तेलंगाना के किसान इन दिनों खासे परेशान हैं और यहां पर कृषि क्षेत्र में संकट गहराता जा रहा है. हाल ही में हुई बेमौसम बारिश ने पूरे राज्य में फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है. 13 जिलों में कुल 11,298 एकड़ कृषि भूमि पर असर पड़ा है. साथ ही धान, मक्का और आम की फसलों को भारी नुकसान हुआ है. मंत्री तुम्मला नागेश्वर राव ने इस बात की पुष्टि की है कि नुकसान की रिपोर्ट मिलने के बाद मुआवजा दिया जाएगा लेकिन किसानों को मदद कब मिलेगी, इसकी कोई समय सीमा तय नहीं की गई है.
तेलंगाना में पिछले दिनों करीमनगर, जगतियाल, पेड्डापल्ली, राजन्ना-सिरसिला, निजामाबाद, कुमुरामभीम आसिफाबाद, मेडक और मंचेरियल जिलों में बेमौसम बारिश हुई थी. प्रभावी फसल बीमा कवरेज की कमी ने किसानों को आर्थिक बर्बादी के कगार पर ला खड़ा किया है. केंद्र सरकार की तरफ से फसल बीमा योजना की पेशकश के बावजूद, तेलंगाना ने केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में शामिल न होने का विकल्प चुना. यह योजना साल 2016 में शुरू की गई थी, लेकिन तेलंगाना सरकार ने उच्च प्रीमियम और कम मुआवजा दरों का हवाला देते हुए इसे अस्वीकार कर दिया था. हालांकि साल 2024 में सरकार ने फिर से योजना में शामिल होने का फैसला किया लेकिन किसानों को इसका लाभ कब मिलेगा यह स्पष्ट नहीं है.
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साल 2018 में राज्य में रायथु बंधु योजना के लागू होने के बाद से कोई भी अहम फसल बीमा योजना लागू नहीं हो सकी है. इसके बजाय राज्य सरकार ने फसल के नुकसान के बाद मामले-दर-मामला आधार पर मुआवजा देने का फैसला किया है. इस प्रणाली से किसानों में निराशा बढ़ रही है. उन्हें लगता है कि उनकी दुर्दशा को अक्सर अधिकारी अनदेखा कर देते हैं. फसल बीमा योजना में शामिल होने या राज्य-विशेष बीमा योजना शुरू करने का वादा मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने बार-बार किया गया है लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है.
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किसान, जो पहले से ही बेमौसम बारिश की मार झेल रहे हैं, अब प्राकृतिक आपदाओं के खिलाफ आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली प्रभावी फसल बीमा योजना की मांग कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि बेमौसम बारिश ने शुरूआती अनुमान से कहीं ज्यादा क्षेत्र में फसल को नुकसान पहुंचाया है. किसान सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. किसानों की मांग है कि एक भरोसेमंद बीमा योजना को लागू किया जाए. किसानों का कहना है कि सही बीमा कवरेज के बिना, फसल के खराब होने की स्थिति में उनके पास कोई सुरक्षा नहीं रह जाती है. इससे उनकी आजीविका और परिवार जोखिम में पड़ जाते हैं.
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