`एक क्लस्टर, एक फसल मॉडल ` योगी सरकार की MCD योजना से बदलेगा यूपी का सिंचाई चेहरा, खेती बनेगी स्मार्ट और टिकाऊ

`एक क्लस्टर, एक फसल मॉडल ` योगी सरकार की MCD योजना से बदलेगा यूपी का सिंचाई चेहरा, खेती बनेगी स्मार्ट और टिकाऊ

UP News: इस योजना की निगरानी राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर की जाएगी. साथ ही IoT, SCADA, GIS और सैटेलाइट तकनीकों की मदद से पानी की आपूर्ति और उपयोग पर स्मार्ट नज़र रखी जाएगी. निगरानी राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर होगी. वहीं जल शक्ति मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में केंद्रीय समिति बनेगी.

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`एक क्लस्टर, एक फसल मॉडल ` योगी सरकार की MCD योजना से बदलेगा यूपी का सिंचाई चेहराउत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश के किसानों को सिंचाई की पुरानी और खर्चीली पद्धतियों से जल्द ही छुटकारा मिलने वाला है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में राज्य सरकार ने किसानों को सिंचाई की आधुनिकतम तकनीकों से जोड़ने के लिए एमसीएडी योजना (मॉडरेशन ऑफ कमांड एरिया डवलपमेंट एंड वॉटर मैनेजमेंट प्रोग्राम) को लागू करने की तैयारी पूरी कर ली है. केंद्र सरकार ने इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए 1,600 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं.

अब खेतों में PPIN से होगी सिंचाई

सिंचाई एवं जल संसाधन सचिव जीएस नवीन ने बताया कि सीएम योगी की मंशा के अनुरूप हर खेत तक पानी पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार की एमसीएडी योजना को धरातल पर उतारने के लिए खाका तैयार कर लिया गया है. इस योजना का उद्देश्य हर खेत तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था को आधुनिक बनाना है. इसके जरिये पारंपरिक सिंचाई पद्धतियों की जगह अब प्रेसराइज्ड पाइप इरिगेशन नेटवर्क (पीपीआईएन) तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा. इससे 90 प्रतिशत तक जल उपयोग दक्षता  प्राप्त की जा सकेगी. इससे पानी की भारी बचत, उच्च उत्पादन और ऊर्जा की खपत में कमी  सुनिश्चित होगी.

योजना को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के तहत लागू किया जा रहा है. इसमें जल शक्ति मंत्रालय की दो इकाइयों सीएडब्ल्यूएम (कमांड एरिया डवलपमेंट एंड वॉटर मैनेजमेंट) और एआईबीपी (एक्सीलरेटेड इरिगेशन बेनिफिट प्रोग्राम) को एक प्लेटफॉर्म पर लाया गया है. योजना के पहले चरण को मार्च 2026 तक पूरा कर लिया जाएगा, जिसके बाद 1 अप्रैल 2026 से दूसरा चरण शुरू होगा.

यह योजना प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत लागू की जा रही है, इसमें  आधुनिक जल प्रबंधन तकनीकों के साथ-साथ प्रेशराइज्ड पाइप इरिगेशन नेटवर्क (PPIN) जैसे सिस्टम का इस्तेमाल किया जाएगा. इससे न सिर्फ जल की बचत होगी, बल्कि किसानों की आमदनी और उत्पादकता में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी.

कैसे बदलेगी सिंचाई की तस्वीर?

•    पारंपरिक नहरों और बारिश पर निर्भरता खत्म होगी.
•    खेतों में पहुंचेगा दबावयुक्त पाइपों से पानी, जिससे 90 फीसदी तक जल उपयोग दक्षता सुनिश्चित होगी.
•    ऊर्जा और पंपिंग लागत में भारी कमी आएगी, खेती होगी कम खर्चीली और अधिक टिकाऊ.
•    योजना का संचालन आईआईटी कानपुर की विशेषज्ञता के साथ किया जाएगा.

एक क्लस्टर, एक फसल' मॉडल को बढ़ावा

इस योजना के तहत 50 से 5000 हेक्टेयर क्षेत्र में क्लस्टर बनाए जाएंगे. हर क्लस्टर में वॉटर यूजर सोसाइटी (WUS) का गठन होगा, जो किसानों को सिंचाई प्रबंधन में भागीदार बनाएगा. इससे खेती में सामूहिक निर्णय, पारदर्शिता और जल की समान उपलब्धता सुनिश्चित होगी. 

तकनीक से निगरानी, युवा बनेंगे तकनीकी साथी

इस योजना की निगरानी राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर की जाएगी. साथ ही IoT, SCADA, GIS और सैटेलाइट तकनीकों की मदद से पानी की आपूर्ति और उपयोग पर स्मार्ट नज़र रखी जाएगी. निगरानी राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर होगी. वहीं जल शक्ति मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में केंद्रीय समिति बनेगी. राज्य स्तर पर मुख्य सचिव और जिला स्तर पर जिलाधिकारी योजना के कार्यों की निगरानी करेंगे. साथ ही आईओटी (इंटरनेट ऑफ थिंग्स), एससीएडीए (सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्किजिशन), जीआईएस (ग्राफिक इंफ्रॉर्मेशन सिस्टम और सैटेलाइट) डेटा  जैसे तकनीकी उपकरणों के जरिए भी निगरानी की जाएगी.

इस कदम से न केवल जल की बर्बादी रुकेगी, बल्कि किसानों की उत्पादकता, आमदनी और आत्मनिर्भरता बढ़ेगी. सीएम योगी के निर्देश दिये हैं कि हर जिले में पायलट प्रोजेक्ट को समय पर पूरा किया जाए और डब्ल्यूयूएस की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाए. इस योजना के क्रियान्वयन में युवाओं को पाइप, पंप, सेंसर और फिल्टर जैसी उन्नत सिंचाई तकनीकों की ट्रेनिंग दी जाएगी. इससे उन्हें रोजगार के नए अवसर मिलेंगे.

मेक इन इंडिया और MSME को भी मिलेगा बल

इस योजना के लिए जरूरी उपकरणों का निर्माण देश में ही होगा. इससे न केवल मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय एमएसएमई उद्योगों को भी नए बाजार और अवसर मिलेंगे. योगी सरकार की यह योजना न केवल जल संरक्षण की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है, बल्कि इससे कृषि को स्मार्ट, किसानों को आत्मनिर्भर और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का सपना साकार होता दिख रहा है.

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