बेमौसम बारिश से गेहूं को नुकसान, आम लीची के लिए वरदान.. ICAR पटना का सर्वेक्षण

बेमौसम बारिश से गेहूं को नुकसान, आम लीची के लिए वरदान.. ICAR पटना का सर्वेक्षण

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के वैज्ञानिकों ने बेमौसम बारिश के बाद फसलों को हुई क्षति को लेकर किया फील्ड सर्वेक्षण. जहां वैज्ञानिकों ने बताया कि गेहूं लिए बारिश अभिशाप बनकर आई है. वहीं, सब्जी,आम,लीची सहित मूंग के लिए वरदान साबित हुई है.

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बेमौसम बारिश से गेहूं को नुकसान, आम लीची के लिए वरदान.. ICAR पटना का सर्वेक्षणबेमौसम बारिश से गेहूं को नुकसान

बिहार की राजधानी पटना सहित अन्य जिलों में बीते दिनों तेज आंधी और बेमौसम बारिश देखने को मिली. वहीं, तेज आंधी और बारिश की वजह से रबी फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है, जिसको देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना द्वारा वर्षा के कारण फसल नुकसान का आकलन करने के लिए वैज्ञानिकों की एक टीम ने पटना जिले के अलग-अलग इलाकों में फील्ड सर्वेक्षण किया, जहां अपनी रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने बताया कि यह बारिश गेहूं के लिए काफी नुकसान देह रही. वहीं, सकारात्मक पहलू यह रहा कि मूंग और हरी सब्जियों ("लीफी वेजिटेबल्स") पर इस बारिश का अनुकूल प्रभाव पड़ा और उनकी वृद्धि में सुधार और मिट्टी में नमी की उपलब्धता बढ़ी.

फील्ड सर्वेक्षण से यह आई जानकारियां

आईसीएआर पटना के वैज्ञानिकों ने जिले के अलग-अलग गांवों में फील्ड सर्वेक्षण किया. रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश खेतों में गेहूं की फसल पर कर तैयार थी, लेकिन बारिश के समय तक उसकी कटाई नहीं हो सकी थी. भारी मिट्टी वाले क्षेत्रों में 10-15 प्रतिशत तक गेहूं की फसल तेज आंधी और बारिश से गिर गई, जिससे कटाई में मशीनों का उपयोग करना मुश्किल होगा. यदि दोबारा बारिश होती है तो दानों के अंकुरित होने और कटाई के बाद नुकसान की आशंका और अधिक बढ़ जाएगी.

वहीं,मसूर के खेतों में मामूली लॉजिंग (फसल का झुकना) के संकेत मिले, लेकिन कुल प्रभाव सीमित रहा. हालांकि मक्का की फसल पर बारिश का बड़ा प्रभाव देखने को मिला है, कई खेतों में फसलें गिर गई हैं, जिससे उपज में कमी और कटाई में कठिनाई की संभावना है.

इन गांवों का किया गया फील्ड सर्वेक्षण

पटना जिले के अलग-अलग भागों में हुई हल्की से मध्यम वर्षा (20–30 मिमी) और तेज़ हवा के कारण फसलों को हुए नुकसान का आकलन करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के वैज्ञानिकों की एक टीम ने फील्ड सर्वेक्षण किया, जिसमे प्रधान वैज्ञानिक डॉ अजय कुमार, वैज्ञानिक,डॉ. वेद प्रकाश (वैज्ञानिक) और वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रोहन कुमार रमण ने गौरी पुंडा ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले गांव, गौरी पुंडा, नसीरपुर, बलवा, मोमिनपुर और कसीमपुर में फील्ड स्तर पर फसल क्षति का आकलन किया. इसके साथ ही  वैज्ञानिकों ने बागवानी फसलों में पाया कि आम और लीची के बागों में तेज़ हवाओं के कारण फूल और प्रारंभिक फलों का झड़ना देखा गया, जो खुले में थे. हालांकि, जो बाग हवाओं से सुरक्षित थे, वहां यह वर्षा लाभकारी रही.

वैज्ञानिकों ने दी किसानों को सलाह

  • प्री-मॉनसून बारिश को देखते हुए वैज्ञानिकों ने किसानों को निम्नलिखित सुझाव दिए हैं:
  • खेतों से अतिरिक्त पानी को निकालें, ताकि जलभराव और जड़ों को नुकसान से बचाया जा सके.
  • फसल गिरने की अवस्था में 2 से 3 दिन रुक कर सूखे मौसम में गेहूं की कटाई करें. ताकि दाने को अंकुरण से बचाया जा सके.
  • यदि फसलों में रोग के लक्षण दिखें तो 2-3 ग्राम मैन्कोजेब प्रति लीटर पानी की दर से फफूंदी नाशक का छिड़काव करें.
  • केवल अच्छी तरह से सुखाए गए दानों को ही थ्रेश करें और नमी-प्रतिरोधी बोरी या एयरटाइट कंटेनर में संग्रहित करें.
  • केला और पपीता जैसी फसलों को आंधी से बचाने के लिए सहारा दें या बांधें.
  • आम की फसल में फल-निर्माण के बाद यदि अब तक उर्वरक नहीं दिया गया है, तो 500 ग्राम डीएपी, 850 ग्राम यूरिया और 750 ग्राम एसएसपी प्रति पौधे की दर से आधी सिफारिशित मात्रा में दें.
  • लीची में फल सेटिंग बढ़ाने के लिए प्लानोफिक्स (4 मि.ली. प्रति 9 लीटर पानी) का छिड़काव करें और 500 ग्राम एमओपी और 750 ग्राम यूरिया प्रति पूर्ण विकसित पेड़ पर दें.
  • वहीं, किसान फसलों की क्षति के लिए सरकार से मुआवजा के लिए फसल क्षति के फोटो या वीडियो दस्तावेज़ अवश्य तैयार करें. 
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