हरियाणा में घग्गर नदी खतरे के निशान के पार, किसानों को सता रहा फसल नुकसान का खतरा

हरियाणा में घग्गर नदी खतरे के निशान के पार, किसानों को सता रहा फसल नुकसान का खतरा

बढ़ते जलस्तर से कई गांवों में सैकड़ों एकड़ में खड़ी धान की फसलें डूब गई हैं. किसानों को डर है कि अगर घग्गर नदी में पानी बढ़ता रहा, तो और भी गांवों को खतरा हो सकता है. एक किसान राजपाल ने कहा कि इस सीजन में हमने जो कुछ भी उगाया है, वह सब पानी में डूब गया है.

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हरियाणा में घग्गर नदी खतरे के निशान के पार, किसानों को सता रहा फसल नुकसान का खतराफसल नुकसान का खतरा

देश के कई इलाकों में बाढ़ का खतरा देखा जा रहा है. इसी बीच हरियाणा के कैथल जिले में घग्गर नदी खतरे के निशान 23 फीट को पार कर गई है. दरअसल, भारी बारिश के बाद कैथल जिले के टटियाना गांव के पास घग्गर नदी का जलस्तर 23.4 फीट तक पहुंच गई है, जिससे 49,000 क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़ा गया. पानी के बढ़ते स्तर से वहां के निवासियों और किसानों में दहशत फैल गई है, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि स्थिति नियंत्रण में है.

सैकड़ों एकड़ में खड़ी धान की फसलें डूबीं

दी ट्रिब्यून के मुताबिक, बढ़ते जलस्तर से कई गांवों में सैकड़ों एकड़ में खड़ी धान की फसलें डूब गई हैं. किसानों को डर है कि अगर घग्गर नदी में पानी बढ़ता रहा, तो और भी गांवों को खतरा हो सकता है. एक किसान राजपाल ने कहा कि इस सीजन में हमने जो कुछ भी उगाया है, वह सब पानी में डूब गया है. हमें नहीं पता कि हम इससे कैसे उबरेंगे. सरकार को हमें मुआवजा देना चाहिए.

एक अन्य किसान शिव कुमार ने कहा कि अगर पानी नहीं घटा तो हमें भारी नुकसान होगा. एक अन्य किसान सुरेश कुमार ने कहा कि हम हर मॉनसून में डर के साये में जीते हैं. केवल एक स्थायी समाधान ही हमें बचा सकता है. वहीं, कई किसान अपने खेतों से पानी निकालने की कोशिश कर रहे हैं.

जेसीबी और भारी मशीनें रखी गई हैं तैयार 

गुहला के एसडीएम परमेश सिंह ने बाढ़ प्रभावित गांवों भागल, भूंसला, रत्ताखेड़ा कदम, सिहाली, पपराला, मोहनपुर, मैंगरा, बाऊपुर, कम्हेड़ी, खंभेहरा, सारोला, रत्ताखेड़ा लुकमान और बुबकपुर का दौरा किया. उन्होंने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि पानी खतरे के निशान को पार कर गया है, लेकिन स्थिति "सामान्य और नियंत्रण में" है. उन्होंने कहा कि कमजोर जगहों को मजबूत करने के लिए मिट्टी से भरी बोरियों का इस्तेमाल किया जा रहा है और जेसीबी और भारी मशीनें तैयार रखी गई हैं.

मवेशियों को घर के अंदर रखने की सलाह

खंड विकास और पंचायत अधिकारी सरपंचों के लगातार संपर्क में हैं. इसके अलावा रात्रि गश्त की जा रही है और ग्रामीणों को नदी से दूर रहने की सलाह दी जा रही है. इसके अलावा पशु चिकित्सा दल किसानों को मवेशियों की देखभाल के बारे में मार्गदर्शन दे रहे हैं. एसडीएम ने बताया कि पशुधन की हानि को रोकने के लिए जागरूकता शिविर आयोजित किए जा रहे हैं.

बाढ़ की स्थिति को लेकर पुलिस और आपदा प्रतिक्रिया दल सतर्क हैं, संवेदनशील इलाकों की निगरानी कर रहे हैं और निवासियों को नदी या जलमग्न खेतों के पास जाने पर प्रतिबंध लगा रहे हैं. उपायुक्त प्रीति ने कहा कि प्रशासन स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है और नागरिकों से अनावश्यक यात्रा से बचने, मवेशियों को घर के अंदर रखने और बाढ़ संभावित क्षेत्रों से दूर रहने का आग्रह किया है.

करनाल में 7,500 एकड़ कृषि भूमि जलमग्न

इसके अलावा करनाल जिले के 21 गांवों की लगभग 7,500 एकड़ कृषि भूमि जलमग्न हो गई है, जिससे किसानों में व्यापक चिंता व्याप्त है. किसानों को डर है कि उनकी धान और गन्ने की फसलों को भारी नुकसान हो सकता है, क्योंकि कई खेतों में मिट्टी का कटाव हो रहा है, जिससे किसानों की परेशानी और बढ़ गई. यमुना और कुछ प्रभावित खेतों में पानी कम होने से थोड़ी राहत मिली है. किसान चिंतित हैं क्योंकि लंबे समय तक जलभराव से खड़ी फसल को खतरा है. हालांकि, सरकार ने अभी तक आधिकारिक सर्वेक्षण जारी नहीं किया है, लेकिन राजस्व विभाग के शुरुआती आकलन से पुष्टि होती है कि लगभग 7,500 एकड़ कृषि भूमि अभी भी जलमग्न है. 

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