Wheat Crop: गेहूं की फसल में जिंक क्यों है जरूरी, जानें पैदावार और दानों की क्वालिटी बढ़ाने का आसान तरीका

Wheat Crop: गेहूं की फसल में जिंक क्यों है जरूरी, जानें पैदावार और दानों की क्वालिटी बढ़ाने का आसान तरीका

जिंक की कमी से गेहूं की उपज में 30% तक गिरावट आ सकती है, सही समय और मात्रा में जिंक देने से बेहतर बढ़वार, ज्यादा कल्ले और चमकदार दाने मिलते हैं.

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गेहूं की फसल में जिंक क्यों है जरूरी, जानें पैदावार और दानों की क्वालिटी बढ़ाने का आसान तरीकागेहूं की खेती में जिंक का प्रयोग

गेहूं की फसल में जिंक (Zinc) बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पौधे की शुरुआती बढ़वार, जड़ों के विकास, कल्ले निकलने (tillering) और दानों को मोटा और चमकदार बनाने के लिए जरूरी है. जिंक दानों में कार्बोहाइड्रेट (starch) की मात्रा बढ़ाता है, जिससे फसल स्वस्थ रहती है, पीलापन दूर होता है, और पैदावार बढ़ती है. यह पोषक तत्वों के अवशोषण और एंजाइमों के निर्माण के लिए भी जरूरी है, जो फसल के अच्छे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है.

जिंक की कमी से पत्तियां पीली पड़ती हैं, बढ़वार रुक जाती है और उपज में 20-30 प्रतिशत तक कमी आ सकती है, जिससे फसल की क्वालिटी और पैदावार दोनों घट जाती हैं. इसे देखते हुए किसान को गेहूं की खेती में सबसे अधिक जिंक का ध्यान रखना चाहिए. जिंक की कमी के लक्षणों पर नजर रखते हुए इसकी भरपाई करने पर फोकस करना चाहिए.

बेहतर बढ़वार और फुटाव 

जिंक जड़ों को मजबूत करता है और पौधे में अधिक कल्ले (जपससमते) निकालने में मदद करता है, जिससे फसल घनी होती है.

पत्तियों का गहरा हरा रंग 

यह क्लोरोफिल (chlorophyll) बनाने में मदद करता है, जिससे पत्तियों में गहरा हरापन आता है और पौधे स्वस्थ दिखते हैं.

दाने का विकास 

जिंक दानों को भरने और उनकी क्वालिटी (चमक, वजन) सुधारने में मदद करता है, जिससे पैदावार बढ़ती है.

पौधे में एंजाइम एक्टिवेशन 

  • जिंक पौधों के अंदर कई जरूरी एंजाइमों (enzymes) को सक्रिय करता है, जो प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट बनाने के लिए जरूरी हैं.
  • जिंक कार्बोहाइड्रेट उत्पादन के लिए जरूरी है. यह कार्बोहाइड्रेट के निर्माण में मदद करता है, जो दानों के वजन और क्वालिटी को बढ़ाता है.
  • जिंक पानी के तनाव (water stress) को कम करने और पौधे को अन्य सूखे और तनाव से होने वाली परेशानियों से बचाने में भी मदद करता है.

जिंक की कमी को कैसे पहचानें

  • नई पत्तियों का छोटा होना और पीला पड़ना
  • पौधे की कुल वृद्धि का रुक जाना
  • कम कल्ले निकलना
  • दाने हल्के और पतले रह जाना

उपयोग का सही समय और तरीका

बुवाई के समय मिट्टी में जिंक मिलाना एक प्रभावी उपाय है. बुवाई के समय जिंक सल्फेट को मिट्टी में मिलाने से अंकुरण बहुत अच्छा होता है.
खेत में पहले पानी पर जब कल्ले निकलने शुरू हों (लगभग 25-30 दिन पर), यूरिया के साथ जिंक सल्फेट का प्रयोग कर सकते हैं.

छिड़काव (Spray) कैसे करें 

जिंक सल्फेट (33 प्रतिशत) को 3 ग्राम प्रति लीटर पानी या चिलेटेड जिंक (Chelated Zinc) को 1-2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव भी कर सकते हैं.

जिंक की सही मात्रा और समय पर उपयोग करके आप अपनी गेहूं की फसल की उपज और क्वालिटी में काफी सुधार कर सकते हैं.

संक्षेप में, जिंक गेहूं की फसल के लिए एक सूक्ष्म पोषक तत्त्व (micronutrient) है जो फसल के हर चरण (जड़ से दाना बनने तक) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे बेहतर क्वालिटी और अधिक पैदावार मिलती है.

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