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गेहूं के दाम का पुराना रुख कायम, एमएसपी पर खरीद का 2021-22 वाला र‍िकॉर्ड तोड़ना आसान नहीं

गेहूं के दाम का पुराना रुख कायम, एमएसपी पर खरीद का 2021-22 वाला र‍िकॉर्ड तोड़ना आसान नहीं

Wheat Procurement: प‍िछले दो साल से सरकार पूरा नहीं कर पाई है गेहूं खरीद का लक्ष्य, इस बार भी टारगेट पूरा होने की संभावना कम, क्योंक‍ि बाजार में क‍िसानों को एमएसपी से ज्यादा म‍िल रहा है भाव. ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत सरकार द्वारा सस्ता गेहूं बेचने के बावजूद दाम कम नहीं हुआ है.   

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गेहूं खरीद का लक्ष्य कैसे पूरा होगा. गेहूं खरीद का लक्ष्य कैसे पूरा होगा.

गेहूं के भाव का रुख इस बार भी प‍िछले साल जैसा ही द‍िखाई दे रहा है. कई शहरों में दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से ऊपर चल रहा है. ऐसे में क‍िसान सरकार को गेहूं बेचेंगे या फ‍िर न‍िजी क्षेत्र को, यह बड़ा सवाल है. सरकार को गेहूं बेचने के ल‍िए कई तरह की कागजी औपचार‍िकताएं पूरी करनी होती हैं जबक‍ि व्यापारी क‍िसानों के घर से गेहूं खरीद लेते हैं. अगर न‍िजी क्षेत्र को क‍िसान गेहूं बेचेंगे तो फ‍िर सरकार कैसे अपना लक्ष्य पूरा कर पाएगी. प‍िछले दो सीजन से गेहूं खरीद का टारगेट पूरा नहीं हो रहा है. एक अप्रैल से अध‍िकांश राज्यों में गेहूं की खरीद शुरू हो जाएगी. रबी मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए सरकार ने 320 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा है. ओपन मार्केट में इसके न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2275 रुपये प्रत‍ि क्विंटल से इसका दाम ज्यादा चल रहा है. इस बीच सवाल यह भी है क‍ि क्या कभी गेहूं खरीद का 2021-22 वाला र‍िकॉर्ड टूट पाएगा. 

साल 2021-22 में र‍िकॉर्ड 433.44 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी. ज‍िसके बदले 49,19,891 क‍िसानों को 85,604.40 करोड़ रुपये एमएसपी के तौर पर म‍िले थे. बाजार के जानकारों का कहना है क‍ि गेहूं की इतनी सरकारी खरीद न पहले कभी हुई थी और न उसके बाद अब तक हो पाई है. यही नहीं गेहूं की एमएसपी से लाभान्व‍ित क‍िसानों की संख्या भी उतनी नहीं हुई. इस साल तो सरकार ने उतना टारगेट ही नहीं रखा है, ऐसे में 2021-22 वाला र‍िकॉर्ड टूटने की कोई संभावना ही नहीं बची है. 

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दो सीजन से पूरी नहीं हो रही खरीद 

  • प‍िछले साल यानी रबी सीजन 2023-24 में सरकार ने 341.5 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा था, जबक‍ि खरीद स‍िर्फ 262 लाख मीट्र‍िक टन की हो पाई थी और गेहूं की एमएसपी का फायदा स‍िर्फ 21,28,159 क‍िसानों को म‍िला था. 
  • रबी मार्केटिंग सीजन 2022-23 में भी गेहूं की खरीद का टारगेट पूरा नहीं हो पाया था. तब सरकार 444 लाख मीट्र‍िक टन की जगह स‍िर्फ 187.92 लाख मीट्र‍िक टन ही गेहूं खरीद पाई थी. इसल‍िए एमएसपी पर गेहूं बेचने वाले क‍िसानों की संख्या स‍िर्फ 17,83,192 ही रह गई थी. 
  • खरीद कम होने की वजह हीट वेव की वजह से उत्पादन में कमी और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से हुआ ज्यादा एक्सपोर्ट था. इस साल बाजार में एमएसपी से अध‍िक दाम है. ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत सरकार द्वारा सस्ता गेहूं बेचने के बावजूद दाम कम नहीं हुआ है. इसल‍िए 2024-25 में खरीद का टारगेट पूरा होने की संभावना कम है.

क‍ितना है दाम

  • उत्तर प्रदेश की जालौन मंडी में 24 मार्च को गेहूं का न्यूनतम दाम 2,400 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल था. 
  • राजस्थान की केकड़ी मंडी में 25 मार्च को गेहूं का न्यूनतम दाम 2,311 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल रहा. 
  • मध्य प्रदेश की छ‍िंदवाड़ा स्थ‍ित चौरई मंडी में 24 मार्च को न्यूनतम दाम 2,269 और अध‍िकतम 2,367 रुपये रहा. 
  • महाराष्ट्र के नंदूरबार में 25 मार्च को गेहूं का न्यूनतम दाम 2,611 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल रहा. 

(Source: e-Nam)

खरीद का र‍िकॉर्ड कब बना 

एमएसपी पर गेहूं बेचने वाले क‍िसानों की संख्या 2021-22 में सबसे ज्यादा थी. तब बफर स्टॉक यानी सेंट्रल पूल के ल‍िए सबसे ज्यादा 433.44 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं की खरीद हुई थी. गेहूं बेचने वाले क‍िसानों की संख्या का भी र‍िकॉर्ड टूट गया था और यह 49,19,891 तक पहुंच गई थी. ऐसा इसल‍िए था क्योंक‍ि तब खुले बाजार में गेहूं का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम था. लेक‍िन उसके बाद खुले बाजार में गेहूं का दाम इतना बढ़ गया क‍ि सरकार अपना खरीद लक्ष्य ही पूरा नहीं कर पाई. जहां तक प‍िछले साल यानी 2023-24 की बात है तो एक भी सूबे ने अपना खरीद टारगेट पूरा नहीं क‍िया था.

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