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भीषण गर्मी से इस राज्य में महंगे हो गए फल, आइस सेब की कीमत में 100 फीसदी की बढ़ोतरी

भीषण गर्मी से इस राज्य में महंगे हो गए फल, आइस सेब की कीमत में 100 फीसदी की बढ़ोतरी

थेन्नूर के एक विक्रेता एल मुरुगेसन ने कहा कि मार्च तक हम एक बैग मोसंबी (20 किलो) 800 रुपये में खरीदते थे. पारा का स्तर बढ़ने के बाद, थोक व्यापारियों ने अचानक 1,800 रुपये प्रति बैग इसकी कीमत कर दी है. ऐसे में हमारे पास 50 रुपये प्रति ग्लास जूस वसूलने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.

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तमिलनाडु में बढ़ी आइस सेब की डिमांड. (सांकेतिक फोटो) तमिलनाडु में बढ़ी आइस सेब की डिमांड. (सांकेतिक फोटो)

तमिलनाडु के तिरुची जिले में भीषण गर्मी पड़ रही है. सुबह के 10 बजते ही आसमान में चिलचिलाती हुई धूप निकल जाती है. ऐसे में लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है. वहीं, तपन बढ़ने से जिले में ठंडी तासीर वाले फलों की मांग भी बढ़ गई है. खास कर आइस सेब की मार्केट में डिमांड बढ़ गई है. लेकिन इस साल आपूर्ति प्रभावित होने से इसकी कीमत में बढ़ोतरी हो गई है. इससे आम जनता के किचन का बजट बिगड़ गया है.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट की मुताबिक, दुकानदारों का कहना है कि गर्मी अधिक पड़ने की वजह से ठंडी तासीवर वाली फलों की बिक्री बढ़ गई है. लोग सबसे ज्यादा आइस सेब खरीद रहे हैं. लेकिन सप्लाई प्रभावित होने की वजह से इसकी कीमत बढ़ गई है. वोरैयूर में सब्जी मंडी के पास आइस सेब बेचने वाली बी मेनका ने कहा कि इस साल इस फल की कीमत बढ़ गई है. मैं 10 रुपये प्रति पीस के हिसाब से बेच रही हूं. उन्होंने कहा कि पिछले साल, मैंने इसे 5 रुपये या 6 रुपये में बेचा था. यानी इस साल कीमत में 100 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. उनकी माने तो आपूर्ति में कमी के कारण खरीदारी लागत बढ़ गई है.

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क्या कहते हैं फल विक्रेता

बी मेनका ने कहा कि मुझे परिवहन लागत भी वहन करनी होती है. लालगुडी के आइस सेब विक्रेता के सेल्वम का मानना है कि पर्याप्त आपूर्ति होने पर कीमत कम हो जाएगी. सेल्वम ने टीएनआईई को बताया कि मई के महीने में आपूर्ति बढ़ जाती है. लेकिन चूंकि लू के दिन अप्रैल में ही शुरू हो गए हैं, इसलिए फलों की कीमत पिछले साल की तुलना में बढ़ गई है. इसके बावजूद लोग बड़ी संख्या में आइस फल खरीद रहे हैं. मेनका ने बताया कि बर्फ के सेब के 250 टुकड़ों वाली एक टोकरी हर दिन 12 बजे से पहले खाली हो जाती है.

महंगा हुआ मोसंबी

इस बीच, कई अन्य विक्रेता मीठे नींबू और खरबूजे का रस क्रमशः 50 रुपये और 40 रुपये में बेचकर बंपर लाभ कमा रहे हैं. थेन्नूर के एक विक्रेता एल मुरुगेसन ने कहा कि मार्च तक हम एक बैग मोसंबी (20 किलो) 800 रुपये में खरीदते थे. पारा का स्तर बढ़ने के बाद, थोक व्यापारियों ने अचानक 1,800 रुपये प्रति बैग इसकी कीमत कर दी है. ऐसे में हमारे पास 50 रुपये प्रति ग्लास जूस वसूलने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. एक ग्लास जूस की कीमत पिछले साल 30 रुपये थी.

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इसलिए बढ़ी डिमांड

गर्मी के चरम महीनों में फल और जूस के सेवन के लाभों पर, महात्मा गांधी मेमोरियल सरकारी अस्पताल (एमजीएमजीएच) के एक चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि साबुत फल खाना हमेशा सबसे अच्छा विकल्प होता है. लेकिन कई लोग ताजा जूस पसंद करते हैं. इसमें मौजूद पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स के कारण यह हाइड्रेटेड रहने का एक शानदार तरीका है. जूस से पोषक तत्व कुछ ही मिनटों में हमारी कोशिकाओं में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे यह सबसे पौष्टिक, फास्ट-फूड बन जाता है.