देश को चार दशक के बाद एक भारतीय को अंतरिक्ष यात्रा का अवसर मिला. यह हमारा सौभाग्य है कि यह अवसर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जन्मे ग्रुप कैप्टश शुभांशु शुक्ला काे प्राप्त हुआ. वह सफलतम यात्रा के बाद पहली बार लखनऊ आए हैं. हर भारतवासी बड़े विश्वास और आशा भरी निगाहों से उनकी अंतरिक्ष यात्रा को देख रहा था. ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को लोकभवन के सभागार में आयोजित देश के सपूत, अंतरिक्ष यात्री एवं ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के लखनऊ आगमन पर नागरिक अभिनंदन में कार्यक्रम में कही.
सीएम ने कहा कि इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन से अंतरिक्ष यात्रा काे लेकर बातचीत हुई, जिसमें ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की यात्रा, अंतरिक्ष मिशन और भविष्य में होने वाली प्रयोगों पर चर्चा हुई. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने 18 दिनों में पूरी पृथ्वी का दौरा किया, जो किसी भी आम नागरिक के लिए अविश्वसनीय अनुभव है. उनका यह अनुभव भविष्य में उत्तर प्रदेश और देश के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा. इस यात्रा से ना केवल उन्होंने अंतरिक्ष में अपनी पहचान बनाई, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं, जलवायु परिवर्तन, बाढ़, सूखा और कृषि के संकटों से निपटने के लिए भी नई दिशा दिखाई है.
योगी ने कहा कि स्पेस टेक्नोलॉजी के उपयोग से प्राकृतिक आपदाओं का बेहतर प्रबंधन और किसानों की आय में वृद्धि संभव है. सीएम ने कहा कि फिल्म के माध्यम से हम सभी ने देखा कि किन-किन क्षेत्रों में आगे बढ़ने की संभावनाएं हैं जबकि पहले यह फील्ड हम सभी से अछूती थी. वर्तमान में क्लाइमेट चेंज से हर व्यक्ति जूझ रहा है. ऐसे में इससे निपटने के लिए स्पेस टेक्नोलॉजी का उपयोग कर सकते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने STEM (Science, Technology, Engineering and Mathematics) शिक्षा के महत्व पर बल दिया. उन्होंने कहा कि ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने भी युवाओं से स्पेस टेक्नोलॉजी में करियर बनाने की बात कही. आज के युवा के पास अंतरिक्ष मिशन जैसी नई ऊंचाइयों तक पहुंचने के अनगिनत अवसर हैं, जो पहले कभी नहीं थे.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग से अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के अनुभव का इस्तेमाल विभाग में करने को कहा. इसके अलावा सीएम योगी ने स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए शुभांशु शुक्ला के नाम से स्कॉलरशिप का ऐलान किया. सीएम ने कहा कि 3 वर्ष से 4 वर्ष पहले प्रदेश में स्पेस टेक्नोलॉजी को लेकर किसी भी विश्वविद्यालय, संस्थान में न तो कोई पाठ्यक्रम था, न ही सिलेबस, न डिग्री, न डिप्लोमा और न ही कोई सर्टिफिकेट कोर्स था. वहीं वर्तमान में प्रदेश के दर्जन भर से अधिक टेक्निकल इंस्टीट्यूशन में स्पेश टेक्नोलॉजी को लेकर कोर्सेज संचालित हो रहे हैं, जो यह दर्शाता है.
इस अवसर पर अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में बिताए अपने पलों को साझा किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि जब आप पहली बार स्पेस स्टेशन पर पहुंचते हैं तो पहली बार आपका शरीर माइक्रोग्रेविटी का एक्सपीरियंस शेयर करता है. आपके शरीर में बहुत सारे बदलाव आते हैं. आपके शरीर का पूरा ब्लड सर में आ जाता है, जिससे आपका सर बड़ा हो जाता है.
उन्होंने बताया कि आपका हार्ट स्लो हो जाता है क्योंकि उसको ग्रेविटी के अगेंस्ट काम नहीं करना है. आपके पेट में जो भी होता है, वह भी फलौट करने लगता है. इसे आप समझ नहीं आते हैं कि आपके अंदर क्या चल रहा है. आपको भूख नहीं लगती है. बहुत सारे चैलेंजेस होते हैं. मुझे लगता है कि हम ऐसी जगह लाइफ को सस्टेन कर रहे हैं, जहां लाइफ सस्टेन होनी नहीं चाहिए. वहां का वातावरण है कि वैक्यूम है, तापमान काफी हार्ष है और हवा बिल्कुल भी नहीं है. इसके सबके बाद भी ह्यूमन इंजीनियरिंग का कमाल है कि इसके बाद भी वहां पर लाइफ को सस्टेन कर पा रहे हैं. इसी डॉयरेक्शन में भारत अपनी जर्नी पर है. जब हम अपना पहला मिशन लॉन्च करेंगे, जो दुनिया के चौथे राष्ट्र होंगे, जिसके पास ये कैपेबिलिटी होगी.
बता दें कि अंतरिक्ष यात्री शुक्ला इसी 10 अक्टूबर को 40 वर्ष के हो जाएंगे. वह 2006 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुए थे. वह सुखोई-30 एमकेआई, मिग-29, जगुआर और डोर्नियर-228 जैसे उन्नत लड़ाकू विमानों पर 2,000 घंटे से ज्यादा उड़ान भरने के अनुभव के साथ एक सम्मानित परीक्षण पायलट बने.
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