इस समय देशभर के कई इलाकों में धान की फसल में बालियां निकलने लगी हैं. यह फसल का एक बहुत ही नाज़ुक दौर होता है, और इसी समय मौसम में नमी और उमस के कारण कुछ हानिकारक कीटों का हमला बढ़ जाता है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा (IARI) के वैज्ञानिकों ने किसानों को सावधान किया है कि वे अपनी फसल पर दो खतरनाक कीटों में भूरा फुदका यानी ब्राउन प्लांट हॉपर और तना छेदक की निगरानी रखें. सही समय पर इनकी पहचान और रोकथाम करके आप अपनी मेहनत को बर्बाद होने से बचा सकते हैं और पैदावार में होने वाले नुकसान को रोक सकते हैं.
भूरा फुदका जिसे 'मच्छर' या 'तेला' भी कहते हैं, धान के लिए बेहद खतनाक कीट है. यह कीट बहुत तेजी से अपनी संख्या बढ़ाता है और पूरी की पूरी फसल को कुछ ही दिनों में सुखा सकता है, जिसे 'हॉपर बर्न' कहते हैं. यह कीट हमेशा धान के पौधे के तने के निचले हिस्से में, पानी की सतह के पास छिपा रहता है. यह मच्छर जैसा दिखने वाला छोटा, भूरे रंग का कीट होता है. इसकी जांच के लिए खेत के अंदर जाएं, पौधों को थोड़ा झुकाकर तने के पास देखें. अगर आपको वहां मच्छर जैसे कीड़े झुंड में बैठे दिखें, तो सावधान हो जाएं. ये कीट पौधे के तने से लगातार रस चूसते हैं, जिससे पौधा कमजोर होकर पीला पड़ने लगता है और धीरे-धीरे सूख जाता है. खेत में जगह-जगह गोल घेरे में फसल सूखी हुई नजर आती है.
इस कीट की रोकथाम के लिए सबसे पहले, खेत के अंदर जाकर पौधों के निचले भाग की नियमित जांच करते रहें. अगर आपको एक पौधे के आसपास 5-10 या उससे ज़्यादा फुदके दिखाई दें, तो तुरंत कीटनाशक का छिड़काव करें. इसके लिए इमिडा क्लोप्रिड दवा की 1 मिलीलीटर मात्रा को 3 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें. छिड़काव करते समय ध्यान दें कि नोजल का मुंह पौधे की जड़ों और तने की ओर हो, क्योंकि ये कीट वहीं छिपे होते हैं. सिर्फ पत्तियों पर छिड़काव करने से कोई फायदा नहीं होगा.
तना छेदक धान की फसल के लिए बेहद खतरनाक कीट है. यह कीट जुलाई से लेकर नवंबर तक सक्रिय रहता है और फसल को किसी भी अवस्था में नुकसान पहुंचा सकता है. इस कीट की सुंडी (लार्वा) धान के पौधे के तने में घुसकर उसे अंदर से खाती है, जिससे पौधे का मुख्य भाग, जिसे 'गाभा' कहते हैं, सूख जाता है. अगर खेत में जगह-जगह पौधों की बीच वाली पत्ती सूखी हुई या पीली दिखे, तो यह तना छेदक का संकेत हो सकता है. इसे खींचने पर यह आसानी से हाथ में आ जाती है. जब बालियां निकलने की अवस्था में हों तो इसका हमला होता है. ये कीट तने को अंदर से काट देते हैं. इससे बालियों तक पोषण नहीं पहुंच पाता और वे दाना भरने से पहले ही सफ़ेद होकर सूख जाती हैं. ऐसी बालियों में दाने नहीं बनते और वे सीधी खड़ी रहती हैं.
इस कीट की निगरानी के लिए अपने खेत में 3 से 4 फेरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ के हिसाब से लगाएं. ये ट्रैप नर कीटों को अपनी ओर खींचकर पकड़ लेते हैं, जिससे उनकी संख्या कम हो जाती है और आपको यह भी अंदाज़ा लग जाता है कि खेत में कीटों का हमला कितना है. अगर खेत में तना छेदक का प्रकोप ज़्यादा दिखे, यानी 5% से ज़्यादा मरे हुए गाभे या सफ़ेद बालियां नज़र आएं, तो रासायनिक कीटनाशक का प्रयोग करें. इसके लिए कार्टाप हाइड्रोक्लोराइड 4% दानेदार की 10 किलोग्राम मात्रा प्रति एकड़ के हिसाब से खेत की मिट्टी में मिलाएं. ध्यान रहे कि बुरकाव के समय खेत में हल्का पानी भरा होना चाहिए.
इस बात का खास खयाल रखें कि अगर बारिश हो रही हो या मौसम खराब हो, तो फसल पर किसी भी कीटनाशक का छिड़काव न करें. बारिश का पानी दवा को पत्तियों से धो देता है, जिससे उसका असर पूरी तरह खत्म हो जाता है. हमेशा मौसम साफ होने और धूप निकलने का इंतजार करें.
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