Tomato Price: बुवाई बढ़ने के बावजूद 250 रुपये क‍िलो तक कैसे पहुंचा टमाटर का दाम? 

Tomato Price: बुवाई बढ़ने के बावजूद 250 रुपये क‍िलो तक कैसे पहुंचा टमाटर का दाम? 

टमाटर का उत्पादन इतना नहीं घटा है क‍ि इस कदर दाम बढ़े क‍ि हाहाकार मच जाए. देश में 2 करोड़ 6 लाख मीट्र‍िक टन से अध‍िक टमाटर का सालाना उत्पादन है. अगर इसमें से 73000 मीट्रिक टन उत्पादन कम भी हो गया तो क्या दाम 250 रुपये क‍िलो तक पहुंच जाएगा?  

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Tomato Price: बुवाई बढ़ने के बावजूद 250 रुपये क‍िलो तक कैसे पहुंचा टमाटर का दाम? टमाटर का दाम बढ़ने की वजह क्या है? (Photo-Kisan Tak).

टमाटर के दाम अपनी र‍िकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है. बढ़ते भाव पर अंकुश लगाने की सरकारी कोश‍िशें अभी तक नाकाम साब‍ित हो रही हैं. भारत में इससे पहले शायद ही कभी 250 रुपये क‍िलो तक टमाटर का दाम पहुंचा होगा. हर कोई जानना चाहता है क‍ि आख‍िर टमाटर इस बार इतना महंगा क्यों है? लेक‍िन, इसका सही-सही जवाब क‍िसी को नहीं म‍िल रहा. दरअसल, इस अहम सवाल का जवाब जानने से पहले यह समझने की जरूरत है क‍ि प‍िछले साल के मुकाबले उत्पादन क‍ितना घटा है? केंद्रीय कृष‍ि मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं क‍ि बुवाई का रकबा बढ़ने के बावजूद उत्पादन कम हो गया है. एर‍िया बढ़ने के बावजूद उत्पादन घटने का मतलब साफ है क‍ि कोई न कोई वजह है ज‍िस कारण ऐसा हुआ है. 

देश में टमाटर की बुवाई का एर‍िया 21000 हेक्टेयर बढ़ गया है. जबक‍ि उत्पादन 73000 मीट्र‍िक टन कम हो गया है. उत्पादन में कमी के पीछे लू, अत‍िवृष्ट‍ि-बाढ़ और कीटों के अटैक सह‍ित छह बड़े कारण हैं. इसकी वजह से मांग और आपूर्त‍ि में अंतर आ गया और दाम बढ़ गया. हालांक‍ि, उत्पादन इतना नहीं घटा है क‍ि इस कदर हाहाकार मच जाए. देश में 2 करोड़ 6 लाख मीट्र‍िक टन से अध‍िक टमाटर का सालाना उत्पादन है. अगर इसमें से 73000 मीट्रिक टन उत्पादन कम भी हो गया तो क्या दाम 250 रुपये क‍िलो तक पहुंच जाएगा? जाह‍िर है क‍ि इसमें व्यापार‍ियों और ब‍िचौल‍ियों की बड़ी भूम‍िका है.सरकार ने सीधे क‍िसानों से खरीदकर 80 रुपये क‍िलो के भाव पर टमाटर बेचकर इसे साब‍ित भी कर द‍िया है क‍ि क‍िसान और कस्टमर के बीच में जो लोग हैं वही कहीं न कहीं दाम बढ़ाने के ल‍िए ज‍िम्मेदार हैं. 

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आख‍िर इतना क्यों बढ़ा दाम

टमाटर के बढ़ते दाम (Tomato Price) को लेकर क‍िए गए एक सवाल को लेकर उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजन‍िक व‍ितरण राज्य मंत्री आश्च‍िनी चौबे ने संसद में इसके कारण ग‍िनाए हैं. कुछ कारण उन्होंने बताए हैं और कुछ क‍िसानों ने. हम दोनों को यहां पर साथ-साथ रख रहे हैं. ताक‍ि दाम बढ़ने की वजह साफ-साफ पता चल सके. 

टमाटर का उत्पादन क‍ितना कम हुआ?
  • मॉनसून में अत‍िवृष्ट‍ि से हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में टमाटर की खेती बुरी तरह प्रभाव‍ित हुई. एक जून से 3 अगस्त तक हर‍ियाणा में सामान्य से 49 फीसदी और ह‍िमाचल प्रदेश में 47 फीसदी अध‍िक बार‍िश हुई है. 
  • ह‍िमाचल और हर‍ियाणा में भारी बारिश के कारण ट्रांसपोर्ट द‍िक्कतों की वजह से टमाटर की आवक प्रभाव‍ित हुई है. इससे जो फसल बची थी वो भी मार्केट में नहीं आ पाई.   
  • सामान्य तौर पर जून से अगस्त तक का समय टमाटर के लिए कम उत्पादन वाला होता है. इसल‍िए इस वक्त दाम बढ़ने लगते हैं. 
  • टमाटर बहुत जल्द खराब होने वाला कृष‍ि उत्पाद है ज‍िसका लंबे समय तक स्टोरेज नहीं क‍िया जा सकता. स्टोरेज सुव‍िधा का अभाव है. र‍ियायती दर पर बेचने के ल‍िए सरकार आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र की मंडियों से ही टमाटर खरीद रही है. 
  • महाराष्ट्र के नासिक सहित देश भर में कई स्थानों पर टमाटर की फसल खराब हो गई है. जून में लू की वजह से काफी फसल का नुकसान हुआ है. इसल‍िए उत्पादन कम हुआ.

सफेद मक्खी का अटैक 

कर्नाटक देश का तीसरा बड़ा टमाटर उत्पादक है. ज‍िसकी कुल उत्पादन में ह‍िस्सेदारी करीब 8 फीसदी है. यहां के कोलार में टमाटर की फसल पर सफेद मक्खी रोग का अटैक हुआ है. कुछ जगहों पर घुंघराले पत्तों की बीमारी के कारण भी उपज कम हुई है. ज‍िससे फसल को नुकसान पहुंचा है. कोलार और चिकबल्लापुर जिले प्रमुख टमाटर उत्पादक क्षेत्र हैं और दक्षिण भारत के लिए मुख्य आपूर्तिकर्ता हैं. नासिक में फसल खराब हो गई है, इसलिए दक्षिणी राज्यों के अलावा पश्चिम बंगाल और ओडिशा के खरीददार भी टमाटर की सीमित आपूर्ति के लिए कोलार एपीएमसी में बोली लगा रहे हैं, जिससे कीमतें आसमान छू रही हैं. 

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