिले केसर किसानों के चेहरे, बर्फबारी से आई राहत  

Kashmir Weather: पंपोर में 24 घंटे की बारिश से खिले केसर किसानों के चेहरे, बर्फबारी से आई राहत  

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटों में पूरे कश्मीर में बारिश हुई और ऊंचे इलाकों में ताजा बर्फबारी भी हुई. केसर, जिसे अक्सर 'लाल सोना' कहा जाता है, कश्मीर के सबसे कीमती कृषि उत्पादों में से एक है. घाटी में करीब 16,000 परिवार केसर की खेती पर निर्भर हैं, जिसका सालाना उत्पादन 2.6 से 3.4 मीट्रिक टन के बीच होता है

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पंपोर में 24 घंटे की बारिश से खिले केसर किसानों के चेहरे, बर्फबारी से आई राहत  

दक्षिण कश्‍मीर में बारिश से किसानों के चेहरे खिल गए हैं. यहां के पंपोर में करीब 24 घंटे हुई बारिश के बाद केसर के किसानों ने राहत की सांस ली है. इस बारिश के साथ ही लंबे समय से चले आ रहे सूखे का दौर आखिरकार खत्म हो गया. सूखा केसर और बाकी फसलों के लिए खतरा पैदा कर रहा था. लेकिन अब जबकि बारिश हुई तो किसानों को थोड़ी राहत है क्‍योंकि इस बारिश से उन्‍हें एक उम्‍मीद की किरण नजर आई है. राज्‍य के किसानों को अक्‍टूबर-नवंबर के महीने से इस बारिश का बेसब्री से इंतजार था. 

देर आए दुरुस्‍त आए 

बारिश से नरम हुई अपनी खेतों के बीच खड़े एक स्थानीय केसर किसान अली मोहम्मद ने कहा, 'देर आए दुरुस्त आए. हम अक्टूबर और नवंबर में बारिश की उम्मीद कर रहे थे, ये वो महीने हैं जब फसल को सबसे ज्‍यादा नमी की जरूरत होती है.' लंबे समय तक सूखे मौसम के कारण केसर के खेत सूख गए हैं जिससे कंदों के विकास को लेकर चिंता बढ़ गई है जो अगले सीजन की फसल के लिए बहुत जरूरी हैं. मोहम्मद ने कहा, 'सूखे हालात कंदों की पूरी ग्रोथ पर असर डालते हैं और अगले साल पैदावार कम कर सकते हैं.' 

ताजा बर्फबारी से किसानों को फायदा 

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटों में पूरे कश्मीर में बारिश हुई और ऊंचे इलाकों में ताजा बर्फबारी भी हुई. केसर, जिसे अक्सर 'लाल सोना' कहा जाता है, कश्मीर के सबसे कीमती कृषि उत्पादों में से एक है. घाटी में करीब 16,000 परिवार केसर की खेती पर निर्भर हैं, जिसका सालाना उत्पादन 2.6 से 3.4 मीट्रिक टन के बीच होता है. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अनियमित बारिश और लंबे समय तक सूखे की वजह से क्वालिटी और उत्पादन दोनों को गंभीर खतरा है. 

अब टूरिज्‍म भी होगा बेहतर 

स्थानीय अधिकारियों की मानें तो वो केसर के खेतों और सर्दियों के टूरिस्ट जगहों पर करीब से नजर रख रहे हैं. एक कृषि अधिकारी ने कहा, 'बारिश और बर्फबारी फायदेमंद है लेकिन किसान पिछले मौसम के अनुभवों को देखते हुए सतर्क हैं.' मौसम विभाग के डेटा से पता चला कि गुलमर्ग में सबसे ज्‍यादा 24.4 एमएम बारिश हुई. साथ ही करीब 20 सेमी. बर्फबारी भी हुई, जबकि कुपवाड़ा में 19 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई. श्रीनगर में 14.2 एमएम बारिश हुई. उसके बाद पहलगाम में 13.6 एमएम बारिश हुई. कोकरेनाग और काजीगुंड में क्रमशः 5.5 एमएम और 4.4 एमएम बारिश हुई जबकि कोनिबल में 1 एमएम हल्की बारिश हुई. मैदानी इलाकों से बर्फबारी की कोई खबर नहीं है. 

गुलमर्ग बना विंटर लैंड 

गुलमर्ग समेत ऊंचे इलाकों में ताज़ा बर्फबारी से सर्दियों के टूरिज्म सीजन के लिए उम्मीदें बढ़ गई हैं जो इस साल की शुरुआत में असामान्य रूप से सूखे मौसम के कारण फीका पड़ गया था. एक टूर ऑपरेटर ने कहा, 'गुलमर्ग अब एक विंटर वंडरलैंड में बदल गया है और टूरिस्ट यहां आने लगे हैं.' उन्होंने कहा कि अच्छी बर्फबारी से पिछले सुस्त सीज़न के बाद इस इलाके में टूरिज्म को फिर से शुरू करने में मदद मिलेगी. इस बारिश से घाटी में पानी की कमी भी कम हुई है और मिट्टी में नमी भी बढ़ी है. 

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