दो दिन से हो बारिश की वजह से मौसम का मिजाज बदल गया है. यह बारिश गेहूं और सब्जियों के लिए फायदेमंद है. दरअसल, इस वक्त गेहूं की फसल को सिंचाई की जरूरत होती है. ऐसे में रिमझिम बारिश किसानों की यह समस्या खत्म करेगी. साथ में ही गेहूं की बाली में पानी जाने के कारण यह बारिश की बूंदें खाद का काम करेगी. जिसकी वजह से फसलों का अच्छा विकास होगा. पूसा के प्रिंसिपल साइंटिस्ट राजबीर यादव के मुताबिक इस बारिश से दो फायदे हैं. एक तो सिंचाई का काम हो गया है और दूसरे नाइट्रोजन की कुछ कमी भी पूरी होगी. बारिश की बूंदों में नाइट्रोजन होता है.
अभी तक का मौसम गेहूं की पैदावार के लिए अनुकूल है. तापमान सही है. बारिश की जरूरत थी, वो भी हो गई. ऐसे में अच्छी पैदावार का अनुमान है. भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल के वैज्ञानिकों ने भी मौसम गेहूं के विकास के लिए काफी अनुकूल बताते हुए इस वर्ष (2022-23) में रिकॉर्ड पैदावार की उम्मीद जताई है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक 27 जनवरी तक 341.85 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुआई हो चुकी है, जबकि इसका सामान्य क्षेत्र 304.47 लाख हेक्टेयर है.
पूसा में सरसों के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. नवीन सिंह का कहना है कि इस बारिश से अगेती सरसों के लिए न तो नुकसान है और न कोई फायदा. लेकिन पछेती बुवाई वाली सरसों के लिए जिसकी बुवाई खासतौर पर नवंबर 2022 में हुई थी उसके लिए फायदेमंद है. ऐसी सरसों की खेती अभी फ्लावरिंग स्टेज पर है. इसमें हल्की बूंदाबादी से फायदा होता है. इरीगेशन भी हो गया जो इसके लिए बढ़िया है. किसानों के लिए अच्छी बात यह है कि अब पाले का वक्त जा चुका है. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक सब्जियों की फसल के लिए यह बारिश ठीक है. किसानों का एक सिंचाई का पैसा बच गया है.
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कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि चने की फसल में अगर फली छेदक कीट लग रहे हैं तो उससे निपटने के लिए फीरोमोन ट्रैप का इस्तेमाल करें. प्रति हेक्टेयर 3-4 ट्रैप लगा सकते हैं. यह काम उन खेतों में करें जिनके पौधों में 25-35 फीसदी फूल खिल गए हों. कद्दूवर्गीय सब्जियों की अगेती फसल की पौध तैयार करने के लिए बीजों को छोटी पॉलिथिन के थैलों में भर कर पाली घरों में रखें. इस मौसम में तैयार बंदगोभी, फूलगोभी और गांठगोभी आदि की रोपाई मेड़ों पर कर सकते हैं.
इस मौसम में किसान पालक, धनिया और मेथी की बुवाई कर सकते हैं. पत्तों के बढ़वार के लिए 20 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करने की सलाह दी गई है. तैयार खेतों में प्याज की रोपाई कर सकते हैं. रोपाई वाले पौध छ: सप्ताह से ज्यादा की नहीं होनी चाहिए. पौधों को छोटी क्यारियों में रोपाई करने की सलाह दी गई है. रोपाई से 10-15 दिन पहले खेत में 20-25 टन सड़ी गोबर की खाद डालें. 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60-70 किलोग्राम फॉस्फोरस और 80-100 किलोग्राम पोटाश आखिरी जुताई में ड़ालें. पौधों की रोपाई अधिक गहराई में न करें. कतार से कतार की दूरी 15 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखें.
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