चावल की बढ़ती कीमत पर लगाम लगाने के लिए सरकार सतर्क हो गई है. इसके लिए वह रिटेल मार्केट में पीडीएस चावल को उतार सकती है. सरकार को उम्मीद है कि उसके इस फैसले से चावल की कीमत में गिरावट आ सकती है. वहीं, एफसीआई प्रमुख अशोक के मीना का कहना है कि पीडीएस चावल की क्वालिटी काफी अच्छी होती है. ऐसे में व्यापारियों को रिटेल मार्केट में पीडीएस चावल की सप्लाई बढ़ानी चाहिए, ताकि कीमतें नियंत्रित रहें.
द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अशोक के मीना ने कहा कि हमने व्यापारियों से खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत अनाज खरीदने का आग्रह किया है. उनका कहना है कि ओएमएसएस के तहत चावल व्यापारियों और प्रोसेसरों की अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. उनके मुताबिक, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने बोली की मात्रा 1000 टन से बढ़ाकर 2000 टन प्रति बोलीदाता कर दी और न्यूनतम बोली की मात्रा 10 टन से घटाकर 1 टन कर दी है.
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अशोक के मीना के मुताबिक, ओएमएसएस के तहत अभी सरकार गेहूं और आटे की बिक्री कर रही है. इससे इनकी बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने में काफी मदद मिली है. उन्होंने कहा कि चावल के मामले में, योजना के तहत अब तक अनाज का उठाव ज्यादा नहीं हुआ है. मीना ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि चावल की महंगाई दर सरकार के लिए चिंता का विषय बन गई है. पिछले साल के मुताबिक इसकी कीमत में 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. यही कारण है कि हम ओएमएसएस के तहत चावल बेच रहे हैं.
हालांकि, ओएमएसएस पहल के व्यापक प्रचार के बावजूद जून से अब तक चावल की बिक्री केवल 1.19 लाख टन रही है. जबकि, सरकार ने ओएमएसएस के तहत 25 लाख टन चावल उठाने का फैसला किया है. पीडीएस चावल के बारे में बत करते हुए उन्होंने कहा कि लोगों की धारणा है कि इसकी क्वालिटी खराब होती है, लेकिन ऐसी बात नहीं है. उन्होंने कहा कि एफसीआई के पास बहुत अच्छी गुणवत्ता वाला चावल उपलब्ध है. पीएमजीकेएवाई के तहत दिए जाने वाले चावल की गुणवत्ता उतनी ही अच्छी है जितनी आप बाजार में देखते हैं. उन्होंने कहा, एकमात्र मुद्दा यह है कि पीडीएस चावल में 25 प्रतिशत तक टूटा हुआ चावल होता है. ऐसे इसकी गुणवत्ता खपत के लिए अच्छी है.
अभी ओएमएसएस के तहत साप्ताहिक ई-नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से चावल 2,900 रुपये प्रति क्विंटल पर बिक्री के लिए पेश किया जा रहा है. एफसीआई प्रमुख के अनुसार, ओएमएसएस के तहत निजी व्यापारियों द्वारा चावल के अधिक उठाव से घरेलू बाजार में उपलब्धता में सुधार होगा, जिससे कीमतें नीचे आएंगी. उन्होंने कहा कि अभी देश में चावल का भंडार अच्छा है. वर्तमान में हमारे पास कुल 20 मिलियन टन अधिशेष चावल है, जो प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लिए हमारी आवश्यकता से अधिक है. उन्होंने कहा कि 2023-24 खरीफ विपणन सीजन में लगभग 23.7 मिलियन टन चावल की खरीद की गई है.
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