गेहूं की फसल के लिए `अमृतवर्षा`, लेकिन इस बीमारी का मंडरा रहा खतरा

गेहूं की फसल के लिए `अमृतवर्षा`, लेकिन इस बीमारी का मंडरा रहा खतरा

डॉ. तिवारी ने बताया कि पिछली बार गेहूं के लिए अच्छी बारिश 3 जनवरी को हुई थी, जिसके बाद करीब 10 दिन का अंतर रह गया था. हालांकि, उन्होंने किसानों को गेहूं की फसलों में पीले रतुआ के खतरे के बारे में आगाह किया और सतर्कता बरतने की सलाह दी.

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गेहूं की फसल के लिए `अमृतवर्षा`, लेकिन इस बीमारी का मंडरा रहा खतरागेहूं की फसल

देश के कई राज्यों में शीतलहर का दौर जारी है. इसी बीच कई राज्यों में हुई बेमौसम बारिश से ठिठुरन बढ़ गई है और कड़ाके की ठंड से राहत पाने के लिए लोग अलाव का सहारा ले रहे हैं. वहीं, रविवार को हुई बेमौसमी बारिश और बूंदाबांदी ने पूरे हरियाणा में सर्दी बढ़ा दी है. लेकिन ये बारिश गेहूं के किसानों के लिए राहत से भरी हुई है. भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR) के वैज्ञानिकों के अनुसार, हाल ही में हुई बारिश गेहूं की फसल के लिए फायदेमंद है. IIWBR के निदेशक डॉ. रतन तिवारी ने कहा कि इस समय हुई बारिश गेहूं की फसल के लिए फायदेमंद है, क्योंकि इससे गेहूं को विकास के लिए पर्याप्त नमी मिलेगी.

किसानों को सतर्क रहने की सलाह

डॉ. तिवारी ने बताया कि पिछली बार गेहूं के लिए ये महत्वपूर्ण बारिश 3 जनवरी को हुई थी, जिसके बाद करीब 10 दिन का अंतर रह गया था. हालांकि, उन्होंने किसानों को गेहूं की फसलों में पीले रतुआ के खतरे के बारे में आगाह किया और सतर्कता बरतने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि मौजूदा जलवायु परिस्थितियां पीले रतुआ के लिए बहुत अनुकूल हैं, इसलिए फसलों पर नजर रखने की जरूरत है. उन्होंने किसानों को ये भी सुझाव दिया कि पीले रतुआ के लक्षणों का सटीक इलाज करने के लिए स्थानीय कृषि संस्थानों या कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) से संपर्क करें. उन्होंने कहा कि पत्तियों का पीला पड़ना हमेशा पीले रतुआ का संकेत नहीं होता है. इसलिए अच्छे से जांच करें.

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खेती के लिए फायदेमंद है बारिश

इसके अलावा डॉ. तिवारी ने कहा कि जनवरी महीने में हो रही ये बेमौसमी बारिश खेती-किसानी के लिए बेहद अच्छी है, लेकिन इस बारिश ने राज्य भर में सर्दी को और बढ़ा दिया है, जिससे लोगों को आने वाले दिनों में और अधिक ठंड का सामना करना पड़ेगा.

इन जिलों में इतना रहा तापमान

ठंड के बावजूद न्यूनतम तापमान में शनिवार के मुकाबले 2 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हुई, हालांकि यह सामान्य से 3.6 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा. नारनौल में राज्य में सबसे कम न्यूनतम तापमान 6.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. वहीं, अन्य शहरों में न्यूनतम तापमान अधिक दर्ज किया गया, जिनमें अंबाला (11 डिग्री सेल्सियस), करनाल (11.4 डिग्री सेल्सियस), हिसार (9.5 डिग्री सेल्सियस), रोहतक (8.8 डिग्री सेल्सियस) और गुरुग्राम (7.9 डिग्री सेल्सियस) शामिल हैं.

राज्यभर में इतनी हुई बारिश

वहीं, राज्य भर में बारिश की मात्रा अलग-अलग रही. अंबाला में सबसे ज्यादा 20.5 मिमी बारिश दर्ज की गई, उसके बाद महेंद्रगढ़ (14 मिमी), हिसार (13 मिमी), भिवानी (6 मिमी) और सोनीपत (5 मिमी) में बारिश दर्ज की गई. करनाल में 1.6 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि रोहतक, सिरसा, चरखी दादरी, फरीदाबाद और गुरुग्राम में 3-3.5 मिमी बारिश दर्ज की गई. वहीं, यमुनानगर में सबसे कम 1.5 मिमी बारिश दर्ज की गई.

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