संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) ने अब दूसरे राज्यों में भी जाकर केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज उठाना शुरू कर दिया है. मोर्चा के नेताओं ने शुक्रवार को जयपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि 2020-21 के आंदोलन की समाप्ति के समय केंद्र सरकार ने MSP गारंटी कानून के लिए कमेटी बनाने का ऐलान किया था, लेकिन जब 2 साल तक सरकार ने कुछ नहीं किया तो 13 फरवरी 2024 को संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) व किसान मजदूर मोर्चा द्वारा शांतिपूर्वक दिल्ली चलो कार्यक्रम शुरू किया गया. भाजपा सरकार ने किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए क्रूरता की सभी हदें पार कर दी, पुलिस द्वारा की गयी हिंसा में 1 किसान सिर में गोली लगने से शहीद हो गए, 5 किसानों की आंखों की रोशनी चली गयी और 433 किसान घायल हो गए.
किसान नेताओं ने सरकार द्वारा MSP में बढ़ोतरी को अपर्याप्त बताते हुए कहा कि जब तक MSP पर फसलों की खरीद की गारंटी का कानून नहीं बनता तब तक किसानों को फायदा नहीं होगा.उन्होंने बताया कि मूंग में 124 रुपये (1.44%) धान में 117 रुपये (5.35%) व बाजरे में 125 रुपये (5%) की बढ़ोतरी करी गयी है जब कि मई, 2024 में ग्रामीण क्षेत्र में महंगाई दर 5.28% है, इस तरह MSP में बढ़ोतरी न के बराबर है.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद नेताओं ने बताया कि 13 फरवरी से शुरू हुआ आंदोलन MSP गारंटी कानून बनने तक जारी रहेगा. इसी सिलसिले में 8 जुलाई को भाजपा के 240 सांसदों को छोड़कर देश के सभी दलों के सांसदों को किसान आंदोलन की मांगों का ज्ञापन सौंपा जायेगा ताकि MSP गारंटी कानून समेत किसानों की सभी मांगें संसद में गूंजें. किसान नेताओं ने बताया यह पूरा देश जनता है कि नेशनल हाईवे को किसानों ने नहीं बल्कि भाजपा सरकार ने बंद किया है और केंद्र सरकार की ज़िम्मेदारी बनती है कि सरकार रास्ता खोले और किसानों को अपने देश की राजधानी दिल्ली में शांतिपूर्वक आंदोलन करने के लिए जाने दे.
किसान आंदोलन को मजबूत व व्यापक करने के लिए 22 जून को मध्यप्रदेश के अशोकनगर में मीटिंग व प्रेस कॉन्फ्रेंस, 23 जून को महाराष्ट्र के मालेगांव में मीटिंग व प्रेस कॉन्फ्रेंस, 24 जून को कर्नाटक में दक्षिण भारत के 50 से अधिक संगठनों की बैठक का आयोजन होगा. किसान नेताओं ने राजस्थान के किसानों से अपील किया कि MSP गारंटी कानून की लड़ाई निर्णायक दौर में पहुंच चुकी है इसलिए राजस्थान के किसान परिवारों से 1-1 सदस्य इस आंदोलन में जरूर शामिल होकर मजबूत करें.
कॉन्फ्रेंस में मुख्य तौर पर जगजीत सिंह डल्लेवाल, अभिमन्यु कोहाड़, लखविंदर सिंह औलख, सुखजीत सिंह हरदोझण्डे, ज़फर खान मेवाती, मनिंदर मान, अश्वनी पठेजा, महंगा सिद्धू और हरसुलिन्दर सिंह आदि मौजूद रहे.
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