Flood: बाढ़ में डूब गई है धान की फसल? नुकसान से बचने के लिए तुरंत अपनाएं ये उपाय

Flood: बाढ़ में डूब गई है धान की फसल? नुकसान से बचने के लिए तुरंत अपनाएं ये उपाय

अगर आपकी धान की फसल बाढ़ के पानी में डूब गई है, तो नुकसान से बचने के लिए तुरंत कुछ जरूरी कदम उठाएं. सबसे पहले और सबसे ज़रूरी काम खेत से पानी को तेज़ी से बाहर निकालना है. पानी निकालने के बाद, फसल को सड़ने से बचाने और उसे नई ताकत देने के लिए पोषक तत्वों का छिड़काव करें. साथ ही, कीड़ों और बीमारियों पर भी नजर रखें और बचाव के उपाय अपनाएं. विशेषज्ञ के बताए तरीके अपनाकर आप अपनी फसल को काफी हद तक बचा सकते हैं.

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 Flood: बाढ़ में डूब गई है धान की फसल? नुकसान से बचने के लिए तुरंत अपनाएं ये उपायधान की फसल पर बाढ़ का खतरा

मॉनसून की बारिश खेती के लिए वरदान है, लेकिन कई बार यह भीषण बाढ़ का रूप लेकर अभिशाप भी बन जाती है. हाल ही में पंजाब समेत देश के कई राज्यों में आई बाढ़ ने इसका गंभीर रूप दिखाया है, जहां लाखों एकड़ फसल पानी में डूब गई है. इस आपदा से सबसे ज्यादा नुकसान धान की फसल को हुआ है, जो खरीफ मौसम की एक प्रमुख फसल है. धान की फसल कितने दिन तक पानी में सुरक्षित रह सकती है, यह उसकी किस्म पर निर्भर करता है, लेकिन सामान्यत 7 से 10 दिनों तक लगातार डूबे रहने पर फसल खराब होने लगती है. अगर खेत से पानी समय पर निकल जाए और कुछ वैज्ञानिक प्रबंधन तकनीकों को तुरंत अपनाया जाए, तो फसल को काफी हद तक बचाया जा सकता है.

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सस्य विज्ञान (Agronomy) विभाग के प्रोफेसर डॉ कृष्णगोपाल यादव का सुझाव है कि अगर धान की फसल अभी विकास की अवस्था में है और उसमें बालियां नहीं बनी हैं, तो किसान कुछ खास उपाय अपनाकर अपनी फसल को बचा सकते हैं.

पहले करें खेत से पानी की निकासी 

बाढ़ के बाद सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण चुनौती खेत में जमा अतिरिक्त पानी को बाहर निकालना है. जितनी जल्दी हो सके, खेत से पानी की उचित निकासी सुनिश्चित करनी चाहिए. अगर पानी लंबे समय तक खेत में भरा रहता है, तो धान के पौधों की जड़ें गलने लगती हैं, क्योंकि उन्हें ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है. इससे पौधे पीले पड़कर मरने लगते हैं. खेत के निचले हिस्से में नाली बनाकर पानी को बाहर निकालने का रास्ता बनाएं. संभव हो, तो पंप या अन्य साधनों का उपयोग करके पानी को तेजी से बाहर निकालें. यह सुनिश्चित करें कि खेत में जलभराव की स्थिति 24 से 48 घंटे से अधिक न रहे. 

पौधों की करें सफाई नहीं तो होगा नुकसान

बाढ़ का पानी अपने साथ बहुत सारी मिट्टी, गाद और अन्य गंदगी लाता है, जो धान के पौधों की पत्तियों पर जम जाती है. यह जमी हुई परत पौधों के लिए कई तरह से हानिकारक होती है. यह पत्तियों के रंध्रों (स्टोमेटा) को बंद कर देती है, जिससे पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया ठीक से नहीं कर पाते हैं. प्रकाश संश्लेषण वह प्रक्रिया है जिससे पौधे अपना भोजन बनाते हैं, और इसके बाधित होने से पौधे कमजोर हो जाते हैं.

अगर बाढ़ के पानी के निकलने के बाद हल्की बारिश हो जाती है, तो यह स्वाभाविक रूप से पत्तियों पर जमी गंदगी को धो देती है. यह सबसे अच्छा और आसान तरीका है. बारिश नहीं होती है, तो किसानों को स्वयं पौधों की सफाई करनी चाहिए. इसके लिए साफ पानी को स्प्रेयर में भरकर पौधों पर छिड़काव करना चाहिए, ताकि पत्तियों पर जमी मिट्टी और गाद की परत हट जाए. ऐसा करने से पौधे फिर से सांस ले पाएंगे और अपना भोजन बनाना शुरू कर देंगे.

पौधों को दें नई ताकत, प्रयोग करें ये खाद

बाढ़ के कारण खेत की मिट्टी से कई पोषक तत्व, विशेष रूप से नाइट्रोजन, बह जाते हैं. नाइट्रोजन पौधों की वानस्पतिक वृद्धि के लिए सबसे अहम तत्व है. इसकी कमी से पौधे पीले पड़ जाते हैं और उनकी बढ़वार रुक जाती है. इसलिए, बाढ़ के बाद फसल को तुरंत पोषक तत्व उपलब्ध कराना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि वे फिर से हरे-भरे हो सकें और अपनी वृद्धि जारी रख सकें.

पहले चरण में फोलियर स्प्रे : बाढ़ का पानी हटने के 6-7 दिन बाद, 2% यूरिया और 1% जिंक सल्फेट का पत्तियों पर छिड़काव (फोलियर स्प्रे) करें. घोल बनाने की विधि ये है कि 100 लीटर पानी में 2 किलो यूरिया और 1 किलो जिंक सल्फेट मिलाएं. जिंक सल्फेट के घोल को स्थिर करने और पत्तियों पर जलन से बचाने के लिए इसमें 1 किलो बुझा हुआ चूना भी मिलाएं. यह छिड़काव पौधों को तत्काल ऊर्जा प्रदान करेगा क्योंकि पत्तियां सीधे इन पोषक तत्वों को सोख लेती हैं.
दूसरा चरण यूरिया का बूस्टर डोज: फोलियर स्प्रे के लगभग 3 दिन बाद, या बाढ़ हटने के 8-9 दिनों के बाद, खेत में यूरिया की टॉप ड्रेसिंग करें मात्रा:प्रति एकड़ 25-30 किलोग्राम यूरिया का छिड़काव करें . यह जड़ों के माध्यम से पौधों को नाइट्रोजन की एक स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करेगा, जिससे नए कल्ले (टिलर) निकलेंगे और पौधा तेजी से ठीक होगा.

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