हरियाणा सरकार की तमाम सख्ती के बावजूद भी मिलर्स घपलेबाजी के इरादे से बिहार की सस्ती धान मंगवाने से बाज नहीं आ रहे हैं. बीते कुछ सप्ताह में करनाल समेत राज्य के अलग-अलग जिलों में प्रशासन ने कई सौ क्विंटल धान जब्त की है, जो बिहार से मंगाई गई है. अब ताजा मामला में करनाल प्रशासन ने बिहार से मंगाई गई धान से भरा एक और ट्रक पकड़ा है. बताते चले कि राज्य की CMR नीति का गलत फायदा उठा कर राज्य एजेंसियों को चूना लगाने के आरोप मिलर्स पर लगे हैं.
जिला प्रशासन ने गुरुवार शाम को बिहार से धान से भरा एक और ट्रक बरामद किया है. पिछले एक सप्ताह में बिहार से धान से भरे ऐसे ट्रकों की संख्या बढ़कर चार हो गई है. इस बीच, अधिकारियों ने तीन मिलर्स से मार्केट फीस और हरियाणा ग्रामीण विकास निधि (एचआरडीएफ) वसूला है, जबकि एक चावल मिल को मार्केट फीस और एचआरडीएफ जमा करने का नोटिस भी जारी किया गया है.
जानकारी के अनुसार, जिला विपणन प्रवर्तन अधिकारी (डीएमईओ) सौरभ चौधरी के नेतृत्व में हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड (एचएसएएमबी) की टीम ने शहर के बाहरी इलाके में राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर नमस्ते चौक के पास धान से लदे एक ट्रक को रोका. पूछताछ के बाद चालक ने स्वीकार किया कि धान बिहार से घरौंडा के कुटैल रोड स्थित एक चावल मिल के लिए लाया गया था. डीएमईओ ने घरौंडा मार्केट कमेटी सचिव को मिलर को नोटिस जारी कर विस्तृत रिपोर्ट देने के निर्देश दिए.
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हालांकि, करनाल राइस मिलर्स एंड डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सौरभ गुप्ता ने चावल मिलर्स पर लगे आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि पूरे देश में व्यापार मुक्त है और व्यापारी किसी भी राज्य से खरीद सकता है. गुप्ता ने कहा कि सरकार द्वारा गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिए जाने के बाद चावल मिलर्स निजी मिलिंग के लिए कुछ राज्यों से धान ला रहे हैं. उन्होंने कहा कि एसोसिएशन गलत काम करने वालों का साथ नहीं देगी. साथ ही उन्होंने कहा कि सभी मिलर्स से अपील करता हूं कि वे डिलीवरी के बाद निर्धारित सात दिनों के भीतर बाजार शुल्क और एचआरडीएफ जमा करें.
जानकारों का कहना है कि हरियाणा में कस्टम मिल्ड राइस यानी सीएमआर नीति के तहत मिलर्स को 2300 रुपये और 2320 रुपये प्रति क्विंटल MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर परमल धान आवंटित की जाती है. इसे कस्टम मिल्ड राइस यानी अन्य धान किस्मों के साथ मिलाकर प्रोसेस करने के बाद चावल बनाकर 67 फीसदी सरकारी एजेंसियों को बेचा जाता है. ऐसे में आरोप ये है कि कुछ मिलर्स बिहार और यूपी से सस्ता धान खरीदकर उसे महंगी धान किस्म परमल में मिलाकर ऊंचे दाम में बेचने के लिए सीएमआर व्यवस्था का गलत फायदा उठा रहे हैं. अब यह घोटालेबाजी प्रशासन की नजर में आ गई है और इसी वजह से मिलों में बिहार का धान और ट्रक बरामद किया जा रहा है.
अतिरिक्त उपायुक्त (एडीसी) यश जालुका ने कहा कि कस्टम मिल्ड राइस (सीएमआर) नीति के तहत धान के आवंटन में गड़बड़ियों की पहचान करने के लिए अन्य मिलों का फिजिकल वेरिफिकेशन चल रहा है. इसके लिए टीमों का गठन किया गया है. जांच में गेट पास जारी करने और धान के आवंटन में भारी गड़बड़ी सामने आ रही है.
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