उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों की आय में अचानक बढ़ोतरी होती नजर आ रही है. इसके पीछे योगी सरकार की नीतियां लगातार कारगर साबित हो रही हैं. राज्य में गन्ने की अधिक उत्पादक और लाभदायक किस्मों को विकसित कर खेती को लाभ का सौदा बनाया जा रहा है. उप्र. गन्ना शोध परिषद द्वारा जलवायु के अनुकूल और रोग रोधी किस्में विकसित करने से किसानों की आमदनी में बड़ी वृद्धि हुई है. वहीं गन्ना समितियों को भी अधिक सशक्त बनाया जा रहा है, ताकि किसानों को हर स्तर पर तकनीकी सहायता मिल सके. इससे न सिर्फ गन्ना उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो रही है, बल्कि किसान अब ज्यादा लाभ भी कमा रहे हैं.
प्रदेश में 10 वर्षों के भीतर गन्ने की जलवायु आधारित किस्मों का विकास किया गया है. प्रदेश में 59 प्रमुख किस्में उगाई जा रही हैं. इनमें 28 अगेती और 31 मध्य पछेती वर्तमान में काफी सफलतापूर्वक प्रयोग की जा रही हैं. यह प्रयास किसानों को बेहतर उपज और लाभ देने में मददगार साबित हो रहे हैं.
अब तक 243 उत्कृष्ट किस्मों को विकसित किया जा चुका है. ये किस्में गन्ना उद्योग के अनुरूप अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई हैं. यह प्रजातियां न केवल उत्पादन बढ़ाने में कारगर हैं बल्कि इनसे शुगर रिकवरी भी बेहतर होती है.
दरअसल, 267 हेक्टेयर क्षेत्रफल में तैयार की गई प्रजनक बीज नर्सरी गन्ना किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. नर्सरी के माध्यम से किसानों को प्रमाणित और रोग रहित बीज उपलब्ध कराया जा रहा है जिससे फसल की गुणवत्ता में इजाफा हो रहा है.
सबसे खास बात है कि नवाचार के तहत विकसित की गई गन्ने की नई किस्में रोग प्रतिरोधक क्षमता से युक्त हैं. इससे फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीट और बीमारियों का प्रभाव कम हुआ है, जिससे उत्पादन लागत घटकर मुनाफा बढ़ा है. इसका सीधा फायदा प्रदेश के लाखों गन्ना किसानों को हो रहा है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में गन्ना समितियों को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाया जा रहा है. किसानों को समय पर भुगतान, बीज, उर्वरक, प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता उपलब्ध कराने में समितियों की भूमिका को और अधिक मजबूत किया जा रहा है. जिससे प्रदेश के किसानों को इसका ज्यादा से ज्यादा लाभ मिलेगा.
बता दें कि प्रदेश में करीब 50 लाख किसान परिवार गन्ने की खेती से जुड़े हुए हैं. उनके हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने गन्ने की पैदावार, क्षेत्रफल, चीनी की गुणवत्ता और मिलों की कार्यक्षमता बढ़ाने पर जोर दिया है. पिछले कुछ वर्षों में प्रदेश में चीनी मिलों का आधुनिकीकरण, सल्फर मुक्त चीनी का उत्पादन, नई डिस्टिलरी यूनिट्स और को-जेनरेशन प्लांट्स लगाए गए हैं. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक राज्य है. यहां हर साल लगभग 1000 लाख टन से ज्यादा गन्ने का उत्पादन होता है.
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