Rice Farming: अंबाला में धान किसानों के लिए क्‍यों मुसीबत बन गया है मॉनसून, सता रहा है एक डर

Rice Farming: अंबाला में धान किसानों के लिए क्‍यों मुसीबत बन गया है मॉनसून, सता रहा है एक डर

Rice Farming:मॉनसून की बारिश की वजह से मौसमी नदियां उफान पर हैं और बारिश का पानी जमा हो गया है. निचले इलाकों में धान के खेतों में हालात बेहद खराब हैं. जलभराव की वजह से 800 से 1000 एकड़ में फैले धान के खेत पानी में डूब गए हैं. इस सीजन में अंबाला में करीब 92000 एकड़ में धान की फसल होने की उम्मीद है और 70 फीसदी से ज्‍यादा की रोपाई पूरी हो चुकी है.

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Rice Farming: अंबाला में धान किसानों के लिए क्‍यों मुसीबत बन गया है मॉनसून, सता रहा है एक डर rice farming haryana: अंबाला में मॉनसून की बारिश ने बढ़ाई किसानों की चिंता

मॉनसून हर किसान के लिए खुशी की खबर की तरह होता है जो पूरे साल उसकी आमदनी को तय करता है लेकिन अब यही मॉनसून अंबाला के धान के किसानों के लिए मुसीबत बन गया है. अंबाला में धान की खेती करने वाले किसान अब परेशान हैं. मॉनसून की बारिश की वजह से मौसमी नदियां उफान पर हैं और बारिश का पानी जमा हो गया है. निचले इलाकों में धान के खेतों में हालात बेहद खराब हैं और इसकी वजह से किसान चिंतित हैं. 

70 फीसदी से ज्‍यादा रोपाई पूरी 

अखबार द ट्रिब्‍यून की रिपोर्ट के अनुसार जलभराव की वजह से 800 से 1000 एकड़ में फैले धान के खेत पानी में डूब गए हैं. इस सीजन में अंबाला में करीब 92000 एकड़ में धान की फसल होने की उम्मीद है और 70 फीसदी से ज्‍यादा की रोपाई पूरी हो चुकी है. अंबाला ब्लॉक 1 में अब सिर्फ बासमती बेल्ट का एक हिस्‍सा ही बाकी है जिस पर धान बोया जाना बाकी है. 

अखबार ने हसनपुर गांव के किसान राजीव शर्मा के हवाले से लिखा, 'मैंने करीब 15 एकड़ में धान की रोपाई की है जिसमें से 8-10 एकड़ बारिश के पानी में डूबा हुआ है. इसके बचने की संभावना नहीं है. मैं रोपाई पर पहले ही 5,000 रुपये प्रति एकड़ और पौधों पर 2,000 रुपये प्रति एकड़ खर्च कर चुका हूं. अब हमें पानी के कम होने का इंतजार करना होगा और फिर दोबारा रोपाई का काम शुरू करना होगा. अब किसानों के लिए मजदूरों की कमी और अच्छी गुणवत्ता वाले पौधे जुटाना एक और चुनौती होगी.' 

किसानों की सिंचाई विभाग से अपील 

इसी तरह से माजरी गांव के धान की खेती करने वाले किसान गुरमीत सिंह ने बताया कि उनके गांव के करीब 80 से 90 एकड़ खेत पानी में डूबे हुए हैं. आस-पास के गांवों से आने वाला पानी उनके खेतों से होकर बह रहा है. ऐसे में उन्‍होंने हाल ही में धान की जो फसल बोई थी, वह भी पानी में डूब गई है. राजीव शर्मा की ही तरह गुरमीत का भी कहना है कि यह फसल बर्बाद होने की कगार पर है. 

उन्‍होंने बताया मौजूदा हालात के कारण किसानों को भारी नुकसान होगा क्योंकि पानी कम होने पर उन्हें दोबारा धान की रोपाई करनी पड़ेगी. धान की रोपाई पर गुरमीत पहले ही करीब 10 हजार रुपए प्रति एकड़ खर्च कर चुके हैं जिसमें मजदूरी, लागत, डीजल और दवाइयां शामिल हैं. गुरमीत ने अपील की कि सिंचाई विभाग को इस पर कोई कदम उठाना चाहिए और धान की खेती करने वाले किसानों को राहत देनी चाहिए. 

क्‍या बोले कृषि अधिकारी 

अंबाला के कृषि उपनिदेशक (डीडीए) डॉ. जसविंदर सैनी ने कहा, 'बराड़ा, साहा और मुलाना क्षेत्र में धान की खेती करने वाले किसानों को खेतों में पानी भरने से नुकसान हो सकता है. मारकंडा और बेगना नदियों के उफान पर होने से खेतों में पानी घुस गया है और पानी लगातार बह रहा है. करीब 800-1000 एकड़ जमीन पानी में डूबी हुई है. अगर धान की फसल 2-3 दिन और डूबी रही तो किसानों को नुकसान होगा. उन्‍होंने कहा कि किसानों को जल्द से जल्द अतिरिक्त पानी निकलवाने का प्रयास करना चाहिए. इससे किसानों को दोबारा रोपाई के लिए पर्याप्त समय मिलेगा और उन्हें जुलाई के दूसरे हफ्ते तक रोपाई पूरी करने का प्रयास करना चाहिए. 

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