कम खर्च में आसानी से करें सब्जी सोयाबीन की खेती, हेल्दी गुणों के कारण बाजार में बंपर है मांग 

कम खर्च में आसानी से करें सब्जी सोयाबीन की खेती, हेल्दी गुणों के कारण बाजार में बंपर है मांग 

सोयाबीन सब्‍जी की खेती पूर्वी भारत और कुछ और प्रदेशों में की जाती है. कम खर्च में बारिश के आधार पर आसानी से इसकी खेती की जा सकती है. आपको बता दें कि यह सब्‍जी वाली सोयाबीन दाल वाली सोयाबीन से काफी अलग है. पचने में आसान सब्‍जी सोयाबीन डायबिटीज के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है.

Advertisement
कम खर्च में आसानी से करें सब्जी सोयाबीन की खेती, बाजार में है बंपर मांग सब्‍जी सोयाबीन को सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है

सोयाबीन की सब्‍जी भारत में कई घरों में बनती है और काफी चाव से खाई जाती है. यह दरअसल खरीफ मौसम की एक प्रमुख फसल है और भारत में कई जगहों पर इसकी खेती की जाती है. इस सब्‍जी के कच्‍चे दाने बडे़ आकार के होते हैं और स्‍वाद में काफी मीठे होते हैं. कई पोषक तत्‍वों से भरपूर इस फलीदार सब्‍जी की फसल सिंतबर-अक्‍टूबर में तुड़ाई के लिए रेडी हो जाती है. यह देखने में एकदम हरी मटर सी नजर आती है. इसकी फसल की सबसे खास बात है कि यह मिट्टी की भी उर्वराशक्ति बढ़ाने के काम आती है और इसलिए किसान से फसल विविधकरण के लिए भी प्रयोग करते हैं. आइए आपको बताते हैं कि कम खर्च में कैसे इसकी खेती हो सकती है और क्‍यों इसकी बाजार में मांग बहुत ज्‍यादा है. 

कम खर्च में होती है खेती 

इसकी खेती पूर्वी भारत और कुछ और प्रदेशों में की जाती है. कम खर्च में बारिश के आधार पर आसानी से इसकी खेती की जा सकती है. आपको बता दें कि यह सब्‍जी वाली सोयाबीन दाल वाली सोयाबीन से काफी अलग है. पचने में आसान सब्‍जी सोयाबीन डायबिटीज के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है. इसके अलावा इसमें मौजूद आइसोफ्लेवाने तत्‍व कैंसर को रोकने , हड्डियों को मजबूत करने और हार्ट डिजीज को रोकने में मददगार प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है. सब्जी सोयाबीन में प्रोटीन12 से 16 फीसदी, इसके अलावा महत्वपूर्ण  खनिज कैल्शियम 134 मि.ली. ग्राम, फास्‍फोरस 194 मि.ली. ग्राम  पोटेशियम 725 मि.ली. ग्राम, जिंक 1.42 मि.ली. ग्राम, आयरन 4.68 मि.ली. ग्राम और साथ ही साथ इसमें अच्छी गुणवत्ता वाले कोलेस्‍ट्रॉल भी प्रचुर मात्रा में होते हैं. 

यह भी पढ़ें-गाय के गोबर-गोमूत्र से 'काला नमक धान' की खेती, बंपर उपज ले रहे बहराइच के ये किसान 

कैसी हो मिट्ठी और जलवायु 

सब्जी सोयाबीन की अच्छी फसल हासिल करने के लिए ऑर्गेनिक तत्‍वों से भरपूर अच्छी जल निकासी वाली हल्की मिट्टी ही सर्वश्रेष्‍ठ मानी जाती है. सामान्यतः 26-30 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान और हाई मॉस्‍इचर यानी उच्च आद्रता सब्जी सोयाबीन पौधें के विकास में बहुत मददगार होती है.  इसकी किस्में तेज रोशनी के लिए काफी संवेदनशील होती हैं. खरीफ का मौसम इसकी खेती के लिए बेस्‍ट रहता है. 

