एक बार लगाएं और पांच साल काटें ये हरा चारा, पशुओं के लिए नहीं होगी भोजन की कमी

एक बार लगाएं और पांच साल काटें ये हरा चारा, पशुओं के लिए नहीं होगी भोजन की कमी

पशु चारे के लिए किसान ज्वार, बरसीम जैसी फसलें बोते हैं, लेकिन ये फसलें कुछ महीनों तक ही चारा प्रदान करती हैं, ऐसे में किसान गिनी घास बोकर कई सालों तक चारा ले सकते हैं.

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एक बार लगाएं और पांच साल काटें ये हरा चारा, पशुओं के लिए नहीं होगी भोजन की कमीक्या है गिनी घास की खासियत?

पाली के.के. वी.के. गिनी नामक घास का उत्पादन करने में सफल रहा, जो कम पानी में अधिक उत्पादन देती है. इतना ही नहीं एक बार लगाने पर इससे चार से पांच साल तक घास फसल की प्राप्ति होती है. पशुओं की बात करें तो गर्मियों में पशुओं को पानी के साथ-साथ हरे चारे की भी जरूरत होती है. वहीं, राजस्थान जैसे राज्य में जहां पानी की किल्लत हमेशा बनी रहती है, वहां के किसान कम पानी में भी इस फसल को आसानी से उगा सकते हैं. गिनी घास की खेती के लिए किसानों को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है. ऐसे में पशुपालक के लिए यह एक बेहतर विकल्प है. ऐसे में किसानों में इस फसल को लेकर उत्साह है. किसान केवल एक बार इस फसल को लगाकर बार-बार गिनी घास प्राप्त कर सकते हैं.

इतना ही नहीं, गिनी घास पशु का दूध बढ़ाने में भी बहुत मददगार है. कई किसान इस बात से चिंतित रहते हैं कि उनके पशु कम दूध देते हैं. ऐसे में ये घास उनकी समस्या का समाधान कर सकती है.

क्या है गिनी घास कि खासियत

  • गिनी घास (पैनिकम मैक्सिमम) एक गर्म मौसम की बारहमासी घास है जिसकी व्यापक रूप से चारे और चारागाह गुणों के लिए खेती की जाती है.
  • गिनी घास मुख्य रूप से पशुओं के लिए चारा फसल के रूप में उगाई जाती है. इसकी उच्च पैदावार और अच्छा पोषण मूल्य है, जो इसे चारा और घास उत्पादन के लिए उपयुक्त बनाता है.
  • कुछ अन्य चारा घासों की तुलना में गिनी घास अपेक्षाकृत सूखा-सहिष्णु है. यह कम पानी की उपलब्धता की अवधि का सामना कर सकता है और फिर भी अपनी उत्पादकता बनाए रख सकता है, जो कम बारिश वाले क्षेत्रों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है.
  • गिनी घास की एक विशेषता इसकी विभिन्न प्रकार की मिट्टी और वातावरण के प्रति अनुकूलनशीलता है. यह विभिन्न प्रकार की मिट्टी की स्थितियों में अच्छी तरह से विकसित हो सकता है, रेतीली से लेकर चिकनी मिट्टी तक, जब तक कि वे अच्छी तरह से जल निकासी वाली हों. गिनी घास की घनी वृद्धि खरपतवारों की वृद्धि को दबाने में मदद कर सकती है.

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गिनी घास की फसल में खाद की उपयोगिता

25 टन प्रति हेक्टेयर की दर से अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद की आवश्यकता होती है. इस खाद को खेत में तैयार करते समय मिट्टी में मिला देना चाहिए. बुआई के समय 60 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 50 कि.ग्रा. फास्फोरस एवं 40 कि.ग्रा. पंक्तियों में पोटाश मिला देना चाहिए. इसके बाद 20 किग्रा. और 10 कि.ग्रा. नाइट्रोजन का उपयोग कटाई के बाद करना चाहिए. बाद में हर साल 40 किग्रा. नाइट्रोजन का प्रयोग प्रति हेक्टेयर करना चाहिए.

कब करें सिंचाई?

यदि सिंचाई उपलब्ध हो तो गर्मी के दिनों में सिंचाई करनी चाहिए, मार्च से जून तक 20 दिन बाद सिंचाई करने से साल भर चारा उपलब्ध रहता है. वर्षा ऋतु में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती. ऐसे में राजस्थान के किसानों और खासकर पशुपालकों के लिए यह एक बेहतर विकल्प है. 

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