कपास उत्पादक किसानों के लिए राहत भरी खबर है. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) और राज्य कृषि विभाग के विशेषज्ञों ने कहा है कि बारिश से कपास की फसल पर सफेद मक्खी के हमले का खतरा टल जाएगा. साथ ही जितनी अधिक बारिश होगी, कपास के फसलों के लिए अच्छा होगा. वहीं, पीएयू के प्रमुख कीट वैज्ञानिक विजय कुमार ने कहा कि बारिश से भारी संख्या में कीटों का सफाया हुआ है. हालांकि, उन्होंने कहा कि किसानों को अभी सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि आने वाले हफ्तों में सफेद मक्खी की वृद्धि काफी हद तक मौसम के पैटर्न पर निर्भर करेगी.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, विशेषज्ञ ने कहा कि इस खरीफ सीजन में मालवा बेल्ट में कम बारिश दर्ज की गई. इससे कपास की फसलों में सफेद मक्खी का प्रकोप देखने को मिला. साथ ही इलाके में बारिश की कमी के कारण फसलों में संक्रमण की भी पुष्टि हुई है. विजय कुमार ने कहा कि चूंकि अगले सप्ताह तक कपास फूलने की अवस्था में पहुंच जाएगा, इसलिए किसानों को गुलाबी बॉलवर्म के हमलों से निपटने के लिए सतर्क रहने की सलाह दी गई है.
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फाजिल्का के मुख्य कृषि अधिकारी (सीएओ) संदीप रिनवा ने कहा कि कई गांवों में सफेद मक्खी की आबादी देखी गई, लेकिन यह खतरनाक स्तर से नीचे थी. साथ ही कीटनाशकों का छिड़काव कर इसे नियंत्रित भी किया गया. रिनवा ने कहा कि जून के आखिरी सप्ताह में कुछ इलाकों में पिंक बॉलवर्म की सूचना मिली थी और उसे नियंत्रित कर लिया गया था. बारिश के बाद, किसान अब खेतों में पोषक तत्व डालेंगे जिससे पौधों की तेजी से वृद्धि होगी और फसलें स्वस्थ होंगी.
उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए एक और सर्वेक्षण किया जाएगा कि कपास की लकड़ियां जो आमतौर पर जलाऊ लकड़ी के रूप में उपयोग की जाती हैं और जिनमें पिंक बॉलवर्म के लार्वा होते हैं, उन्हें खेतों से हटा दिया जाए. बठिंडा केवीके में सहायक प्रोफेसर (पौधा संरक्षण) विनय पठानिया ने कहा कि जिले में आर्थिक सीमा (ईटीएल) से आगे कीटों के संक्रमण की कोई रिपोर्ट नहीं है और विस्तार टीमों ने कपास उत्पादकों को सलाह दी है कि वे अपने खेतों में कीटों के किसी भी संकेत पर नज़र रखें.
बठिंडा स्थित क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र में पीएयू की वेधशाला के अनुसार, गुरुवार को 63.2 मिमी बारिश दर्ज की गई. मौसम में आए बदलाव के कारण अधिकतम तापमान 27.2 डिग्री सेल्सियस पर आ गया, जो 31 जुलाई से 10 डिग्री कम है. मौसम विभाग ने इस सप्ताह के अंत में और अधिक बारिश का अनुमान लगाया है, और कृषि विशेषज्ञों ने कहा कि व्यापक बारिश अर्ध-शुष्क क्षेत्र में चावल और कपास की खेती के लिए वरदान है.
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