यह भी पढ़ें-ब्रोकोली की जैविक खेती से बढ़ी अरुणाचल की इस महिला किसान की कमाई, पत्ती बेचकर भी कमाए पैसे

खेत की तैयारी कैसे करें 

मिट्टी को भुरभुरा बनाने के लिए ज्‍यादातर 3 से 4 बार जुताई की जरूरत होती है.  अम्लीय मिट्टीर में, बुआई से एक महीने पहले 2.5 क्विंटल/हेक्‍टेयर की दर से चूना डाला जा सकता है. 15 सें.मी. ऊंची और 60 सेंमी चौड़ी क्यारियों पर इसकी बुआई की जाती है. पॉ‍लीथिन मल्च क का प्रयोग खेतों में फायदेमंद पाया गया है.

यह भी पढ़ें-बिहार में पोखर-तालाबों की हो गई 'लूट', गरमा धान की सिंचाई के लिए नहीं बचा पानी  

खाद और उर्वरक कौन से हों 

खेत की तैयारी के समय 20-25 टन सड़ी गोबर की खाद का प्रयोग करना चाहिए. बुआई से पहले खेत में 45 किलोग्राम यूरिया, 37.5 कि.ग्रा. सिंगल सुपर फॉस्‍फेट और 70 किग्रा. म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति हेक्‍टेयर डालना चाहिए. फिर से बुआई के 25-30 दिनों बाद 45 किलोग्राम यूरिया खड़ी फसल में टॉप ड्रेसिंग के तौर पर डालना चाहिए. अधिकतर फसल के लिए फूल आने की अवस्था में 0.1 फीसदी बोरेक्स का पत्तियों पर छिड़काव करना ठीक रहेगा. 

यह भी पढ़ें-पानी बचाने के ल‍िए हर‍ियाणा के रास्ते पर चला पंजाब, धान की खेती छोड़ने पर म‍िलेंगे 7000 रुपये

बुआई का समय 

सोयाबीन की सब्‍जी के लिए बुआई का सही समय 15 जून से 15 जुलाई तक होता है. खेतों में कम ऊंचाई वाली मेड़ों पर लाइन बनाकर बुआई करनी चाहिए. क्यारियों में एक लाइन से दूसरी लाइन की दूरी 45 सें.मी. और बीज से बीज की दूरी 30 सें.मी. होनी चाहिए.  बीज की बुआई 2-3 सें.मी. गहराई पर करें.  बीज दर 60-65 किग्रा प्रति हेक्‍टेयर है. 

यह भी पढ़ें-बंगाल में कम बारिश से गेंदे की खेती को नुकसान, बाजार में घट गई सप्लाई

फसल की देखभाल कैसे करें 

बीजों के सही अंकुरण के लिए, अगर बुआई के समय बारिश न हो तो बुआई से एक या दो दिन पहले एक हल्की सिंचाई की जा सकती है. बारिश आधरित फसल होने के कारण सिंचाई की जरूरत लगभग जीरो होती है.  पहली निराई-गुड़ाई, बुआई के 10-15 दिनों के अंदर और दूसरी, बुआई के 25-30 दिनों बाद की जा सकती है. फिर यूरिया को पौधें की जड़ों के पास टॉप ड्रेसिंग के तौर पर डाला जा सकता है. 

यह भी पढ़ें-ट्रैक्टर सब्सिडी का भरपूर लाभ उठा सकते हैं किसान, राज्यसभा में धनखड़ ने दिया ये खास सुझाव

कब करें कटाई 

सब्जी सोयाबीन की हरी फलियों की कटाई फूल आने के 30-40 दिनों बाद की  जा सकती है.  जब फलियों के अंदर बीजों का विकास 80-90 प्रतिशत तक हो जाता है, तो फलियां हरी फसल के लिए तैयार हो जाती हैं. फलियों की ताजगी और हरा रंग बनाए रखने के  लिए कटाई सुबह या शाम के समय की जा सकती है. कटी हुई हरी फलियों से छिलके वाले हरे ताजे बीजों 50 फीसदी तक हासिल किए जा सकते हैं. 

POST A COMMENT