मौजूदा वक्त में बहुत सारे ऐसे किसान हैं जो परंपरागत फसलों की खेती को छोड़कर नकदी फसलों की खेती करने लगे हैं. दरअसल, पिछले कुछ सालों में नकदी फसलों में शामिल फलों और सब्जियों की ओर किसानों का रुझान काफी तेजी से बढ़ा है. इन्हीं फलों और सब्जियों में से एक सीडलेस खीरे यानी बिना बीज वाले खीरे की खेती भी है. जिसकी खेती करके किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. बता दें कि मार्च का महीना सीडलेस खीरे के लिए बेस्ट होता है. वहीं. इस खीरे की खेती को पॉलीहाउस तकनीक से करने पर किसान बंपर उत्पादन और कमाई कर सकते हैं. आइए जानते हैं कैसे?
वैसे तो गर्मी आते ही खीरे की मांग बाजार में बढ़ जाती है, लेकिन पिछले कुछ सालों में बाजार में सीडलेस खीरे की मांग काफी तेजी से बढ़ रही है. लेकिन खेती के दौरान किसानों के सामने एक सबसे बड़ी समस्या आती है कि इसके उन्नत किस्म के बीज कहां से खरीदें, जिससे अच्छी उपज मिल सके. ऐसे में जो किसान सीडलेस खीरे की खेती करना चाहते हैं, वो किसान आईसीएआर की ओर से विकसित पूसा-6 सीडलेस खीरे की खेती कर सकते हैं. वहीं, इस किस्म का बीज किसान किसी भी बीज की दुकान से खरीद सकते हैं.
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आईएआरआई के शाकीय विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक के अनुसार, ये सीडलेस खीरा, खीरे की दूसरी प्रजातियों से अलग होता है. इसमें एक भी बीज नहीं होता है. इसके अलावा इसके हर एक गांठ में फल लगते हैं और कभी-कभी एक गांठ में दो से अधिक फल लगते हैं. इसलिए इस प्रजाति के खीरे में ज्यादा उत्पादन मिलता है. साथ ही खीरा-6 किस्म किसानों के बीच काफी फेमस है. वहीं, पॉलीहाउस या नेट हाउस की मदद से खेती करने पर साल में इसकी तीन बार खेती की जा सकती है.
अगर सीडलेस खीरे की खेती की बात करें तो उत्तर भारत में इसे साल में दो बार मार्च-मई और जुलाई-नवंबर में पॉलीहाउस में उगाया जा सकता है. वहीं, अगर दक्षिण भारत के किसान इस सीडलेस खीरे की खेती करना चाहते हैं तो इसे साल में तीनों बार नेट हाउस में लगाया जा सकता है. वहीं, इस किस्म की खेती से बंपर उत्पादन भी लिया जा सकता है.
अगर कोई किसान 100 वर्ग मीटर के पॉलीहाउस में सीडलेस पूसा-6 खीरे की खेती करता है, तो उसे लगभग 12 से 15 क्विंटल खीरे की उपज मिलती है. बात करें बिना बीज वाले खीरे की कीमत की तो बाजार में ये 40 से 50 रुपये किलो मिलता है. वहीं. पूसा-6 के एक पौधे से 4-5 किलो तक सीडलेस खीरा मिल जाता है. इस किस्म के खीरे के फल का आकार भी बड़ा होता है और औसत वजन 100 ग्राम से अधिक होता है, जिससे किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
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