तरबूज महाराष्ट्र में उगाई जाने वाली प्रमुख फसलों में से एक हैं. महाराष्ट्र में तरबूज की खेती लगभग 660 हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है. तरबूज सीजनल फसलों में आता जिसकी खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. महाराष्ट्र में तरबूज की फसलें गर्मी के मौसम में नदी घाटियों के साथ-साथ बागवानी फसलों में उगाई जाती हैं. गर्मियों में इसकी डिमांड अधिक होती है ऐसे में किसान अगर इसकी खेती सही समय पर हैं तो उन्हें अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों मिल सकता हैं.
तरबूज की अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को उसको सही समय पर खेती और अच्छी किस्मों का चयन करना बेहद जरूरी है, इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसमें न कीट लगते हैं और न ही रोग होता है. इन किस्मों की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. बाजार में इसकी डिमांड पूरे साल बनी रहती है ऐसे में किसानों के लिए तरबूज की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है. तरबूज की बुआई का सीजन दिसंबर से जनवरी में शुरू हो जाता है. मार्च में इसकी हार्वेस्टिंग होती है. वहीं कुछ क्षेत्रों में इसके बुवाई का समय मिड फरवरी, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में यह मार्च अप्रैल में बोया जाता है.
इस किस्म के फल बीज बोने के 95-100 दिन बाद तोड़ाई के लिए तैयार हो जाते है, जिनका औसत भार 4-6 किलोग्राम होता है. इसके फल में बीज बहुत कम होते है. इस किस्म से प्रति हैक्टेयर 200-250 क्विंटल तक उपज प्राप्त की जा सकती है.
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इस किस्म का विकास भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बंगलौर किया गया है। इस किस्म के फल का भार 6-8 किलोग्राम तक होता है. इसके फलों की भंडारण क्षमता भी अधिक होती है. इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 350 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.
यह जापान से लाई गई किस्म है. इस किस्म के फल का औसत भार 7-8 किलोग्राम होता है. इसका छिलका हरा और मामूली धारीदार होता है. इसके बीज छोटे होते है. इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 225 क्विंटल तक उपज प्राप्त की जा सकती है.
यह किस्म एन.आर.सी.एच. द्वारा गर्म शुष्क क्षेत्रों में खेती के लिए जारी की गई है. यह किस्म उच्च तापमान सहन कर सकती है. इससे प्राप्त फल गुणवत्ता में श्रेष्ठ और स्वाद में मीठा होता है. यह किस्म 75-80 दिन में तैयार हो जाती है. इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 46-50 टन तक उपज प्राप्त की जा सकती है.
इस किस्म की सबसे बङी विशेषता यह है कि इसके फलों में बीज नहीं होते हैं. फल में गूदा गुलाबी व अधिक रसदार व मीठा होता है यह किस्म 85-90 दिन में तैयार हो जाती है.
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